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मजदूरों के मसीहा पूर्व सांसद एके राय की मनाई गई पुण्यतिथि, लोगों ने कहा ऐसा नेता न था न होगा

धनबाद लोकसभा के पूर्व सांसद कॉमरेड एके राय की पहली पुण्यतिथि आज मनाई गई. बता दें कि लंबी बीमारी के कारण वो काफी दिनों से बीमार थे और धनबाद के सेंट्रल हॉस्पिटल में उनका निधन हुआ था. एके राय मजदूरों के मसीहा थे. लोगों का मानना है कि एके राय जैसा दूसरा कोई नेता न था ओर न हो सकता है.

Former MP AK Rai death anniversary celebrated
एके राय की पहली पुण्यतिथि
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Published : Jul 21, 2020, 1:50 PM IST

धनबाद: कोयलांचल के मजदूरों के मसीहा कहे जाने वाले धनबाद के पूर्व सांसद कॉमरेड एके राय की पहली पुण्यतिथि मनाई गई. बता दें कि लंबी बीमारी के बाद आज ही के दिन धनबाद के सेंट्रल हॉस्पिटल में उनका निधन हुआ था.

एके राय ने अपना पूरा सादा जीवन व्यतीत किया. विलासिता से उन्हें कभी कोई मतलब नहीं रहा. झारखंड आंदोलन में भी इन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. यह सिंदरी विधानसभा से विधायक भी रहे और धनबाद लोकसभा से सांसद चुने गए लेकिन उसके बावजूद इन्होंने पेंशन के तौर पर एक रुपया भी सरकार से नहीं लिया. इन्होंने अपना पेंशन राहत कोष में दान कर दिया. आम लोगों के साथ-साथ धनबाद में राजनीति कर रहे लोग भी इन्हें अपना गुरु मानते थे. लोगों का मानना है कि एके राय जैसा दूसरा कोई नेता न था ओर न हो सकता है. चाहे वह किसी भी दल के नेता हो, किसी नेता से इनका बैर नहीं था और सभी दल के नेता इन्हें अपना आदर्श मानते थे.

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एक समय इनके कहने पर मिनटों में हजारों की संख्या में मर-मिटने के लिए भीड़ इकट्ठा हो जाती थी. उनके निधन के बाद पिछले वर्ष सेंट्रल हॉस्पिटल में हजारों की संख्या में मजदूर उनके अंतिम दर्शन को उमड़ पड़े थे. जैसे कोई घर का कोई सदस्य मरने के बाद लोगों को दुख होता है वैसे ही उन मजदूरों के आंखों में आंसू झलक रहे थे. श्रद्धांजलि देने के लिए हजारों की संख्या में लोगों की भीड़ इकट्ठा हुई थी, जो मोहलबनी घाट तक पहुंची थी. ऐसी भीड़ धनबाद में किसी राजनेता के अंत्योष्टि के समय आज तक नहीं देखी गई थी. सभी लोग अपनी स्वेच्छा से इनके अंतिम संस्कार में मोहलबनी घाट तक खुद-ब-खुद खींचे चले गए थे. उनके अंतिम दर्शन के लिए सभी राजनीतिक दल के नेता भी सेंट्रल हॉस्पिटल तक पहुंचे थे और सभी ने अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि इन्हें भेंट की थी.

धनबाद: कोयलांचल के मजदूरों के मसीहा कहे जाने वाले धनबाद के पूर्व सांसद कॉमरेड एके राय की पहली पुण्यतिथि मनाई गई. बता दें कि लंबी बीमारी के बाद आज ही के दिन धनबाद के सेंट्रल हॉस्पिटल में उनका निधन हुआ था.

एके राय ने अपना पूरा सादा जीवन व्यतीत किया. विलासिता से उन्हें कभी कोई मतलब नहीं रहा. झारखंड आंदोलन में भी इन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. यह सिंदरी विधानसभा से विधायक भी रहे और धनबाद लोकसभा से सांसद चुने गए लेकिन उसके बावजूद इन्होंने पेंशन के तौर पर एक रुपया भी सरकार से नहीं लिया. इन्होंने अपना पेंशन राहत कोष में दान कर दिया. आम लोगों के साथ-साथ धनबाद में राजनीति कर रहे लोग भी इन्हें अपना गुरु मानते थे. लोगों का मानना है कि एके राय जैसा दूसरा कोई नेता न था ओर न हो सकता है. चाहे वह किसी भी दल के नेता हो, किसी नेता से इनका बैर नहीं था और सभी दल के नेता इन्हें अपना आदर्श मानते थे.

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एक समय इनके कहने पर मिनटों में हजारों की संख्या में मर-मिटने के लिए भीड़ इकट्ठा हो जाती थी. उनके निधन के बाद पिछले वर्ष सेंट्रल हॉस्पिटल में हजारों की संख्या में मजदूर उनके अंतिम दर्शन को उमड़ पड़े थे. जैसे कोई घर का कोई सदस्य मरने के बाद लोगों को दुख होता है वैसे ही उन मजदूरों के आंखों में आंसू झलक रहे थे. श्रद्धांजलि देने के लिए हजारों की संख्या में लोगों की भीड़ इकट्ठा हुई थी, जो मोहलबनी घाट तक पहुंची थी. ऐसी भीड़ धनबाद में किसी राजनेता के अंत्योष्टि के समय आज तक नहीं देखी गई थी. सभी लोग अपनी स्वेच्छा से इनके अंतिम संस्कार में मोहलबनी घाट तक खुद-ब-खुद खींचे चले गए थे. उनके अंतिम दर्शन के लिए सभी राजनीतिक दल के नेता भी सेंट्रल हॉस्पिटल तक पहुंचे थे और सभी ने अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि इन्हें भेंट की थी.

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