धनबाद: एक तरफ जहां लॉकडाउन के दौरान गरीब तबका अनाज के एक एक दाने को मोहताज है. तो वहीं दूसरी ओर सरकारी नुमाइंदों की वजह से सैकड़ों बोरी अनाज में कीड़ा लग जा रहा हैं. आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों को दी जाने वाली अनाज सरकारी व्यवस्था की पोल खोलती नजर आ रही है.
मीडिया के कैमरे सिर्फ बरामदे में पड़े अनाजों को ही कैद कर पाई है, लेकिन बाहर के दृश्य को देखकर सहज ही अंदाजा लगाया जा रहा था कि अंदर क्या हालात होंगे. मीडिया ने इसकी जानकारी परिषर में स्थित कार्यालय के बीडीओ को दी. बीडीओ साहब ने कहा कि यह चावल आंगनबाड़ी केंद्रों में बांटने की लिए फरवरी माह में आई थी. किस प्रकार से चावल बांटा गया है. यह जानकारी नही है.
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उन्होंने कहा कि अभी-अभी मामला संज्ञान में आया है. अब इस मामले की जांच करेंगे और वरीय पदाधिकारियों को रिपोर्ट करेंगें. लेकिन मीडिया को जो सूचना मिली थी. वह भी काफी पुख़्ता थी. मीडिया भला बीडीओ साहब को कहां छोड़ने वाली थी. मीडिया के कई सवालों के आगे बीडीओ साहब को जब जवाब समझ मे नहीं आया तो उन्होंने सीडीपीओ को फोन पर ही क्लास लगा दी.
मीडिया से छुपती रहीं सीडीपीओ
सीडीपीओ पूर्णिमा कुमारी को जब मीडिया के पहुंचने की सूचना मिली तो उन्होंने महिला पर्यवेक्षक को सेनापति बनाकर मीडिया के आगे कर दिया. महिला पर्यवेक्षक सीमा रानी ने बताया कि कमरे में रखे सारे चावल बांटे जा चुके हैं. अब थोड़ा बहुत चावल बरामदे में पड़ा है.
कई घंटे बीत जाने के बाद आखिरकार कमरे का ताला खोला गया. लेकिन तब-तक बीडीओ साहब और महिला पर्यवेक्षक जा चुके थे. यहां नाजीर नंदलाल मांझी ने आकर कमरे का ताला खोला. कमरे के अंदर का दृश्य देखने के बाद ऐसा लगा जैसे लापरवाही की हद हो गई है. सैकड़ों बोरा चावल पर मोटे मोटे कीड़े घूम रहे थे. बच्चों का निवाला कीड़े खा रहे थे.
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स्थानीय व्यक्ति ने बताया कि यहां से रात में अनाज निकाला जा रहा था. अब यह चावल कहां ले जाया जा रहा था मालूम नहीं. वहीं नाजीर ने बताया कि सीडीपीओ के आदेश बाद चावल का वितरण बंद कर दिया गया था. अब देखना यह है कि इस पूरे मामले पर वरीय अधिकारी आखिर दोषी पदाधिकारियों पर क्या कार्रवाई करते हैं.