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विधानसभा चुनाव 2019: निरसा सीट से मासस विधायक अरूप चटर्जी का रिपोर्ट कार्ड

निरसा विधानसभा सीट लाल झंडे का गढ़ माना जाता है. इस सीट पर बीजेपी अबतक अपना कब्जा नहीं कर पाई है. निरसा सीट से मासस विधायक अरूप चटर्जी लगातार दो बार विधायक रहे है. वैसे तो जनता विधायक के कार्यों से खुश हैं, लेकिन वक्त के साथ सबकुछ साफ हो जाएगा.

मासस विधायक अरूप चटर्जी
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Published : Sep 24, 2019, 9:03 PM IST

Updated : Sep 25, 2019, 12:08 PM IST

धनबादः कोयलांचल में चुनावी सरगर्मी अब तेज होने लगी है. जैसे-जैसे झारखंड विधानसभा का चुनाव का समय नजदीक आ रहा है सभी नेता चुनावी समर में कूद रहे हैं. जनता भी चुनाव का इंतजार कर रही है. इसी कड़ी आज हम चलते हैं धनबाद जिले के निरसा विधानसभा की सीट की ओर जहां जानते हैं वहां का हाल. फिलहाल निरसा विधानसभा सीट पर मासस (मार्क्सवादी समन्वय समिति) का कब्जा है और अरूप चटर्जी यहां से विधायक हैं.

अरूप चटर्जी का रिपोर्ट कार्ड

धनबाद जिले की 6 विधानसभा सीट में से 4 पर बीजेपी का कब्जा है. 1 पर बीजेपी के सहयोगी आजसू का कब्जा है. अगर निरसा विधानसभा की बात करें तो यहां एक ऐसी सीट है जहां पर आज तक बीजेपी का कमल नहीं खिल पाया है. निरसा विधानसभा को लाल झंडे का गढ़ माना जाता है.1989 में यहां से गुरदास चटर्जी जो वर्तमान विधायक अरूप चटर्जी के पिता थे. वह पहली बार चुनाव जीते थे और तब से लेकर एक विधानसभा चुनाव को छोड़कर अभी तक गुरदास चटर्जी और अरूप चटर्जी का ही कब्जा यहां पर रहा है. अरूप चटर्जी तीसरी बार निरमा की जनता का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं.

लगातार तीसरी बार अरूप चटर्जी रहे विधायक
1989 से लगातार तीसरी बार गुरदास चटर्जी निरसा से विधायक रहे है. विधायक रहते ही सन 2000 में उनकी हत्या कर दी गई थी. जिसके बाद हुए विधानसभा उपचुनाव में उनके पुत्र अरूप चटर्जी पहली बार विधायक बने. फिर ऑल इंडिया फारवर्ड ब्लाक नेता सुशांतो सेन गुप्ता की हत्या के बाद 2005 में उनकी पत्नी अपर्णा सेनगुप्ता यहां से विधायक बनी और वह राज्य सरकार में मंत्री भी रही. लेकिन उसके बाद हुए 2009 और 2014 विधानसभा चुनाव में अरूप चटर्जी चुनाव जीतने में कामयाब रहे.

विधायक अरूप चटर्जी बातचीत करते संवाददाता

बीजेपी के लिए बड़ी उपलब्धि
बता दें कि बीजेपी का कमल अबतक निरसा विधानसभा में नहीं खिल पाया है. हालांकि, 2014 विधानसभा चुनाव में बाजेपी ने मासस को यहां पर कड़ी टक्कर दी थी और बीजेपी लगभग 1200 वोटों से ही चुनाव हार गई थी. जो बीजेपी के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि थी, क्योंकि बीजेपी पहली बार दूसरे स्थान पर भी आने पर सफल रही.

अपर्णा सेनगुप्ता ने कसा तंज
वहीं, दूसरी तरफ अपर्णा सेनगुप्ता जो 2005 के चुनाव में निरसा से ऑल इंडिया फारवर्ड ब्लाक से विधायक बनी थी और राज्य में मंत्री भी रही वह अब बीजेपी में शामिल हो गई है. उन्होंने वर्तमान विधायक अरूप चटर्जी पर तंज कसते हुए कहा कि इस परिवार ने निरसा विधानसभा क्षेत्र में 30 सालों तक राज किया है और इनके कार्यकाल में कोई विकास नहीं देखने को मिला. सिर्फ विनाश ही देखने को मिला है. इनके कार्यकाल में उद्योग धंधे और कल कारखाने बंद ही हुए हैं. जनता आने वाले चुनाव में इस बार इन्हें जरूर सबक सिखाएगी.

