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यहां अवैध तरीकों से हो रही सांपों की नुमाइश, जानकारी के बाद भी DFO बेपरवाह - सांपों का चिड़ियाघर

धनबाद के पंचेत इलाके में गैर कानूनी तरीके से सांपों की नुमाइश की जा रही है. इस बात की जानकारी डीएफओ विमल लकड़ा को 3 महीने पहले से है. इस मामले पर अधिकारी ने जांच का आश्वासन भी दिया था, लेकिन 3 महीना बीत जाने के बाद भी इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई है.

वन विभाग
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Published : Aug 23, 2019, 3:18 PM IST

धनबाद: जिले के पंचेत इलाके में सांपों का चिड़ियाघर चलाया जाता है. वह भी गैर कानूनी तरीके से क्योंकि नियम के अनुसार किसी भी जंगली जानवर या सांप को नहीं रखा जा सकता, लेकिन धनबाद डीएफओ को इसकी जानकारी देने के बावजूद भी अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है.

देखें पूरी खबर


इस बात की जानकारी डीएफओ विमल लकड़ा को 3 महीने पहले दिया गया था. तब उन्होंने आश्वासन भी दिया था कि वह इसकी जांच कर कार्रवाई करेंगे, लेकिन 3 महीना बीत जाने के बाद भी इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई है. इस बात से अंदाजा लगाय जा सकता है कि अधिकारी अपने काम को लेकर कितने गंभीर हैं. वहीं जब इस मामले पर डीएफओ से जवाब मांगा गया तो टाल-मटोल करते हुए जवाब देने से बचते नजर आए.

बता दें कि इस चिड़ियाघर में अनेकों तरह के सांप रखे गए हैं, जिसमें कुछ जहरीले हैं, कुछ जहरीले नहीं है और वहां पर बकायदा टिकट लेकर इन सांपों को दिखाया जाता है. चिड़ियाघर चलाने वाले मुबारक का कहना है कि वह सांपों का रेस्क्यू करते हैं. किसी के घर में या ऑफिस में सांप घुस जाने पर उन्हें बुलाया जाता है. वह सांपों को पकड़कर कुछ दिन चिड़ियाघर में रखते हैं फिर जंगल में छोड़ देते हैं.

ये भी पढे़ं: CBI करेगी अंतरिक्ष की मौत की जांच! मां ने पिता पर लगाया बेटे की हत्या का आरोप

पिछले दिनों धनबाद वन विभाग ने 53 साल के एक हथिनी को जब्त किया, जबकि इस हथिनी को महावत अपनी रोजी-रोटी में इस्तेमाल करता था. गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश से बंगाल एक हथिनी को ले जाने के क्रम में धनबाद वन विभाग ने कार्रवाई करते हुए उस हथिनी को जब्त कर लिया और महावत को जेल भेज दिया. जानकारी के अनुसार, महावत ने हाथिनी को 1967 में 8 हजार में सोनपुर मेले से खरीदा था, यह उसका पुश्तैनी धंधा था जो वर्षों से चला आ रहा था. ऐसे में सवाल ये है कि अगर कानून का हवाला देकर वन विभाग ने महावत क जेल भेज दिया तो फिर सांपों का चिड़ियाघर कैसे चल रहा है और उस पर क्यों नहीं करवाई हुई. यह अपने आप में गंभीर सवाल है.

धनबाद: जिले के पंचेत इलाके में सांपों का चिड़ियाघर चलाया जाता है. वह भी गैर कानूनी तरीके से क्योंकि नियम के अनुसार किसी भी जंगली जानवर या सांप को नहीं रखा जा सकता, लेकिन धनबाद डीएफओ को इसकी जानकारी देने के बावजूद भी अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है.

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इस बात की जानकारी डीएफओ विमल लकड़ा को 3 महीने पहले दिया गया था. तब उन्होंने आश्वासन भी दिया था कि वह इसकी जांच कर कार्रवाई करेंगे, लेकिन 3 महीना बीत जाने के बाद भी इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई है. इस बात से अंदाजा लगाय जा सकता है कि अधिकारी अपने काम को लेकर कितने गंभीर हैं. वहीं जब इस मामले पर डीएफओ से जवाब मांगा गया तो टाल-मटोल करते हुए जवाब देने से बचते नजर आए.

बता दें कि इस चिड़ियाघर में अनेकों तरह के सांप रखे गए हैं, जिसमें कुछ जहरीले हैं, कुछ जहरीले नहीं है और वहां पर बकायदा टिकट लेकर इन सांपों को दिखाया जाता है. चिड़ियाघर चलाने वाले मुबारक का कहना है कि वह सांपों का रेस्क्यू करते हैं. किसी के घर में या ऑफिस में सांप घुस जाने पर उन्हें बुलाया जाता है. वह सांपों को पकड़कर कुछ दिन चिड़ियाघर में रखते हैं फिर जंगल में छोड़ देते हैं.

