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शौचालय निर्माण के लिए जरुरी है मुखिया को 'चढ़ावा', फिर भी नहीं मिलती 'लोटा पार्टी' से मुक्ति - स्वच्छ भारत मिशन

धनबाद में प्रधानमंत्री की स्वच्छ भारत मिशन का काला चिट्ठा खुलकल सामने आया. जहां मुखिया शौचालय निर्माण कराने के लिए लोगों से पैसे लेता है, बावजूद लोगों को अधूरे निर्माण की वजह से शौच के लिए खुले में जाना पड़ता है, जबकि यह इलाका 2017 में ही ओडीएफ घोषित कर दिया गया था.

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Published : Aug 17, 2019, 7:44 PM IST

धनबाद: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक स्वच्छ भारत मिशन के तहत जिले में शौचालयों निर्माण कराया गया था. जहां हर घर शौचालय सुनिश्चित बनने की दावा किया गया था, लेकिन जिले के गोविंदपुर प्रखंड में कुछ जगहों पर लोगों को शौचालय अभी तक मिला भी नहीं है और कहीं शौचालय मिला भी है तो उन शौचालयों का उपयोग नहीं हो रहा है.

देखें स्पेशल स्टोरी

जिले के गोविंदपुर प्रखंड में शौचालय निर्माण में घोर अनियमितता सामने आ रही है. प्रखंड के दो पंचायत पथुरिया और नगरकीयारी में शौचालय निर्माण की दो अलग-अलग कहानी देखने को मिलती है. जहां एक ओर पथुरिया पंचायत के बरमसिया गांव में 40 से 50 घर को शौचालय मिला ही नहीं है. जिससे लोग अभी तक शौचालय की बाट जोह रहे हैं.

कबाड़खाना में तब्दील हुआ शौचालय
बताया जा रहा कि करीब एक साल पहले ही मुखिया के द्वारा शौचालय के लिए गड्ढा करवा कर छोड़ दिया गया है, जो कि अब बरसात में वह गड्ढे भी आधे से ज्यादा भर चुके हैं. वहीं, दूसरी तरफ नगरकियारी पंचायत के जीतपुर गांव में लोगों को शौचालय दिया गया है, लेकिन वहां पर लोग उन शौचालयों का उपयोग दूसरे काम के लिए करते हैं.

शौचालय बनवाने के लिए मुखिया लेते हैं पैसे
वहीं पथुरिया पंचायत के बरमसिया गांव के ग्रामीणों ने मुखिया पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि मुखिया को बगैर चढ़ावा दिए कोई भी निर्माण कार्य नहीं होता है. लोगों ने कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना में स्थानीय मुखिया 15 से 20 हजार रुपए लोगों से लेते हैं तब जाकर प्रधानमंत्री आवास दिया जाता है. वहीं शौचालय निर्माण में भी मुखिया को कुछ न कुछ चढ़ावा देना पड़ता है तब जाकर शौचालय का निर्माण होता है.

शौचालय की बाट जोह रहे लोग
शौचालय निर्माण के लिए जो ईट गिराई गई थी उन ईटों की क्वालिटी इतनी खराब है कि वह खुद-ब-खुद पानी में गल कर मिटटी में समा गई है. अगर इन ईटों से शौचालय का निर्माण हो भी जाता तो उन शौचालयों का हश्र क्या होता यह समझने वाली बात है.

बरमसिया गांव में प्रधानमंत्री आवास योजना का कार्य लगभग साल भर से रुका हुआ है. आधा से ज्यादा निर्माण इसका हो जाने के बाद अब इसे अगली किस्त नहीं दी जा रही है. जिसके कारण छत की ढलाई नहीं हो पा रही है. स्थानीय लोगों ने कहा कि कई बार मुखिया को कहने के बावजूद भी अगली किस्त नहीं मिल पा रही है.