ये भी पढ़ें- विधानसभा चुनाव 2019: मांडर सीट से बीजेपी विधायक गंगोत्री कुजूर का रिपोर्ट कार्ड

अपर्णा के समय ज्यादा हुआ विकास
वहीं, निरसा इलाके की जनता का कहना है कि अरूप चटर्जी लोगों के सुख-दुख में शामिल होते हैं और इन्हें फिर से मौका मिलना चाहिए. लेकिन कुछ लोगों का कहना है कि बहुत सारा काम विधायक जी ने नहीं किया है. जैसे पूर्व मंत्री अपर्णा सेनगुप्ता के द्वारा लगाए गए लाइटों का मरम्मत विधायक को करना चाहिए था वह अबतक नहीं हुआ है. बरबेंदिया पुल का निर्माण 12 वर्ष बीत जाने के बाद भी नहीं हो पाया इन सभी कामों को भी विधायक जी को देखना चाहिए था. लोगों का मानना है कि अपर्णा सेनगुप्ता के समय में निरसा क्षेत्र का विकास ज्यादा हुआ था.

किसके सिर सजेगा ताज
अब झारखंड विधानसभा चुनाव में ज्यादा समय नहीं रह गए हैं. ऐसे में अब जनता जनार्दन निरसा विधानसभा से किसे अपना बहुमूल्य वोट देकर विधानसभा भेजने का काम करती है यह तो चुनाव के बाद ही देखने को मिलेगा. फिलहाल सभी दल के नेता जनता के बीच जा रहे हैं और जनता को रिझाने में लगे हुए हैं, लेकिन यह जनता जनार्दन सब जानती है कि किसके सिर ताज सजाना है.

धनबादः कोयलांचल में चुनावी सरगर्मी अब तेज होने लगी है. जैसे-जैसे झारखंड विधानसभा का चुनाव का समय नजदीक आ रहा है सभी नेता चुनावी समर में कूद रहे हैं. जनता भी चुनाव का इंतजार कर रही है. इसी कड़ी आज हम चलते हैं धनबाद जिले के निरसा विधानसभा की सीट की ओर जहां जानते हैं वहां का हाल. फिलहाल निरसा विधानसभा सीट पर मासस (मार्क्सवादी समन्वय समिति) का कब्जा है और अरूप चटर्जी यहां से विधायक हैं.

अरूप चटर्जी का रिपोर्ट कार्ड

धनबाद जिले की 6 विधानसभा सीट में से 4 पर बीजेपी का कब्जा है. 1 पर बीजेपी के सहयोगी आजसू का कब्जा है. अगर निरसा विधानसभा की बात करें तो यहां एक ऐसी सीट है जहां पर आज तक बीजेपी का कमल नहीं खिल पाया है. निरसा विधानसभा को लाल झंडे का गढ़ माना जाता है.1989 में यहां से गुरदास चटर्जी जो वर्तमान विधायक अरूप चटर्जी के पिता थे. वह पहली बार चुनाव जीते थे और तब से लेकर एक विधानसभा चुनाव को छोड़कर अभी तक गुरदास चटर्जी और अरूप चटर्जी का ही कब्जा यहां पर रहा है. अरूप चटर्जी तीसरी बार निरमा की जनता का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं.

लगातार तीसरी बार अरूप चटर्जी रहे विधायक
1989 से लगातार तीसरी बार गुरदास चटर्जी निरसा से विधायक रहे है. विधायक रहते ही सन 2000 में उनकी हत्या कर दी गई थी. जिसके बाद हुए विधानसभा उपचुनाव में उनके पुत्र अरूप चटर्जी पहली बार विधायक बने. फिर ऑल इंडिया फारवर्ड ब्लाक नेता सुशांतो सेन गुप्ता की हत्या के बाद 2005 में उनकी पत्नी अपर्णा सेनगुप्ता यहां से विधायक बनी और वह राज्य सरकार में मंत्री भी रही. लेकिन उसके बाद हुए 2009 और 2014 विधानसभा चुनाव में अरूप चटर्जी चुनाव जीतने में कामयाब रहे.

