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निजी अस्पताल में गर्भवती महिला की मौत के बाद हंगामा, पैसे लेकर इलाज में लापरवाही का आरोप - मातृ सदन अस्पताल में गर्भवती महिला की मौत

झरिया के मातृ सदन अस्पताल में गर्भवती महिला की मौत के बाद परिजनों ने जमकर हंगामा किया है. परिजनों ने डॉक्टरों पर इलाज में लापरवाही का आरोप लगाते हुए कार्रवाई की मांग की है.

matri sadan hospital
मातृ सदन, अस्पताल
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Published : Dec 3, 2021, 11:03 PM IST

धनबाद: जिले के झरिया स्थित मातृ सदन अस्पताल में गर्भवती महिला की मौत के बाद परिजनों ने जमकर बवाल काटा है. परिजनों द्वारा अस्पताल में तोड़फोड़ की घटना के बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने कड़ी मशक्कत के बाद मामले को शांत कराया है.

ये भी पढ़ें- रांचीः सदर अस्पताल में आईआरबी जवान ने किया हंगामा, स्टाफ को दी धमकी
क्या है पूरा मामला
दरअसल 2 दिसंबर को कुसुंडा हजारा बस्ती के रहनेवाले मोहम्मद सोनू ने अपनी गर्भवती पत्नी को डिलीवरी के लिए मातृ सदन में भर्ती कराया था. डॉक्टरों द्वारा मरीज को अल्ट्रासाउंड कराने की सलाह दी गई.अल्ट्रासाउंड की रिपोर्ट में पेट में बच्चा मृत पाया गया. पति मोहम्मद सोनू का कहना है कि अस्पताल के डॉक्टर ने मृत बच्चे का नॉर्मल डिलीवरी कराने का आश्वासन दिया. इसके बाद चार हजार रुपए अस्पताल प्रबंधन के द्वारा जमा कराया गया. मृत महिला के पति सोनू की मानें तो वो अपनी पत्नी से बात कर वार्ड से बाहर निकला था. वह बिल्कुल अच्छे तरीके से बात कर रही थी.

देखें वीडियो

अस्पताल वालों ने जबरन कराया हस्ताक्षर

सोनू ने बताया कि इसके बाद अस्पताल के स्टाफ और नर्स पहुंचे और उससे कागज पर जबरन हस्ताक्षर कराने लगे. उनके द्वारा कहा गया कि वे पनी मर्जी से पत्नी को ले जा रहे हो. इसके बाद उनके द्वारा मरीज को देख लेने की बात कही गई. वार्ड के अंदर देखने पर मालूम हुआ कि पत्नी की मौत हो चुकी है. डॉक्टरों के द्वारा जमा रुपये वापस करने की बात भी कही गई. इस पूरे मामले में परिजनों ने अस्पताल में डॉक्टरों पर इलाज में लापरवाही का आरोप लगाते हुए पुलिस से कार्रवाई की मांग की है.

अस्पताल की सफाई
वहीं अस्पताल के डॉक्टर एमडी मकसूद का कहना है कि गर्भवती महिला का इलाज पहले से केंदुआ स्थित किसी सरकारी अस्पताल में चल रहा था.अल्ट्रासाउंड कराने पर पेट के अंदर बच्चा मृत पाया. साढ़े छह महीने के बच्चा का नॉर्मल डिलीवरी नही हो सकता था. हीमोग्लोबिन मात्र साढ़े छह ग्राम था जिसकी वजह से ऑपरेशन कर डिलीवरी कराना भी मुनासिब नही था. ऑपरेशन के लिए कम से कम दस ग्राम शरीर मे खून का होना अनिवार्य है.दो दिन में दो यूनिट ब्लड मरीज को चढ़ाया गया. ताकि सीजेरियन डिलीवरी कराया जा सके. लेकिन मरीज को अचानक कन्वर्शन आया और उसकी मौत हो गई. डॉक्टर ने परिजनों पर बदसलूकी करने का आरोप लगाया.