ये भी पढे़ं- 3 साल में बनकर तैयार होगा ईचा डैम, 25 सालों से हो रहा था निर्माण का विरोध

उप विकास ने जांच का दिया आश्वासन
हालांकि इस मामले में जब जिले के उप विकास आयुक्त शशी रंजन को जब इसकी जानकारी दी गई, तो उन्होंने ईटीवी भारत को इसके लिए धन्यवाद दिया. उन्होंने भरोसा दिलाया है कि वह इसकी जांच अवश्य करवाएंगे और जिन्हें भी शौचालय नहीं मिला है. उन्हें शौचालय मिले यह सुनिश्चित करवाएंगे. साथ ही साथ उन्होंने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बनाए जा रहे आवास की अगली किस्त नहीं मिलने के बारे में भी जांच कराने की बात कही है.

धनबाद: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक स्वच्छ भारत मिशन के तहत जिले में शौचालयों निर्माण कराया गया था. जहां हर घर शौचालय सुनिश्चित बनने की दावा किया गया था, लेकिन जिले के गोविंदपुर प्रखंड में कुछ जगहों पर लोगों को शौचालय अभी तक मिला भी नहीं है और कहीं शौचालय मिला भी है तो उन शौचालयों का उपयोग नहीं हो रहा है.

देखें स्पेशल स्टोरी

जिले के गोविंदपुर प्रखंड में शौचालय निर्माण में घोर अनियमितता सामने आ रही है. प्रखंड के दो पंचायत पथुरिया और नगरकीयारी में शौचालय निर्माण की दो अलग-अलग कहानी देखने को मिलती है. जहां एक ओर पथुरिया पंचायत के बरमसिया गांव में 40 से 50 घर को शौचालय मिला ही नहीं है. जिससे लोग अभी तक शौचालय की बाट जोह रहे हैं.

कबाड़खाना में तब्दील हुआ शौचालय
बताया जा रहा कि करीब एक साल पहले ही मुखिया के द्वारा शौचालय के लिए गड्ढा करवा कर छोड़ दिया गया है, जो कि अब बरसात में वह गड्ढे भी आधे से ज्यादा भर चुके हैं. वहीं, दूसरी तरफ नगरकियारी पंचायत के जीतपुर गांव में लोगों को शौचालय दिया गया है, लेकिन वहां पर लोग उन शौचालयों का उपयोग दूसरे काम के लिए करते हैं.

शौचालय बनवाने के लिए मुखिया लेते हैं पैसे
वहीं पथुरिया पंचायत के बरमसिया गांव के ग्रामीणों ने मुखिया पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि मुखिया को बगैर चढ़ावा दिए कोई भी निर्माण कार्य नहीं होता है. लोगों ने कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना में स्थानीय मुखिया 15 से 20 हजार रुपए लोगों से लेते हैं तब जाकर प्रधानमंत्री आवास दिया जाता है. वहीं शौचालय निर्माण में भी मुखिया को कुछ न कुछ चढ़ावा देना पड़ता है तब जाकर शौचालय का निर्माण होता है.

शौचालय की बाट जोह रहे लोग
शौचालय निर्माण के लिए जो ईट गिराई गई थी उन ईटों की क्वालिटी इतनी खराब है कि वह खुद-ब-खुद पानी में गल कर मिटटी में समा गई है. अगर इन ईटों से शौचालय का निर्माण हो भी जाता तो उन शौचालयों का हश्र क्या होता यह समझने वाली बात है.

बरमसिया गांव में प्रधानमंत्री आवास योजना का कार्य लगभग साल भर से रुका हुआ है. आधा से ज्यादा निर्माण इसका हो जाने के बाद अब इसे अगली किस्त नहीं दी जा रही है. जिसके कारण छत की ढलाई नहीं हो पा रही है. स्थानीय लोगों ने कहा कि कई बार मुखिया को कहने के बावजूद भी अगली किस्त नहीं मिल पा रही है.

ये भी पढे़ं- 3 साल में बनकर तैयार होगा ईचा डैम, 25 सालों से हो रहा था निर्माण का विरोध

उप विकास ने जांच का दिया आश्वासन
हालांकि इस मामले में जब जिले के उप विकास आयुक्त शशी रंजन को जब इसकी जानकारी दी गई, तो उन्होंने ईटीवी भारत को इसके लिए धन्यवाद दिया. उन्होंने भरोसा दिलाया है कि वह इसकी जांच अवश्य करवाएंगे और जिन्हें भी शौचालय नहीं मिला है. उन्हें शौचालय मिले यह सुनिश्चित करवाएंगे. साथ ही साथ उन्होंने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बनाए जा रहे आवास की अगली किस्त नहीं मिलने के बारे में भी जांच कराने की बात कही है.

