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इस गांव में चलती है 'खाट एंबुलेंस', बदतर हालातों में जिंदगी बसर कर रहे ग्रामीण - जिंदगी बसर कर रहे ग्रामीण

कोयलांचल धनबाद में पूर्वी टुंडी प्रखंड की शहर से कोई कनेक्टिविटी नहीं होने से ग्रामीणों को बेहद परेशानियों का सामना करना पड़ता है. गांव की प्रसूता और मरीजों को खाट के सहारे इलाज के लिए ले जाना पड़ता है.

मरीज को खाट पर ले जाते ग्रामीण
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Published : Aug 30, 2019, 5:15 PM IST

Updated : Sep 3, 2019, 5:24 PM IST

धनबाद: कोयलांचल धनबाद में पूर्वी टुंडी प्रखंड आज भी विकास से कोसों दूर है. अगर हम बात करें तो झारखंड राज्य की स्थापना हुए 18 साल बीत चुके हैं. इसके बाद टुंडी प्रखंड से पूर्वी टुंडी अलग प्रखंड बना, लेकिन फिर भी पूर्वी टुंडी अभी भी विकास से महरूम है. प्रखंड के 2 गांव खैरटांड और पुरनाटांड में मौजूदा समय में सड़क नहीं है. गांव की प्रसूता और मरीजों को खाट के सहारे इलाज के लिए ले जाना पड़ता है.

वीडियो में देखें ये स्पेशल स्टोरी

गांव की महिलाओं का कहना है कि जब डिलीवरी का समय आता है, तो गांव के बड़े-बुजुर्ग, ससुर और भैसुर उनकी खाट को कांधा देते हैं. उस समय उन्हें बहुत शर्म महसूस होती है. उन्हें अफसोस होता है कि इस गांव में उनकी शादी क्यों हुई.

खैरटांड़ गांव में जैसे तैसे पहले चार पहिया वाहन पहुंच जाता था, लेकिन अब वहां भी दिक्कत होने लगी है. गांव के ही एक दबंग के द्वारा रास्ते में गड्ढा कर दिया गया है. फिलहाल वहां सिर्फ दो पहिया वाहन को पार करने की इजाजत दी गई है. जिसके कारण अब वहां भी चार पहिया वाहन नहीं जा पाते. पुरनाटांड़ गांव खैरटांड के पीछे है. वहां पर आज तक कभी भी चार पहिया वाहन घुसा ही नहीं है. क्योंकि चार पहिया वाहन घुसने की जगह ही नहीं है. दो पहिया वाहन ही गांव तक जा सकता है.

ये भी पढ़ें- विधानसभा चुनाव 2019: भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा पहुंचे लोहरदगा, फूंकेंगे बिगुल

सड़क नहीं होने की वजह से बच्चों को स्कूल जाने में भारी कठिनायियों का सामना करना पड़ता है. लगभग 3 किलोमीटर की दूरी इस गांव के बच्चे पैदल सफर करते हैं. बरसात के दिनों में इन्हें काफी कठिनायियों का सामना करना पड़ता है, क्योंकि चाह कर भी परिजन गांव में गाड़ी नहीं मंगा पाते.

इन गांवों में सड़क नहीं होने का मुख्य कारण रास्ते में पड़ने वाली रैयती जमीन है. इन दोनों गांवों के रास्ते में कुछ लोगों की रैयत जमीन आती है. समय-समय पर रैयतदार इन गांव के लोगों का रास्ता बंद भी कर देते हैं. इन दोनों गांवों की आबादी 500 से 600 के करीब है.

ऐसे में जिला प्रशासन को एक सकारात्मक पहल करने की जरूरत है. ग्रामीणों में आपसी सामंजस्य बनाकर रास्ता निकलवाने का प्रयास किया जाना चाहिए, ताकि ग्रामीणों की समस्या का निवारण हो सके. हालांकि इस पूरे मामले पर जिला उपायुक्त अमित कुमार ने कहा कि जल्द ही एक टीम उस गांव का मुआयना करेगी. इसके बाद जल्द से जल्द गांव को सड़क से जोड़ा जाएगा.