विधायक अरूप चटर्जी बातचीत करते संवाददाता

बीजेपी के लिए बड़ी उपलब्धि
बता दें कि बीजेपी का कमल अबतक निरसा विधानसभा में नहीं खिल पाया है. हालांकि, 2014 विधानसभा चुनाव में बाजेपी ने मासस को यहां पर कड़ी टक्कर दी थी और बीजेपी लगभग 1200 वोटों से ही चुनाव हार गई थी. जो बीजेपी के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि थी, क्योंकि बीजेपी पहली बार दूसरे स्थान पर भी आने पर सफल रही.

अपर्णा सेनगुप्ता ने कसा तंज
वहीं, दूसरी तरफ अपर्णा सेनगुप्ता जो 2005 के चुनाव में निरसा से ऑल इंडिया फारवर्ड ब्लाक से विधायक बनी थी और राज्य में मंत्री भी रही वह अब बीजेपी में शामिल हो गई है. उन्होंने वर्तमान विधायक अरूप चटर्जी पर तंज कसते हुए कहा कि इस परिवार ने निरसा विधानसभा क्षेत्र में 30 सालों तक राज किया है और इनके कार्यकाल में कोई विकास नहीं देखने को मिला. सिर्फ विनाश ही देखने को मिला है. इनके कार्यकाल में उद्योग धंधे और कल कारखाने बंद ही हुए हैं. जनता आने वाले चुनाव में इस बार इन्हें जरूर सबक सिखाएगी.

ये भी पढ़ें- विधानसभा चुनाव 2019: मांडर सीट से बीजेपी विधायक गंगोत्री कुजूर का रिपोर्ट कार्ड

अपर्णा के समय ज्यादा हुआ विकास
वहीं, निरसा इलाके की जनता का कहना है कि अरूप चटर्जी लोगों के सुख-दुख में शामिल होते हैं और इन्हें फिर से मौका मिलना चाहिए. लेकिन कुछ लोगों का कहना है कि बहुत सारा काम विधायक जी ने नहीं किया है. जैसे पूर्व मंत्री अपर्णा सेनगुप्ता के द्वारा लगाए गए लाइटों का मरम्मत विधायक को करना चाहिए था वह अबतक नहीं हुआ है. बरबेंदिया पुल का निर्माण 12 वर्ष बीत जाने के बाद भी नहीं हो पाया इन सभी कामों को भी विधायक जी को देखना चाहिए था. लोगों का मानना है कि अपर्णा सेनगुप्ता के समय में निरसा क्षेत्र का विकास ज्यादा हुआ था.

किसके सिर सजेगा ताज
अब झारखंड विधानसभा चुनाव में ज्यादा समय नहीं रह गए हैं. ऐसे में अब जनता जनार्दन निरसा विधानसभा से किसे अपना बहुमूल्य वोट देकर विधानसभा भेजने का काम करती है यह तो चुनाव के बाद ही देखने को मिलेगा. फिलहाल सभी दल के नेता जनता के बीच जा रहे हैं और जनता को रिझाने में लगे हुए हैं, लेकिन यह जनता जनार्दन सब जानती है कि किसके सिर ताज सजाना है.

Intro:धनबाद. कोयलांचल धनबाद में भी चुनाव की सरगर्मी अब तेज होने लगी है. जैसे-जैसे झारखंड विधानसभा का चुनाव का समय नजदीक आ रहा है सभी नेता चुनावी समर में कूद रहे हैं और जनता भी चुनाव का इंतजार कर रही है. इसी कड़ी में आइए हम चलते हैं धनबाद जिले के निरसा विधानसभा की सीट पर और जानते हैं वहां का क्या हाल है. फिलहाल निरसा विधानसभा की सीट पर मासस (मार्क्सवादी समन्वय समिति) का कब्जा है और अरूप चटर्जी यहां से विधायक हैं.