Intro:धनबाद:प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अति महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक स्वच्छ भारत मिशन के तहत जिले में शौचालयों का निर्माण कराया गया था और सभी को शौचालय मिले यह सुनिश्चित करना था. लेकिन जिले के गोविंदपुर प्रखंड में कुछ जगहों पर लोगों को शौचालय अभी तक मिला भी नहीं है और कहीं शौचालय मिला भी है तो उन शौचालयों का उपयोग नहीं हो रहा है. देखिए स्पेशल रिपोर्ट


Body:आपको बता दें कि जिले के गोविंदपुर प्रखंड के में शौचालय निर्माण में घोर अनियमितता सामने आ रही है. प्रखंड के दो पंचायत पथुरिया और नगरकीयारी में शौचालय निर्माण की दो अलग-अलग कहानी देखने को मिलती है.

एक ओर जहां पथुरिया पंचायत के बरमसिया गांव में 40 से 50 घर को शौचालय मिला ही नहीं है लोग अभी तक शौचालय की बाट जोह रहे हैं. करीब साल भर पहले ही मुखिया के द्वारा शौचालय के लिए गड्ढा करवा कर छोड़ दिया गया है. जो कि अब बरसात में वह गड्ढे भी आधे से ज्यादा भर चुके हैं, वहीं दूसरी तरफ नगरकियारी पंचायत के जीतपुर गांव में लोगों को शौचालय दिया गया है लेकिन वहां पर लोग उन शौचालयों का उपयोग दूसरे काम के लिए करते हैं.

वही पथुरिया पंचायत के बरमसिया गांव के ग्रामीणों ने मुखिया पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि मुखिया को बगैर चढ़ावा दिए कोई भी निर्माण कार्य नहीं होता है. लोगों ने कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना में स्थानीय मुखिया 15 से 20 हजार लोगों से लेते हैं तब जाकर प्रधानमंत्री आवास दिया जाता है. वही शौचालय निर्माण में भी मुखिया को कुछ न कुछ चढ़ावा देना पड़ता है तब जाकर शौचालय का निर्माण होता है.

शौचालय निर्माण के लिए जो ईट गिराई गई थी उन ईटों भी स्तर इतना खराब है कि वह खुद-ब-खुद पानी में गल कर मिटटी में समा गई है. अगर इन ईटों से शौचालय का निर्माण हो भी जाता तो उन शौचालयों का हश्र क्या होता यह समझने वाली बात है.

बरमसिया गांव में दो प्रधानमंत्री आवास योजना का कार्य लगभग साल भर से रुका हुआ है. आधा से ज्यादा निर्माण इसका हो जाने के बाद अब इसे अगली किस्त नहीं दी जा रही है. जिसके चलते छत की ढलाई नहीं हो पा रही है.स्थानीय लोगों ने कहा कि कई बार मुखिया को कहने के बावजूद भी अगली किस्त नहीं मिल पा रही है.



Conclusion:हालांकि इस मामले में जब जिले के उप विकास आयुक्त शशी रंजन को जब इसकी जानकारी दी गई तो उन्होंने ईटीवी भारत को इसके लिए धन्यवाद कहा.उन्होंने भरोसा दिलाया है कि वह इसकी जांच अवश्य करवाएंगे और जिन्हें भी शौचालय नहीं मिला है उन्हें शौचालय मिले यह सुनिश्चित करवाएंगे. साथ ही साथ उन्होंने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बनाए जा रहे आवास की अगली किस्त नहीं मिलने के बारे में भी जांच कराने की बात कही है.

बाइट नाम के अनुसार सीरियल है

1.शोभा देवी कर्मकार -ग्रामीण महिला
2.उपासी बाला दास -ग्रामीण महिला
3.निताई गोराई- ग्रामीण
4.शशी रंजन -उप विकास आयुक्त धनबाद
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