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लॉकडाउन के बाद कोयलांचल में प्रदूषण में देखी गई कमी, पर नहीं मिली राहत

कोरोना वायरस एक तरह से प्रकृति के लिए वरदान साबित हुआ है. इस लॉकडाउन में दिन-ब-दिन प्रदूषण में कमी आ रही है लेकिन कोयलांचल धनबाद में इसका कोई प्रभाव नहीं दिख रहा. शहर के प्रदूषण स्तर में खासा बदलाव नहीं हुआ है. पेश है ये रिपोर्ट.

Jharia city of Dhanbad most polluted city in Greenpeace India report
प्रदूषण से नहीं मिली राहत
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Published : Apr 10, 2020, 9:06 PM IST

धनबाद: कोयलांचल की गिनती कोयला खदानों के लिए होती है. धनबाद का झरिया शहर देश-विदेश में उन्नत किस्म के कोयले के लिए जाना जाता है, लेकिन झारिया शहर को उस समय आघात पहुंचा जब ग्रीन पीस इंडिया की रिपोर्ट में देश के सबसे प्रदूषित शहरों में झरिया का नाम आया. लॉकडाउन में धनबाद वासियों को प्रदूषण से राहत जरूर मिली है, लेकिन उतनी भी नहीं जितनी मिलनी चाहिए थी.

देखें पूरी खबर

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जानिए क्या है इसका मुख्य कारण

बता दें की ग्रीनपीस इंडिया की रिपोर्ट में झरिया शहर की गिनती कुछ माह पहले ही देश के सबसे प्रदूषित शहरों में हुई थी. लॉकडाउन की इस स्थिति में धनबाद वासियों को दूसरे शहरों की तरह ही यहां भी प्रदूषण से कमी की आशा की किरण दिख रही थी. लोगों को यह उम्मीद थी कि लॉक डाउन की स्थिति में कम से कम प्रदूषण स्तर में गिरावट होगी और इसका फायदा लोगों को मिलेगा, प्रदूषण स्तर में कमी आई भी जरूर है,लेकिन उस तरह की कमी धनबाद में नहीं देखी गई जिस तरह की उम्मीद धनबाद वासियों ने की थी.

लॉकडाउन के पहले धनबाद का प्रदूषण लेबल 21 मार्च तक 128 पीपीएम के करीब था. जनता कर्फ्यू के दिन 22 मार्च को प्रदूषण लेवल अचानक घटकर 70 पीपीएम के करीब पहुंच गया. 23 मार्च को भी स्थिति ठीक-ठाक ही रही ओर लगभग 75 पीपीएम के करीब उस दिन भी प्रदूषण लेवल देखा गया. 22 मार्च से 28 मार्च तक स्थिति 107 पीएमएम तक है.

लेकिन, जनता कर्फ्यू के बाद लॉकडाउन की स्थिति में जरूरी चीजों को छोड़कर सभी चीजों को बंद किया गया था. क्योंकि धनबाद की कोलियरी से कोयला उत्पादन होता है. कोयले से बिजली का उत्पादन भी होता है और ऊर्जा के लिए यह आवश्यक है, जिस कारण कोलियरी चालू हो गई और उस तरह का प्रदूषण लेवल कम नहीं हो पाया.

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22 मार्च से लेकर 28 मार्च तक प्रदूषण का लेवल ऐवरेज 107 पीपीएम के करीब पर था. जबकि 22 और 23 मार्च को 70 और 75 पीपीएम के करीब रहा. मंगलवार को प्रदूषण लेबल 103 के पीपीएम के करीब रहा, यानी कि जनता कर्फ्यू के दौरान ही प्रदूषण से धनबाद वासियों को राहत मिली थी उसके बाद फिर से प्रदूषण लेवल बढ़ गया है.

प्रदूषण का लेवल फिर से बढ़ने का कारण धनबाद की कोलियरी का फिर से चालू होना बताया जा रहा है. साथ ही आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत सड़कों पर गाड़ियां भी दौड़नी शुरू हो गई, जो जनता कर्फ्यू के दिन बंद था. कोलियरियां भी असेंसियसीएल सर्विस में आती है जिस कारण कोलियरियों को चालू रखा जाना है और धनबाद की सभी कोलियारियां लगभग चालू है, इस कारण प्रदूषण का लेवल 100 पीपीएम से ऊपर चला गया है.

झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण परिषद के क्षेत्रीय पदाधिकारी रामनारायण चौधरी ने बताया कि 100 पीपीएम के नीचे अगर प्रदूषण स्तर रहता है तो उसे ग्रीन लेबल में माना जाता है लेकिन अगर इसके ऊपर यह आंकड़ा होता है तो प्रदूषण का स्तर सही नहीं माना जा सकता है. ऐसे में उन्होंने इसका मुख्य कारण धनबाद की चालू कोलियरी और आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत धनबाद की सड़कों पर दौड़ रही गाड़ियों को बतलाया है.

