धनबादः विश्व की बड़ी पुनर्वास योजनाओं में शामिल झरिया मास्टर प्लान के तहत पुनर्वास योजना में धीमी गति को देखते हुए पीएमओ की टीम एक दिवसीय मैराथन दौरा अग्नि प्रभावित क्षेत्रों में किया है. साथ ही बेलगड़िया टाउनशिप फेज 3 में रह रहे लोगों की समस्या को जाना. पीएमओ टीम के साथ धनबाद जिला प्रशासन के अधिकारी भी मौजूद रहे.
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पीएमओ टीम सबसे पहले बेलगड़िया पहुंची, जहां टाउनशिप में रह रहे लोग से मिलकर उन लोगों की समस्याओं से अवगत हुए. स्थानीय लोगों ने पीएमओ टीम को बुनियादी सुविधा बिजली, पानी, सड़क, स्वास्थ्य के साथ-साथ रोजगार की समस्याओं की जानकारी दी. निरीक्षण में पाए गए रिपोर्ट को केंद्र को सौंपी जाएगी, जिसके बाद आगे की रणनीति तय होगी. पीएमओ टीम अधिकारियों के साथ रात में बैठक के बाद अगली सुबह रवाना हो जाएगी और केंद्र को रिपोर्ट सौंपेगी.
पीएमओ की टीम सोमवार को एक दिवसीय दौरे पर बेलगड़िया झरिया, अलकुसा, लोयाबाद गोधर होते हुए वापस कोयला भवन पहुंची. जहां देर रात अधिकारियों के साथ बैठक कर रिपोर्ट लेकर वापस दिल्ली के लिए रवाना हो जाएगी. टीम के सदस्यों ने बेलगड़िया में फेस 3 में रह रहे लोगों का समस्या को सुना. जिसके बाद टीम अपने काफिले के साथ मोहरी बांध अग्नि प्रभावित क्षेत्र पहुंची, जहां उन्होंने अग्नि प्रभावित क्षेत्रों का जायजा लिया. उन्होंने बताया कि अग्नि प्रभावित क्षेत्र में रह रहे लोगों को कैसे सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जाए, इसके लिए ही जांच करने के लिए टीम यहां पहुंची है.
पीएमओ की इस टीम में दिल्ली से अलग-अलग विभाग के लोग शामिल रहे. जिसमें कृष्णा वत्स, हुकुम सिंह मीणा, शेखर शरण और आरएम भट्टाचार्य शामिल थे. इन सभी ने मिलकर अग्नि प्रभावित क्षेत्रों का जायजा लिया, साथ ही अग्नि प्रभावित क्षेत्रों में रह रहे लोगों से भी बातें की और उन्हें समझाने का भी प्रयास किया.
उन्होंने कहा कि अग्नि प्रभावित क्षेत्रों में रह रहे लोगों का एक डाटा तैयार किया गया है. जिसपर सरकार नीतिगत निर्णय लेगी कि किसे, किस तरह से पुनर्वास करना है और सरकार इसका फैसला बहुत जल्द लेगी. टीम में शामिल हुकुम सिंह मीणा ने बताया कि की सबसे पहली प्राथमिकता है कि इलाके में आग को कैसे खत्म की जाए और उसमें जल रही प्रॉपर्टी को कैसे बचाया जाए, यह पहली प्राथमिकता होगी.
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क्या है झरिया मास्टर प्लान
झरिया पिछले सौ साल से आग पर बैठा दहक रहा है. लेकिन अब तक ना तो इस आग पर काबू पाया जा सका और ना ही अग्नि प्रभावित क्षेत्रों में बसे लोगों को सुरक्षित स्थान पर शिफ्ट किया गया. यहां 595 क्षेत्र अग्नि प्रभावित हैं, यहां आए दिन भूधंसान होता है. लोगों को सुरक्षित स्थान पर शिफ्ट करने के लिए 11 अगस्त 2009 को झरिया मास्टर प्लान लागू हुआ.
झरिया पुनर्वास योजना, संयुक्त बिहार के समय इस पर काम शुरू हुआ. याेजना काे मूर्त रूप देने के लिए झरिया पुनर्वास एवं विकास प्राधिकार का गठन हुआ. साल 1999 में पुनर्वास याेजना काे लेकर पहला मास्टर प्लान बना, पर केंद्रीय कैबिनेट से मंजूरी नहीं मिली. इसके बाद 2004 और 2006 में रिवाइजड मास्टर प्लान बना. तत्कालीन कैबिनेट ने यह कहते हुए नकार दिया कि इसमें सिर्फ कब्जाधारियाें काे बसाने की याेजना है. साल 2008 में फिर से रिवाइजड मास्टर प्लान बना, जिसमें रैयत, बीसीसीएल इंप्लायी और कब्जाधारियाें तीनाें काे बसाने की याेजना थी.
2008 में पुनर्वास याेजना के तहत 54 हजार परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर बसाने की याेजना पर काम शुरू हुआ. 2019 में सर्वे हुआ, जिसके अनुसार प्रभावित परिवारों की संख्या बढ़कर 1 लाख 4 हजार हो गई. 12 वर्ष मुश्किल से 3500 परिवारों काे ही बसाया जा सका है, वह भी सिर्फ कब्जाधारियाें काे. 2019 के सर्वे के अनुसार अब भी 1 लाख 5 सौ परिवार अग्नि और भू-धंसान प्रभावित क्षेत्रों में जिंदगी गुजार रहे हैं.
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2008 के मास्टर प्लान के तहत झरिया पुनर्वास एवं विकास प्राधिकार काे कुल बजट के तहत 3700 कराेड़ राशि खर्च करनी थी. लेकिन पुनर्वास याेजना की धीमी रफ्तार का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 12 साल में जेआरडीए लगभग 20 प्रतिशत ही राशि खर्च कर पाया. लिपनिया की जमीन पर 250 कराेड़ रुपए खर्च की गयी. बेलगड़िया आवासीय काॅलाेनी में 12 साल में मात्र 10 हजार क्वार्टर बने, प्रत्येक फेज में दाे हजार क्वार्टर, फेज 6, 7 और 8 अभी-भी निर्माणाधीन है.