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धनबाद: खनन के क्षेत्र में होगा क्रांतिकारी बदलाव, अब रोबोट करेंगे माइनिंग

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Published : Jun 2, 2020, 8:00 PM IST

भविष्य की माइनिंग इंडस्ट्री पूरी तरह अत्याधुनिक तकनीकों से लैस होगी, जिसमें इंटरनेट ऑफ थिंग्स, ऑर्टिफिशियल इंटेलिजेंस शामिल रहेंगे. ऐसे में माइनिंग कैसी होगी, उसका स्वरूप कैसा होगा, यह आईआईटी-आईएसएम, धनबाद बताएगा. विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी मंत्रालय ने संस्थान से 5 सालों की डीटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) मांगी थी जो कुछ दिनों में सरकार को सौंप दी जाएगी.

revolutionary change in mining field
खनन के क्षेत्र में होगा क्रांतिकारी बदलाव

धनबाद: भारत सरकार ने साइबर फिजिकल सिस्टम के तहत माइनिंग के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव के लिए एक नेशनल मिशन को लिए गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट पर काम कर रही है. जिसके बाद विभिन्न माइनिंग के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव देखे जाएंगे. धनबाद स्थित आईआईटी-आईएसएम को इसके लिए महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

अगर सब कुछ ठीक रहा तो भविष्य में अत्याधुनिक तरीके से माइनिंग देखी जाएगी जैसा कि अक्सर विदेशों में देखा जाता है. उसी प्रकार अब भारत में भी टेक्नोलॉजी के माध्यम से माइनिंग होगी. जिसका मुख्य उद्देश्य स्मार्ट माइनिंग, सेफ माइनिंग, इकोनामिक माइनिंग और इन्वायरमेंटल फ्रेंडली माइनिंग करना है. धनबाद स्थित आईआईटी-आईएसएम के प्रोफेसर धीरज कुमार ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि नेशनल मिशन ऑन साइबर फिजिकल सिस्टम के लिए भारत सरकार ने प्रोजेक्ट प्रपोजल का डिमांड किया था. जिसमें 45 इंस्टिट्यूशन ने देशभर से भाग लिया था. जिसमें आईआईटी-आईएसएम भी शामिल है.

माइनिंग में लीड करने की जिम्मेवारी आईएसएम धनबाद को

इस सिस्टम के तहत 16 आईआईटी और एक एनआईटी को अलग-अलग कार्य सौंपे गए हैं. जिसमें माइनिंग, एग्रीकल्चर और ग्राउंड वाटर लेवल सहित जिम्मेदारियां दी गई है. धनबाद स्थित आईआईटी-आईएसएम को माइनिंग के लिए जाना जाता है. इस कारण इस संस्थान को माइनिंग में लीड करने की जिम्मेवारी सौंपी गई. प्रोफेसर धीरज कुमार ने बताया कि साइबर फिजिकल सिस्टम के तहत कुछ साइबर सिस्टम होते हैं और कुछ फिजिकल सिस्टम भी होते हैं. दोनों को इंटीग्रेट करने के बाद साइबर फिजिकल सिस्टम के तौर पर काम किया जाता है. जिसमें कम्युनिकेशन, टेक्नोलॉजी, रोबोटिक आदि कई चीजें होती हैं.

ये भी पढ़ें- झारखंड की अर्थव्यवस्था पर कोरोना की काली छाया, रेवेन्यू कलेक्शन के लिए उठाए जा रहे कदम

उन्होंने बताया कि माइनिंग के क्षेत्र में क्या-क्या दिक्कतें हैं और उन दिक्कतों को टेक्नोलॉजी के जरिए कैसे खत्म किया जा सकता है. इन सभी चीजों के लिए लॉकडाउन के दौरान टेक्नोलॉजी के माध्यम से 18 स्टेक होल्डर से चर्चा की गई. सभी से स्काइप, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से चर्चा कर लगभग 250 करोड़ का डीपीआर तैयार की गई है. जो कुछ दिनों में सरकार को सौंप दी जाएगी. इस कार्य के लिए फिलहाल संस्थान को 7 करोड़ की राशि भी मिल चुकी है. टेक्नोलॉजी इनोवेशन हब इन माइनिंग आईआईटी-आईएसएम धनबाद के नाम से सेक्शन 8 इस कंपनी का नाम रखा जाएगा.

विदेशी कंपनियों से ली जाएगी मदद

संस्थान के प्रोफेसर ने कहा कि इसके लिए विदेशों की कुछ कंपनियों से भी मदद ली जाएगी. अगर वह आना चाहे तो इसमें मदद कर सकते हैं. लेकिन सारा टर्म एंड कंडीशन भारत सरकार के ही अधीन होगा. उन्होंने कहा कि विदेशों में बहुत ऐसी जगह हैं जहां पर ग्राउंड लेवल पर ड्राइवर लेस ट्रेनें चलती हैं और सरफेस पर बैठकर ही डीप माइनिंग की जाती है. कुछ दिनों में अब भारत में भी ऐसा देखने को मिलेगा.