कुल मिलाकर हम यह कह सकते हैं की लॉकडाउन की इस स्थिति में जहां पूरे देश में आम लोगों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. देश के कई शहरों में लोगों को प्रदूषण के मामलों में बड़ी राहत मिली है. धनबाद वासियों की अगर हम बात करें तो यहां पर लॉकडाउन के दौरान लोगों को भारी परेशानियों का भी सामना करना पड़ रहा है और प्रदूषण के मामलों में भी बहुत ज्यादा राहत नहीं मिली है.

धनबाद: कोयलांचल की गिनती कोयला खदानों के लिए होती है. धनबाद का झरिया शहर देश-विदेश में उन्नत किस्म के कोयले के लिए जाना जाता है, लेकिन झारिया शहर को उस समय आघात पहुंचा जब ग्रीन पीस इंडिया की रिपोर्ट में देश के सबसे प्रदूषित शहरों में झरिया का नाम आया. लॉकडाउन में धनबाद वासियों को प्रदूषण से राहत जरूर मिली है, लेकिन उतनी भी नहीं जितनी मिलनी चाहिए थी.

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जानिए क्या है इसका मुख्य कारण

बता दें की ग्रीनपीस इंडिया की रिपोर्ट में झरिया शहर की गिनती कुछ माह पहले ही देश के सबसे प्रदूषित शहरों में हुई थी. लॉकडाउन की इस स्थिति में धनबाद वासियों को दूसरे शहरों की तरह ही यहां भी प्रदूषण से कमी की आशा की किरण दिख रही थी. लोगों को यह उम्मीद थी कि लॉक डाउन की स्थिति में कम से कम प्रदूषण स्तर में गिरावट होगी और इसका फायदा लोगों को मिलेगा, प्रदूषण स्तर में कमी आई भी जरूर है,लेकिन उस तरह की कमी धनबाद में नहीं देखी गई जिस तरह की उम्मीद धनबाद वासियों ने की थी.

लॉकडाउन के पहले धनबाद का प्रदूषण लेबल 21 मार्च तक 128 पीपीएम के करीब था. जनता कर्फ्यू के दिन 22 मार्च को प्रदूषण लेवल अचानक घटकर 70 पीपीएम के करीब पहुंच गया. 23 मार्च को भी स्थिति ठीक-ठाक ही रही ओर लगभग 75 पीपीएम के करीब उस दिन भी प्रदूषण लेवल देखा गया. 22 मार्च से 28 मार्च तक स्थिति 107 पीएमएम तक है.

लेकिन, जनता कर्फ्यू के बाद लॉकडाउन की स्थिति में जरूरी चीजों को छोड़कर सभी चीजों को बंद किया गया था. क्योंकि धनबाद की कोलियरी से कोयला उत्पादन होता है. कोयले से बिजली का उत्पादन भी होता है और ऊर्जा के लिए यह आवश्यक है, जिस कारण कोलियरी चालू हो गई और उस तरह का प्रदूषण लेवल कम नहीं हो पाया.

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22 मार्च से लेकर 28 मार्च तक प्रदूषण का लेवल ऐवरेज 107 पीपीएम के करीब पर था. जबकि 22 और 23 मार्च को 70 और 75 पीपीएम के करीब रहा. मंगलवार को प्रदूषण लेबल 103 के पीपीएम के करीब रहा, यानी कि जनता कर्फ्यू के दौरान ही प्रदूषण से धनबाद वासियों को राहत मिली थी उसके बाद फिर से प्रदूषण लेवल बढ़ गया है.

प्रदूषण का लेवल फिर से बढ़ने का कारण धनबाद की कोलियरी का फिर से चालू होना बताया जा रहा है. साथ ही आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत सड़कों पर गाड़ियां भी दौड़नी शुरू हो गई, जो जनता कर्फ्यू के दिन बंद था. कोलियरियां भी असेंसियसीएल सर्विस में आती है जिस कारण कोलियरियों को चालू रखा जाना है और धनबाद की सभी कोलियारियां लगभग चालू है, इस कारण प्रदूषण का लेवल 100 पीपीएम से ऊपर चला गया है.

झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण परिषद के क्षेत्रीय पदाधिकारी रामनारायण चौधरी ने बताया कि 100 पीपीएम के नीचे अगर प्रदूषण स्तर रहता है तो उसे ग्रीन लेबल में माना जाता है लेकिन अगर इसके ऊपर यह आंकड़ा होता है तो प्रदूषण का स्तर सही नहीं माना जा सकता है. ऐसे में उन्होंने इसका मुख्य कारण धनबाद की चालू कोलियरी और आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत धनबाद की सड़कों पर दौड़ रही गाड़ियों को बतलाया है.

कुल मिलाकर हम यह कह सकते हैं की लॉकडाउन की इस स्थिति में जहां पूरे देश में आम लोगों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. देश के कई शहरों में लोगों को प्रदूषण के मामलों में बड़ी राहत मिली है. धनबाद वासियों की अगर हम बात करें तो यहां पर लॉकडाउन के दौरान लोगों को भारी परेशानियों का भी सामना करना पड़ रहा है और प्रदूषण के मामलों में भी बहुत ज्यादा राहत नहीं मिली है.

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