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झरिया की जंग में दो परिवार आमने-सामने, एक है देवरानी-जेठानी तो दूसरा चाचा-भतीजा - झरिया विधानसभा है हॉट सीट

कोयलांचल की सबसे हॉट सीट झरिया पर दो परिवारों के बीच कांटे की टक्कर है. इस सीट पर एक ही परिवार की देवरानी और जेठानी मैदान में है तो दूसरी तरफ चाचा और भतीजा के बीच कड़ी टक्कर है. जिससे झारखंड में विधानसभा चुनाव काफी दिलचस्प हो गया है.

Jharia Assembly seat of Dhanbad becomes hot seat
झरिया की जंग में दो परिवार
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Published : Dec 14, 2019, 2:02 PM IST

धनबाद: कोयलांचल की सबसे हॉट सीट मानी जाने वाली झरिया विधानसभा सीट पर दो परिवार आमने-सामने हैं. एक तरफ देवरानी और जेठानी पूर्णिमा सिंह और रागिनी सिंह है, तो वहीं दूसरी तरफ चाचा और भतीजा योगेंद्र यादव और अवधेश यादव चुनाव मैदान में आमने-सामने हैं.

देखें पूरी खबर

सिंह मेंशन के झरिया से वर्तमान विधायक संजीव सिंह की पत्नी रागिनी सिंह भाजपा के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं. वहीं स्वर्गीय नीरज सिंह की पत्नी पूर्णिमा सिंह कांग्रेस के टिकट पर झरिया से चुनाव लड़ रही हैं. वहीं दूसरी तरफ दूसरे परिवार के पूर्व मंत्री आबो देवी के पुत्र अवधेश यादव और उनके देवर योगेंद्र यादव चुनाव मैदान में हैं. योगेंद्र यादव झारखंड विकास मोर्चा के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं. जबकि अवधेश यादव आजसू से अपनी किस्मत आजमा रहे हैं.

35 सालों से एक परिवार का है राज
ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान झाविमो प्रत्याशी योगेंद्र यादव ने कहा कि झारिया को लूटने में एक परिवार ने कोई कसर नहीं छोड़ा है. लगभग पूरे कार्यकाल की बात करें तो 35 वर्षों से अधिक समय तक एक परिवार का ही राज झरिया विधानसभा की सीट पर रहा है. अपनी भाभी और पूर्व मंत्री आबो देवी पर भी उन्होंने प्रहार करते हुए कहा कि इस परिवार ने भी कोई कसर झरिया को लूटने में नही छोड़ी है. उन्होंने कहा झरिया विधानसभा में सिर्फ दो परिवार का राज रहा है और दोनों ने ही झरिया को सिर्फ लूटने का काम किया है.

झरिया में जनता का बदला है मूड
दोनों तरफ के परिवारों के मंत्री भी रहे हैं लेकिन फिर भी आज झरिया में सबसे बड़ी पलायन की है, पानी की है, रोजगार की है जो आज तक दूर नहीं हुआ है. झरिया की जनता बदलाव के मूड में है और एक नए चेहरे को विधायक बनाने की काम झरिया की जनता करेगी. उनकी भाभी आबो देवी के बारे में जब उनसे पूछा गया कि आपके परिवार ने भी झरिया में राज किया है, तो उन्होंने कहा जो भी जनप्रतिनिधि काम नहीं करेगी तो जनता उसे हटाने का भी काम करती है. लोगों ने जिताया तो लोगों ने हटा भी दिया.

ये भी पढ़ें- लातेहार के सदर अस्पताल का SNCU वार्ड बच्चों को दे रहा जीवनदान, कमजोर और नवजातों का मुफ्त में इलाज

23 दिसंबर को होगा फैसला
चुनाव के समय पक्ष और विपक्ष के बीच आरोप और प्रत्यारोप देखते ही बनता है. लेकिन, किसके सिर पर ताज होगा यह फैसला जनता जनार्दन करती है. ऐसे में आने वाले 23 दिसंबर को ही पता चल पाएगा की जनता के विश्वास में कौन खरा उतरता है और जनता किसे विधानसभा भेजती है.

धनबाद: कोयलांचल की सबसे हॉट सीट मानी जाने वाली झरिया विधानसभा सीट पर दो परिवार आमने-सामने हैं. एक तरफ देवरानी और जेठानी पूर्णिमा सिंह और रागिनी सिंह है, तो वहीं दूसरी तरफ चाचा और भतीजा योगेंद्र यादव और अवधेश यादव चुनाव मैदान में आमने-सामने हैं.

देखें पूरी खबर

सिंह मेंशन के झरिया से वर्तमान विधायक संजीव सिंह की पत्नी रागिनी सिंह भाजपा के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं. वहीं स्वर्गीय नीरज सिंह की पत्नी पूर्णिमा सिंह कांग्रेस के टिकट पर झरिया से चुनाव लड़ रही हैं. वहीं दूसरी तरफ दूसरे परिवार के पूर्व मंत्री आबो देवी के पुत्र अवधेश यादव और उनके देवर योगेंद्र यादव चुनाव मैदान में हैं. योगेंद्र यादव झारखंड विकास मोर्चा के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं. जबकि अवधेश यादव आजसू से अपनी किस्मत आजमा रहे हैं.