धनबाद: कोयलांचल धनबाद में पूर्वी टुंडी प्रखंड आज भी विकास से कोसों दूर है. अगर हम बात करें तो झारखंड राज्य की स्थापना हुए 18 साल बीत चुके हैं. इसके बाद टुंडी प्रखंड से पूर्वी टुंडी अलग प्रखंड बना, लेकिन फिर भी पूर्वी टुंडी अभी भी विकास से महरूम है. प्रखंड के 2 गांव खैरटांड और पुरनाटांड में मौजूदा समय में सड़क नहीं है. गांव की प्रसूता और मरीजों को खाट के सहारे इलाज के लिए ले जाना पड़ता है.

वीडियो में देखें ये स्पेशल स्टोरी

गांव की महिलाओं का कहना है कि जब डिलीवरी का समय आता है, तो गांव के बड़े-बुजुर्ग, ससुर और भैसुर उनकी खाट को कांधा देते हैं. उस समय उन्हें बहुत शर्म महसूस होती है. उन्हें अफसोस होता है कि इस गांव में उनकी शादी क्यों हुई.

खैरटांड़ गांव में जैसे तैसे पहले चार पहिया वाहन पहुंच जाता था, लेकिन अब वहां भी दिक्कत होने लगी है. गांव के ही एक दबंग के द्वारा रास्ते में गड्ढा कर दिया गया है. फिलहाल वहां सिर्फ दो पहिया वाहन को पार करने की इजाजत दी गई है. जिसके कारण अब वहां भी चार पहिया वाहन नहीं जा पाते. पुरनाटांड़ गांव खैरटांड के पीछे है. वहां पर आज तक कभी भी चार पहिया वाहन घुसा ही नहीं है. क्योंकि चार पहिया वाहन घुसने की जगह ही नहीं है. दो पहिया वाहन ही गांव तक जा सकता है.

ये भी पढ़ें- विधानसभा चुनाव 2019: भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा पहुंचे लोहरदगा, फूंकेंगे बिगुल

सड़क नहीं होने की वजह से बच्चों को स्कूल जाने में भारी कठिनायियों का सामना करना पड़ता है. लगभग 3 किलोमीटर की दूरी इस गांव के बच्चे पैदल सफर करते हैं. बरसात के दिनों में इन्हें काफी कठिनायियों का सामना करना पड़ता है, क्योंकि चाह कर भी परिजन गांव में गाड़ी नहीं मंगा पाते.

इन गांवों में सड़क नहीं होने का मुख्य कारण रास्ते में पड़ने वाली रैयती जमीन है. इन दोनों गांवों के रास्ते में कुछ लोगों की रैयत जमीन आती है. समय-समय पर रैयतदार इन गांव के लोगों का रास्ता बंद भी कर देते हैं. इन दोनों गांवों की आबादी 500 से 600 के करीब है.

ऐसे में जिला प्रशासन को एक सकारात्मक पहल करने की जरूरत है. ग्रामीणों में आपसी सामंजस्य बनाकर रास्ता निकलवाने का प्रयास किया जाना चाहिए, ताकि ग्रामीणों की समस्या का निवारण हो सके. हालांकि इस पूरे मामले पर जिला उपायुक्त अमित कुमार ने कहा कि जल्द ही एक टीम उस गांव का मुआयना करेगी. इसके बाद जल्द से जल्द गांव को सड़क से जोड़ा जाएगा.

