धनबाद: कोयलांचल धनबाद में पूर्वी टुंडी प्रखंड आज भी विकास से कोसों दूर है. अगर हम बात करें तो झारखंड राज्य की स्थापना हुए 18 साल बीत चुके हैं. इसके बाद टुंडी प्रखंड से पूर्वी टुंडी अलग प्रखंड बना, लेकिन फिर भी पूर्वी टुंडी अभी भी विकास से महरूम है. प्रखंड के 2 गांव खैरटांड और पुरनाटांड में मौजूदा समय में सड़क नहीं है. गांव की प्रसूता और मरीजों को खाट के सहारे इलाज के लिए ले जाना पड़ता है.
गांव की महिलाओं का कहना है कि जब डिलीवरी का समय आता है, तो गांव के बड़े-बुजुर्ग, ससुर और भैसुर उनकी खाट को कांधा देते हैं. उस समय उन्हें बहुत शर्म महसूस होती है. उन्हें अफसोस होता है कि इस गांव में उनकी शादी क्यों हुई.
खैरटांड़ गांव में जैसे तैसे पहले चार पहिया वाहन पहुंच जाता था, लेकिन अब वहां भी दिक्कत होने लगी है. गांव के ही एक दबंग के द्वारा रास्ते में गड्ढा कर दिया गया है. फिलहाल वहां सिर्फ दो पहिया वाहन को पार करने की इजाजत दी गई है. जिसके कारण अब वहां भी चार पहिया वाहन नहीं जा पाते. पुरनाटांड़ गांव खैरटांड के पीछे है. वहां पर आज तक कभी भी चार पहिया वाहन घुसा ही नहीं है. क्योंकि चार पहिया वाहन घुसने की जगह ही नहीं है. दो पहिया वाहन ही गांव तक जा सकता है.
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सड़क नहीं होने की वजह से बच्चों को स्कूल जाने में भारी कठिनायियों का सामना करना पड़ता है. लगभग 3 किलोमीटर की दूरी इस गांव के बच्चे पैदल सफर करते हैं. बरसात के दिनों में इन्हें काफी कठिनायियों का सामना करना पड़ता है, क्योंकि चाह कर भी परिजन गांव में गाड़ी नहीं मंगा पाते.
इन गांवों में सड़क नहीं होने का मुख्य कारण रास्ते में पड़ने वाली रैयती जमीन है. इन दोनों गांवों के रास्ते में कुछ लोगों की रैयत जमीन आती है. समय-समय पर रैयतदार इन गांव के लोगों का रास्ता बंद भी कर देते हैं. इन दोनों गांवों की आबादी 500 से 600 के करीब है.
ऐसे में जिला प्रशासन को एक सकारात्मक पहल करने की जरूरत है. ग्रामीणों में आपसी सामंजस्य बनाकर रास्ता निकलवाने का प्रयास किया जाना चाहिए, ताकि ग्रामीणों की समस्या का निवारण हो सके. हालांकि इस पूरे मामले पर जिला उपायुक्त अमित कुमार ने कहा कि जल्द ही एक टीम उस गांव का मुआयना करेगी. इसके बाद जल्द से जल्द गांव को सड़क से जोड़ा जाएगा.