35 सालों से एक परिवार का है राज
ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान झाविमो प्रत्याशी योगेंद्र यादव ने कहा कि झारिया को लूटने में एक परिवार ने कोई कसर नहीं छोड़ा है. लगभग पूरे कार्यकाल की बात करें तो 35 वर्षों से अधिक समय तक एक परिवार का ही राज झरिया विधानसभा की सीट पर रहा है. अपनी भाभी और पूर्व मंत्री आबो देवी पर भी उन्होंने प्रहार करते हुए कहा कि इस परिवार ने भी कोई कसर झरिया को लूटने में नही छोड़ी है. उन्होंने कहा झरिया विधानसभा में सिर्फ दो परिवार का राज रहा है और दोनों ने ही झरिया को सिर्फ लूटने का काम किया है.

झरिया में जनता का बदला है मूड
दोनों तरफ के परिवारों के मंत्री भी रहे हैं लेकिन फिर भी आज झरिया में सबसे बड़ी पलायन की है, पानी की है, रोजगार की है जो आज तक दूर नहीं हुआ है. झरिया की जनता बदलाव के मूड में है और एक नए चेहरे को विधायक बनाने की काम झरिया की जनता करेगी. उनकी भाभी आबो देवी के बारे में जब उनसे पूछा गया कि आपके परिवार ने भी झरिया में राज किया है, तो उन्होंने कहा जो भी जनप्रतिनिधि काम नहीं करेगी तो जनता उसे हटाने का भी काम करती है. लोगों ने जिताया तो लोगों ने हटा भी दिया.

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23 दिसंबर को होगा फैसला
चुनाव के समय पक्ष और विपक्ष के बीच आरोप और प्रत्यारोप देखते ही बनता है. लेकिन, किसके सिर पर ताज होगा यह फैसला जनता जनार्दन करती है. ऐसे में आने वाले 23 दिसंबर को ही पता चल पाएगा की जनता के विश्वास में कौन खरा उतरता है और जनता किसे विधानसभा भेजती है.

Intro:धनबाद:कोयलांचल की सबसे ज्यादा हॉट सीट माने जाने वाली झरिया विधानसभा की सीट पर दो परिवार आमने-सामने है.एक तरफ देवरानी और जेठानी पूर्णिमा सिंह और रागिनी सिंह है वहीं, दूसरी तरफ चाचा और भतीजा योगेंद्र यादव और अवधेश यादव चुनाव मैदान में आमने-सामने हैं.


Body:आपको बता दें कि सिंह मेंशन के झरिया के वर्तमान विधायक संजीव सिंह की पत्नी रागिनी सिंह भाजपा के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं वही, स्वर्गीय नीरज सिंह की पत्नी पूर्णिमा सिंह कांग्रेस के टिकट पर झरिया से चुनाव लड़ रही हैं.वंही दूसरी तरफ दूसरे परिवार के पूर्व मंत्री आबो देवी के पुत्र अवधेश यादव और उनके देवर योगेंद्र यादव चुनाव मैदान में हैं.योगेंद्र यादव झारखंड विकास मोर्चा के टिकट पर चुनाव मैदान में है वही अवधेश यादव आजसू से अपनी किस्मत आजमा रहे हैं.

ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए झाविमो प्रत्याशी योगेंद्र यादव ने कहा कि झारिया को लूटने में एक परिवार ने कोई कसर नहीं छोड़ा है. लगभग पूरे कार्यकाल की बात करें तो 35 वर्षों से अधिक समय तक एक परिवार का ही राज झरिया विधानसभा की सीट पर रहा है. वही अपनी भाभी और पूर्व मंत्री आबो देवी पर भी उन्होंने प्रहार करते हुए कहा कि इस परिवार ने भी कोई कसर झरिया को लूटने में नही छोड़ी है. उन्होंने कहा झरिया विधानसभा में सिर्फ दो परिवार का राज रहा है और दोनों ने ही झरिया को सिर्फ लूटने का काम किया है.


दोनों तरफ के परिवारों के मंत्री भी रहे हैं लेकिन फिर भी आज झरिया में सबसे बड़ी पलायन की है, पानी की है,रोजगार की है जो आज तक दूर नहीं हुआ है झरिया की जनता बदलाव के मूड में है और एक नया चेहरा को विधायक बनाने की काम झरिया की जनता करेगी. उनकी भाभी आबो देवी के बारे में जब उनसे पूछा गया कि आपके परिवार ने भी झरिया में राज किया है, तो उन्होंने कहा जो भी जनप्रतिनिधि काम नहीं करेगी करेगा जनता हटाने का भी काम करती है.लोगों ने जिताया तो लोगों ने हटा भी दिया.


Conclusion:चुनाव के समय पक्ष और विपक्ष के बीच आरोप और प्रत्यारोप देखते ही बनता है.लेकिन,किसके सिर पर ताज होगा यह फैसला जनता जनार्दन करती है. ऐसे में आने वाले 23 दिसंबर को ही पता चल पाएगा की जनता के विश्वास में कौन खरा उतरता है और जनता किसे विधानसभा भेजने का काम करती है.
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