Body:धनबाद जिले की 6 विधानसभा सीट पर 4 में भाजपा का कब्जा है. 1 पर भाजपा के सहयोगी आजसू का कब्जा है. अगर निरसा विधानसभा की बात करें तो यही एक ऐसी सीट है जहां पर आज तक भाजपा का कमल नहीं खिल पाया है. निरसा विधानसभा को लाल झंडे का गढ़ माना जाता है.1989 में यहां से गुरदास चटर्जी जो वर्तमान विधायक अरूप चटर्जी के पिता थे.वह पहली बार चुनाव जीते थे और तब से लेकर एक विधानसभा चुनाव को छोड़कर अभी तक गुरदास चटर्जी और अरूप चटर्जी का ही कब्जा यहां पर रहा है. अरूप चटर्जी तीसरी बार निरमा की जनता का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं.

1989 से लगातार तीसरी बार गुरदास चटर्जी निरसा से विधायक रहे.विधायक रहते ही सन 2000 में उनकी हत्या कर दी गई थी. जिसके बाद हुए विधानसभा उपचुनाव में उनके पुत्र अरूप चटर्जी पहली बार विधायक बने. फिर ऑल इंडिया फारवर्ड ब्लाक नेता सुशांतो सेन गुप्ता की हत्या के बाद उनकी पत्नी अपर्णा सेनगुप्ता यहां से विधायक बनी और वह राज्य सरकार में मंत्री भी रही लेकिन, फिर उसके बाद हुए विधानसभा चुनाव में अरूप चटर्जी चुनाव जीतने में कामयाब रहे और लगातार दूसरी बार अभी वह विधायक है. भाजपा का कमल आज तक निरसा विधानसभा में नहीं खिल पाया है हालांकि,2014 विधानसभा के चुनाव में भाजपा ने मासस को यहां पर कड़ी टक्कर दी थी और भाजपा लगभग 1200 वोटों से ही चुनाव हारी थी. भाजपा के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि थी क्योंकि भाजपा पहली बार दूसरे स्थान पर भी आने पर सफल रही.

वही दूसरी तरफ अपर्णा सेनगुप्ता जो 2005 के चुनाव में निरसा से ऑल इंडिया फारवर्ड ब्लाक से विधायक बनी थी और राज्य में मंत्री भी रही वह अब भाजपा में शामिल हो गई है. उन्होंने वर्तमान विधायक अरूप चटर्जी पर तंज कसते हुए कहा कि इस परिवार ने निरसा विधानसभा क्षेत्र में 30 सालों तक राज किया है और इनके कार्यकाल में कोई विकास नहीं देखने को मिला. सिर्फ विनाश ही देखने को मिला है. इनके कार्यकाल में उद्योग धंधे और कल कारखाने बंद ही हुए हैं. जनता आने वाले चुनाव में इस बार इन्हें जरूर सबक सिखाएगी.

वही निरसा इलाके की जनता का कहना है कि अरूप चटर्जी लोगों के सुख-दुख में शामिल होते हैं और इन्हें फिर से मौका मिलना चाहिए. लेकिन कुछ लोगों का कहना है कि बहुत सारा काम विधायक जी ने नहीं किया है जैसे पूर्व मंत्री अपर्णा सेनगुप्ता के द्वारा लगाए गए लाइटों का मरम्मत विधायक को करना चाहिए था वह नहीं हुआ है.बरबेंदिया पुल का निर्माण 12 वर्ष बीत जाने के बाद भी नहीं हो पाया इन सभी कामों को भी विधायक जी को देखना चाहिए था. लोगों का मानना है कि अपर्णा सेनगुप्ता के समय में निरसा क्षेत्र का विकास ज्यादा हुआ था.






Conclusion:अब झारखंड विधानसभा चुनाव में ज्यादा समय नहीं रह गए हैं ऐसे में अब जनता जनार्दन निरसा विधानसभा से कीन्हे अपना बहुमूल्य वोट देकर विधानसभा भेजने का काम करती है यह तो चुनाव के बाद ही देखने को मिलेगा. फिलहाल सभी दल के नेता जनता के बीच जा रहे हैं और जनता को रिझाने में लगे हुए हैं लेकिन यह जनता जनार्दन सब जानती है कि किन्हे विधान सभा भेजना है।
Last Updated : Sep 25, 2019, 12:08 PM IST
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