ये भी पढ़ें- अर्जुन अवॉर्ड के लिए नामांकित होने पर बहुत आभारी हूं : दीप्ति शर्मा

ईटीवी भारत के सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि रोबोटिक माइनिंग होने के बावजूद भी लोगों को घबराने की जरूरत नहीं है. क्योंकि इससे मेन पावर में कोई कमी नहीं होगी बल्कि मेन पावर बढ़ जाएगा. उन्होंने कहा कि पहले माइनिंग के क्षेत्र को लोग व्हाइट कॉलर जॉब नहीं मानते थे लेकिन टेक्नोलॉजी के माध्यम से जब माइनिंग की जाएगी तो यह धारणा भी दूर हो जाएगी. संस्थान के प्रोफेसर धीरज कुमार ने बताया कि कोरोना वायरस का असर इस प्रोजेक्ट पर दिख सकता है. परंतु उन्होंने कहा कि साइबर फिजिकल सिस्टम नेशनल मिशन गवर्नमेंट ऑफ इंडिया का अति महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट में से एक है. इसलिए कोरोना का बहुत ज्यादा असर इस पर नहीं पड़ेगा और जल्द ही इस पर कार्य शुरू हो जाएगा.

धनबाद: भारत सरकार ने साइबर फिजिकल सिस्टम के तहत माइनिंग के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव के लिए एक नेशनल मिशन को लिए गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट पर काम कर रही है. जिसके बाद विभिन्न माइनिंग के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव देखे जाएंगे. धनबाद स्थित आईआईटी-आईएसएम को इसके लिए महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

अगर सब कुछ ठीक रहा तो भविष्य में अत्याधुनिक तरीके से माइनिंग देखी जाएगी जैसा कि अक्सर विदेशों में देखा जाता है. उसी प्रकार अब भारत में भी टेक्नोलॉजी के माध्यम से माइनिंग होगी. जिसका मुख्य उद्देश्य स्मार्ट माइनिंग, सेफ माइनिंग, इकोनामिक माइनिंग और इन्वायरमेंटल फ्रेंडली माइनिंग करना है. धनबाद स्थित आईआईटी-आईएसएम के प्रोफेसर धीरज कुमार ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि नेशनल मिशन ऑन साइबर फिजिकल सिस्टम के लिए भारत सरकार ने प्रोजेक्ट प्रपोजल का डिमांड किया था. जिसमें 45 इंस्टिट्यूशन ने देशभर से भाग लिया था. जिसमें आईआईटी-आईएसएम भी शामिल है.

माइनिंग में लीड करने की जिम्मेवारी आईएसएम धनबाद को

इस सिस्टम के तहत 16 आईआईटी और एक एनआईटी को अलग-अलग कार्य सौंपे गए हैं. जिसमें माइनिंग, एग्रीकल्चर और ग्राउंड वाटर लेवल सहित जिम्मेदारियां दी गई है. धनबाद स्थित आईआईटी-आईएसएम को माइनिंग के लिए जाना जाता है. इस कारण इस संस्थान को माइनिंग में लीड करने की जिम्मेवारी सौंपी गई. प्रोफेसर धीरज कुमार ने बताया कि साइबर फिजिकल सिस्टम के तहत कुछ साइबर सिस्टम होते हैं और कुछ फिजिकल सिस्टम भी होते हैं. दोनों को इंटीग्रेट करने के बाद साइबर फिजिकल सिस्टम के तौर पर काम किया जाता है. जिसमें कम्युनिकेशन, टेक्नोलॉजी, रोबोटिक आदि कई चीजें होती हैं.

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उन्होंने बताया कि माइनिंग के क्षेत्र में क्या-क्या दिक्कतें हैं और उन दिक्कतों को टेक्नोलॉजी के जरिए कैसे खत्म किया जा सकता है. इन सभी चीजों के लिए लॉकडाउन के दौरान टेक्नोलॉजी के माध्यम से 18 स्टेक होल्डर से चर्चा की गई. सभी से स्काइप, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से चर्चा कर लगभग 250 करोड़ का डीपीआर तैयार की गई है. जो कुछ दिनों में सरकार को सौंप दी जाएगी. इस कार्य के लिए फिलहाल संस्थान को 7 करोड़ की राशि भी मिल चुकी है. टेक्नोलॉजी इनोवेशन हब इन माइनिंग आईआईटी-आईएसएम धनबाद के नाम से सेक्शन 8 इस कंपनी का नाम रखा जाएगा.

विदेशी कंपनियों से ली जाएगी मदद

संस्थान के प्रोफेसर ने कहा कि इसके लिए विदेशों की कुछ कंपनियों से भी मदद ली जाएगी. अगर वह आना चाहे तो इसमें मदद कर सकते हैं. लेकिन सारा टर्म एंड कंडीशन भारत सरकार के ही अधीन होगा. उन्होंने कहा कि विदेशों में बहुत ऐसी जगह हैं जहां पर ग्राउंड लेवल पर ड्राइवर लेस ट्रेनें चलती हैं और सरफेस पर बैठकर ही डीप माइनिंग की जाती है. कुछ दिनों में अब भारत में भी ऐसा देखने को मिलेगा.

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ईटीवी भारत के सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि रोबोटिक माइनिंग होने के बावजूद भी लोगों को घबराने की जरूरत नहीं है. क्योंकि इससे मेन पावर में कोई कमी नहीं होगी बल्कि मेन पावर बढ़ जाएगा. उन्होंने कहा कि पहले माइनिंग के क्षेत्र को लोग व्हाइट कॉलर जॉब नहीं मानते थे लेकिन टेक्नोलॉजी के माध्यम से जब माइनिंग की जाएगी तो यह धारणा भी दूर हो जाएगी. संस्थान के प्रोफेसर धीरज कुमार ने बताया कि कोरोना वायरस का असर इस प्रोजेक्ट पर दिख सकता है. परंतु उन्होंने कहा कि साइबर फिजिकल सिस्टम नेशनल मिशन गवर्नमेंट ऑफ इंडिया का अति महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट में से एक है. इसलिए कोरोना का बहुत ज्यादा असर इस पर नहीं पड़ेगा और जल्द ही इस पर कार्य शुरू हो जाएगा.

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