ETV Bharat / city

धनबाद के इस पंचायत में झोपड़पट्टी में भूखा सोता है परिवार, मुखिया हैं बेखबर

author img

By

Published : Apr 27, 2020, 6:47 PM IST

Updated : Apr 27, 2020, 7:13 PM IST

लॉकडाउन को एक महीने बीत गए हैं. लेकिन अब भी गरीबों तक सरकारी मदद नहीं पहुंच रही है. झारखंड के कई क्षेत्रों में गरीब और मजदूरों को मुश्किल से एक वक्त की रोटी नसीब हो रही है. धनबाद के मेढ़ा पंचायत में झुग्गियों में रहने वाले लोग मुश्किलों से जूझ रहे हैं. उन्हें एक वक्त का राशन भी नहीं मिल रहा. एग्यारकुंड प्रखंड के नया नगर गांव में कई गरीब और मजदूर मांग कर खाना खाने को विवश हैं.

family sleeps hungry
भूखा पंचायत

निरसा, धनबाद: कोरोना वायरस को लेकर जहां पूरा देश को लॉकडाउन किया गया है. इस स्थिति में जहां लोग को घरों से निकलने पर पूरी तरह से पाबंदी लगी हुई है. ऐसे में रोज कमाने-खाने वालों पर संकट का बादल मंडराने लगा है, जिसके कारण सैकड़ों परिवार की स्थिति बहुत ही दयनीय हो गई है. ताजा मामला निरसा विधानसभा के एग्यारकुंड प्रखंड के मेढ़ा पंचायत स्थित नया नगर का है. जहां पंचायत में रहने वाले दर्जनों ऐसे परिवार हैं जिसका स्थिति आज दयनीय हो गई है.

वीडियो में देखिए स्पेशल रिपोर्ट

इस पंचायत में रहने वाली सोनी देवी अपने चार बेटियों के साथ प्लास्टिक से बने घरों में रहने को मजबूर हैं पति सोनू पासवान दिहाड़ी मजदूर हैं और लॉकडाउन की वजह से सारा काम धंधा बंद है जिसके कारण सोनू पासवान भूखे सोने को मजबूर है. सोनी देवी 3 माह पूर्व राशन कार्ड के लिए ऑनलाइन आवेदन भी कर चुकी हैं, लेकिन वैश्विक महामारी में उस परिवार को जन वितरण प्रमाण प्रणाली के दुकानदार राशन भी नहीं रहे हैं.

family sleeps hungry
आंकड़ा

भुखमरी के कगार पर परिवार, कोई नहीं ले रहा सूध

सोनी देवी के पास लाल कार्ड, राशन कार्ड की कोई व्यवस्था नहीं है और ना ही इसका कोई सुध लेने वाला है. वहीं इस पंचायत में ऐसे कई परिवार हैं जो भुखमरी के कगार पर हैं. लॉकडाउन में जहां सरकार अनेक योजनाओं को धरातल में उतारने में लगी है वहीं एग्यारकुंड प्रखंड के मेढ़ा पंचायत का कोई सूध लेने वाला तक नहीं है. ऐसे में कहीं न कहीं सरकार को इन योजनाओं को धरातल पर सही ढंग से उतारने के लिए प्रखंड स्तर पर जांच हेतु एक जिम्मेवार पदाधिकारी का होना अनिवार्य है. ताकि इस महामारी में किसी भी व्यक्ति को खाने-पीने की वजह से भुखमरी का सामना ना करना पड़े.

family sleeps hungry
आंकड़ा

ये भी पढ़ें- झारखंड में 91 हुई कोरोना मरीजों की संख्या, 3 लोगों की मौत, 13 हुए स्वस्थ

आंकड़ों के अनुसार

मेढ़ा पंचायत की मुखिया सोनाली मंडल ने बताया कि मेढ़ा पंचायत की आबादी लगभग 7,000 की है. यहां 1100 लोगों के पास राशन कार्ड हैं. वहीं पंचायत में 9 पीडीएस दुकान हैं जिसमें से 8 फिलहाल संचालित हैं. मुखिया के अनुसार पंचायत में 300 परिवार का राशन कार्ड के लिए ऑनलाइन आवेदन हो चुका है. वहीं 200 लोगों का आवास बनाना अभी भी बाकी है. वहीं सोनी देवी का राशन कार्ड के लिए ऑनलाइन नाम चढ़ाए जाने के बावजूद भी जन वितरण प्रणाली दुकानदार उन्हें राशन नहीं दे रहे. मुखिया भी उन्हें राशन नहीं देने की बात सामने आई है लेकिन मुखिया कहती है कि हमने उन्हें 5 किलो अनाज दिया है.

family sleeps hungry
आंकड़ा

ये भी पढ़ें- गढ़वा: कोरोना पॉजिटिव दोनों बच्चे कोविड हॉस्पिटल में भर्ती, डॉक्टरों ने शुरू किया इलाज

36.11 करोड़ का सरकारी अनुदान

बता दें कि राज्य में कोविड-19 संक्रमण और संभावित महामारी को देखते हुए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत गरीबी रेखा से नीचे के परिवार को 10-10 किलो चावल प्रतिमाह उपलब्ध कराना है. जिसके लिए राज्य सरकार ने 36.11 करोड़ रुपए की स्वीकृति प्रदान की है. ऐसे में सोनी देवी जैसे जरूरतमंद परिवार के लोगों का इस योजना से वंचित रहना कहीं न कहीं सरकारी व्यवस्था पर सवाल खड़ा करती है.