Intro:धनबाद: कोयलांचल धनबाद पूर्वी टुंडी प्रखंड आज भी विकास से कोसों दूर है.अगर हम बात करें तो झारखंड राज्य की स्थापना हुए 18 साल बीत चुके हैं.फिर टुंडी प्रखंड से पूर्वी टुंडी अलग प्रखंड बना लेकिन फिर भी पूर्वी टुंडी अभी भी विकास की बाट जोह रहा है .प्रखंड के 2 गांव खैरटांड और पुरनाटांड में आज भी सड़क नहीं है. गांव के प्रसूति महिलाओं और मरीजों को आज भी डोली के सहारे इलाज के लिए ले जाना पड़ता है.


Body:आपको बता दें कि पूर्वी टुंडी प्रखंड का 2 गांव आजादी के 72 वर्षों बाद भी सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं से महरूम है. गांव की महिलाएं कहती है कि जब डिलीवरी का समय आता है तो गांव के बड़े बुजुर्ग ससुर और भैसुर उनकी डोली को कांधा देते हैं उस समय ग्लानि महसूस होती है कि इस गांव में हमारी शादी क्यों हुई.यही लोग कंधा देकर अस्पताल तक पहुंचाने का काम करते हैं क्योंकि गांव में किसी भी रास्ते से चार पहिया वाहन आने का रास्ता नहीं है.

खैरटांड गांव में जैसे तैसे पहले चार पहिया वाहन पहुंच जाता था लेकिन अब वहां भी दिक्कत होने लगी है क्योंकि गांव के ही एक दबंग के द्वारा रास्ते में गड्ढा कर दिया गया है और सिर्फ दो पहिया वाहन को पार करने की इजाजत दी गई है. जिसके कारण अब वहां भी चार पहिया वाहन नहीं जा पाता.पुरनाटांड गांव ख़ैरटांड के पीछे हैं वहां पर आज तक कभी भी चार पहिया वाहन घुसा ही नहीं है क्योंकि चार पहिया वाहन घुसने का जगह ही नहीं है.दो पहिया वाहन ही गांव तक जा सकता है वह भी लोग खेत के मेड़ में पार होकर जाते हैं.

सड़क नहीं होने के कारण गांव के बच्चों को स्कूल जाने में भारी कठिनाई का सामना करना पड़ता है. लगभग 3 किलोमीटर की दूरी इस गांव के बच्चे पैदल सफर करते हैं. बरसात के दिनों में इन्हें काफी कठिनाई का सामना करना पड़ता है क्योंकि चाह कर भी परिजन गांव में गाड़ी नहीं मंगा पाते.

इन गांवों में सड़क नहीं होने का मुख्य कारण रास्ते में पड़ने वाले रैयती जमीन है. आपको बता दें इन दोनों गांवों के रास्ते में कुछ लोगों की रैयत जमीन पर जाती है. जो सड़क नहीं होने का मुख्य कारण है. समय-समय पर रेयतदार इन गांव के लोगों का रास्ता बंद भी कर देते हैं.इन दोनों गांवों की आबादी लगभग 5 से 600 के करीब है.ऐसे में जिला प्रशासन को एक सकारात्मक पहल करने की जरूरत है.ग्रामीणों में आपसी सामंजस्य बनाकर रास्ता निकलवाने का प्रयास किया जाना चाहिए ताकि ग्रामीणों की समस्या का निवारण हो सके.


Conclusion:हालांकि इस पूरे मामले पर जब जिले के उपायुक्त अमित कुमार को जानकारी दी गई तो उन्होंने इस बात पर गंभीर चिंता जताई और उन्होंने कहा कि जल्द ही एक टीम उस गांव का मुआयना करेगी और यथाशीघ्र इस गांव को सड़क से जोड़ा जाएगा.

बाइट सीरियल है।
1. सुधीर कर्मकार -ग्रामीण
2.लक्ष्मी देवी मुर्मू -ग्रामीण महिला
3.रेखा देवी मुर्मू -ग्रामीण महिला
4.बबलू कर्मकार -ग्रामीण
5.अमित कुमार- उपायुक्त धनबाद
Last Updated : Sep 3, 2019, 5:24 PM IST
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