FIR के बाद होगी कार्रवाई
मौके पर पहुंची झरिया थाना के एएसआई विक्रम उरांव ने कहा कि मृतिका के परिजनों के द्वारा लिखित शिकायत मिलने के बाद वे आगे की कार्रवाई करेंगे.

धनबाद: जिले के झरिया स्थित मातृ सदन अस्पताल में गर्भवती महिला की मौत के बाद परिजनों ने जमकर बवाल काटा है. परिजनों द्वारा अस्पताल में तोड़फोड़ की घटना के बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने कड़ी मशक्कत के बाद मामले को शांत कराया है.

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क्या है पूरा मामला
दरअसल 2 दिसंबर को कुसुंडा हजारा बस्ती के रहनेवाले मोहम्मद सोनू ने अपनी गर्भवती पत्नी को डिलीवरी के लिए मातृ सदन में भर्ती कराया था. डॉक्टरों द्वारा मरीज को अल्ट्रासाउंड कराने की सलाह दी गई.अल्ट्रासाउंड की रिपोर्ट में पेट में बच्चा मृत पाया गया. पति मोहम्मद सोनू का कहना है कि अस्पताल के डॉक्टर ने मृत बच्चे का नॉर्मल डिलीवरी कराने का आश्वासन दिया. इसके बाद चार हजार रुपए अस्पताल प्रबंधन के द्वारा जमा कराया गया. मृत महिला के पति सोनू की मानें तो वो अपनी पत्नी से बात कर वार्ड से बाहर निकला था. वह बिल्कुल अच्छे तरीके से बात कर रही थी.

देखें वीडियो

अस्पताल वालों ने जबरन कराया हस्ताक्षर

सोनू ने बताया कि इसके बाद अस्पताल के स्टाफ और नर्स पहुंचे और उससे कागज पर जबरन हस्ताक्षर कराने लगे. उनके द्वारा कहा गया कि वे पनी मर्जी से पत्नी को ले जा रहे हो. इसके बाद उनके द्वारा मरीज को देख लेने की बात कही गई. वार्ड के अंदर देखने पर मालूम हुआ कि पत्नी की मौत हो चुकी है. डॉक्टरों के द्वारा जमा रुपये वापस करने की बात भी कही गई. इस पूरे मामले में परिजनों ने अस्पताल में डॉक्टरों पर इलाज में लापरवाही का आरोप लगाते हुए पुलिस से कार्रवाई की मांग की है.

अस्पताल की सफाई
वहीं अस्पताल के डॉक्टर एमडी मकसूद का कहना है कि गर्भवती महिला का इलाज पहले से केंदुआ स्थित किसी सरकारी अस्पताल में चल रहा था.अल्ट्रासाउंड कराने पर पेट के अंदर बच्चा मृत पाया. साढ़े छह महीने के बच्चा का नॉर्मल डिलीवरी नही हो सकता था. हीमोग्लोबिन मात्र साढ़े छह ग्राम था जिसकी वजह से ऑपरेशन कर डिलीवरी कराना भी मुनासिब नही था. ऑपरेशन के लिए कम से कम दस ग्राम शरीर मे खून का होना अनिवार्य है.दो दिन में दो यूनिट ब्लड मरीज को चढ़ाया गया. ताकि सीजेरियन डिलीवरी कराया जा सके. लेकिन मरीज को अचानक कन्वर्शन आया और उसकी मौत हो गई. डॉक्टर ने परिजनों पर बदसलूकी करने का आरोप लगाया.

FIR के बाद होगी कार्रवाई
मौके पर पहुंची झरिया थाना के एएसआई विक्रम उरांव ने कहा कि मृतिका के परिजनों के द्वारा लिखित शिकायत मिलने के बाद वे आगे की कार्रवाई करेंगे.

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