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पिछले दिनों धनबाद वन विभाग ने 53 साल के एक हथिनी को जब्त किया, जबकि इस हथिनी को महावत अपनी रोजी-रोटी में इस्तेमाल करता था. गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश से बंगाल एक हथिनी को ले जाने के क्रम में धनबाद वन विभाग ने कार्रवाई करते हुए उस हथिनी को जब्त कर लिया और महावत को जेल भेज दिया. जानकारी के अनुसार, महावत ने हाथिनी को 1967 में 8 हजार में सोनपुर मेले से खरीदा था, यह उसका पुश्तैनी धंधा था जो वर्षों से चला आ रहा था. ऐसे में सवाल ये है कि अगर कानून का हवाला देकर वन विभाग ने महावत क जेल भेज दिया तो फिर सांपों का चिड़ियाघर कैसे चल रहा है और उस पर क्यों नहीं करवाई हुई. यह अपने आप में गंभीर सवाल है.

Intro:सर यह खबर 25 जून को भेजी गई थी

धनबाद:कोयलांचल धनबाद के पंचेत इलाके में सांपों का एक चिड़ियाघर चलाया जाता है. वह भी गैर कानूनी तरीके से क्योंकि नियम के अनुसार किसी भी जंगली जानवर या सांपों को बंधक बनाकर नहीं रखा जा सकता. लेकिन धनबाद डीएफओ को इसकी जानकारी देने के बावजूद भी अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है जो एक गंभीर सवाल है ओर कई सवालों को जन्म देता है। ईटीवी भारत में जून में ही इस खबर को प्रमुखता से चलाया था. लेकिन अभी तक इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई है.




Body:एक तरफ बीते दिनों धनबाद वन विभाग ने 53 साल के एक हथिनी को जप्त किया है जबकि इस हथिनी को महावत अपनी रोजी-रोटी में इस्तेमाल करता था और उसका पुश्तैनी धंधा था. गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश से बंगाल एक हथिनी को ले जाने के क्रम में धनबाद वन विभाग ने कार्रवाई करते हुए उस हथिनी को जप्त कर लिया है और महावत को जेल भेज दिया है. महावत के लाख गिड़गिड़ाने के बावजूद भी उसे नहीं छोड़ा गया. वर्ष 1967 में उसने 8 हजार में सोनपुर मेला से खरीदा था. जबकि यह उस महावत का पुश्तैनी धंधा था जो वर्षों से चला आ रहा था. इस पर वन विभाग कानून का हवाला देता है तो आखिर सांपों का चिड़ियाघर कैसा चल रहा है और ऊपर क्यों नहीं करवाई हुई यह अपने आप में गंभीर सवाल है.

आपको बता दें कि इस चिड़ियाघर में अनेकों तरह के सांप रखे गए हैं जिसमें कुछ जहरीले हैं कुछ जहरीले नहीं है और वहां पर बकायदा टिकट लेकर इन सांपों को दिखाया जाता है.चिड़ियाघर चलाने वाले मुबारक का कहना है कि वह सांपों का रेस्क्यू करते हैं किसी के घर में या ऑफिस में सांप घुस जाने पर उन्हें बुलाया जाता है और वह सांपों को पकड़कर कुछ दिन चिड़ियाघर में रखते हैं फिर जंगल में छोड़ देते हैं. लेकिन चिड़ियाघर में वह किस आधार पर रखते हैं और क्या रखा जाना उचित है.इस पर वन विभाग से ईटीवी भारत के संवाददाता जून में ही पूछा गया था. वन विभाग ने जानकारी नहीं होने की बात कही थी और उचित जांच का आश्वासन भी दिया था लेकिन उसके बावजूद भी आज तक नतीजा सिफर है. उस चिड़ियाघर में दो मुंह वाले सांप ही हैं बताया जाता है कि अंतरराष्ट्रीय मार्केट में इस सांप की कीमत करोड़ों रुपए है.


Conclusion:वही लगभग 2 महीना बीत जाने के बाद जब ईटीवी भारत के संवाददाता ने डीएफओ से इस बाबत जानकारी लेनी चाही तो उन्होंने पहले तो कुछ भी करने से मना कर दिया. फिर उन्होंने कहा कि अभी जांच चल रही है. तो ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर जांच कब तक पूरी होगी.

वाइट- विमल लकड़ा- डीएफओ धनबाद
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