निरसा, धनबाद: कोरोना वायरस को लेकर जहां पूरा देश को लॉकडाउन किया गया है. इस स्थिति में जहां लोग को घरों से निकलने पर पूरी तरह से पाबंदी लगी हुई है. ऐसे में रोज कमाने-खाने वालों पर संकट का बादल मंडराने लगा है, जिसके कारण सैकड़ों परिवार की स्थिति बहुत ही दयनीय हो गई है. ताजा मामला निरसा विधानसभा के एग्यारकुंड प्रखंड के मेढ़ा पंचायत स्थित नया नगर का है. जहां पंचायत में रहने वाले दर्जनों ऐसे परिवार हैं जिसका स्थिति आज दयनीय हो गई है.

वीडियो में देखिए स्पेशल रिपोर्ट

इस पंचायत में रहने वाली सोनी देवी अपने चार बेटियों के साथ प्लास्टिक से बने घरों में रहने को मजबूर हैं पति सोनू पासवान दिहाड़ी मजदूर हैं और लॉकडाउन की वजह से सारा काम धंधा बंद है जिसके कारण सोनू पासवान भूखे सोने को मजबूर है. सोनी देवी 3 माह पूर्व राशन कार्ड के लिए ऑनलाइन आवेदन भी कर चुकी हैं, लेकिन वैश्विक महामारी में उस परिवार को जन वितरण प्रमाण प्रणाली के दुकानदार राशन भी नहीं रहे हैं.

family sleeps hungry
आंकड़ा

भुखमरी के कगार पर परिवार, कोई नहीं ले रहा सूध

सोनी देवी के पास लाल कार्ड, राशन कार्ड की कोई व्यवस्था नहीं है और ना ही इसका कोई सुध लेने वाला है. वहीं इस पंचायत में ऐसे कई परिवार हैं जो भुखमरी के कगार पर हैं. लॉकडाउन में जहां सरकार अनेक योजनाओं को धरातल में उतारने में लगी है वहीं एग्यारकुंड प्रखंड के मेढ़ा पंचायत का कोई सूध लेने वाला तक नहीं है. ऐसे में कहीं न कहीं सरकार को इन योजनाओं को धरातल पर सही ढंग से उतारने के लिए प्रखंड स्तर पर जांच हेतु एक जिम्मेवार पदाधिकारी का होना अनिवार्य है. ताकि इस महामारी में किसी भी व्यक्ति को खाने-पीने की वजह से भुखमरी का सामना ना करना पड़े.

family sleeps hungry
आंकड़ा

ये भी पढ़ें- झारखंड में 91 हुई कोरोना मरीजों की संख्या, 3 लोगों की मौत, 13 हुए स्वस्थ

आंकड़ों के अनुसार

मेढ़ा पंचायत की मुखिया सोनाली मंडल ने बताया कि मेढ़ा पंचायत की आबादी लगभग 7,000 की है. यहां 1100 लोगों के पास राशन कार्ड हैं. वहीं पंचायत में 9 पीडीएस दुकान हैं जिसमें से 8 फिलहाल संचालित हैं. मुखिया के अनुसार पंचायत में 300 परिवार का राशन कार्ड के लिए ऑनलाइन आवेदन हो चुका है. वहीं 200 लोगों का आवास बनाना अभी भी बाकी है. वहीं सोनी देवी का राशन कार्ड के लिए ऑनलाइन नाम चढ़ाए जाने के बावजूद भी जन वितरण प्रणाली दुकानदार उन्हें राशन नहीं दे रहे. मुखिया भी उन्हें राशन नहीं देने की बात सामने आई है लेकिन मुखिया कहती है कि हमने उन्हें 5 किलो अनाज दिया है.

family sleeps hungry
आंकड़ा

ये भी पढ़ें- गढ़वा: कोरोना पॉजिटिव दोनों बच्चे कोविड हॉस्पिटल में भर्ती, डॉक्टरों ने शुरू किया इलाज

36.11 करोड़ का सरकारी अनुदान

बता दें कि राज्य में कोविड-19 संक्रमण और संभावित महामारी को देखते हुए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत गरीबी रेखा से नीचे के परिवार को 10-10 किलो चावल प्रतिमाह उपलब्ध कराना है. जिसके लिए राज्य सरकार ने 36.11 करोड़ रुपए की स्वीकृति प्रदान की है. ऐसे में सोनी देवी जैसे जरूरतमंद परिवार के लोगों का इस योजना से वंचित रहना कहीं न कहीं सरकारी व्यवस्था पर सवाल खड़ा करती है.

Last Updated : Apr 27, 2020, 7:13 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.