ETV Bharat / city

विस्थापन के दंश से धधकी संघर्ष की आंच, 300 साल पुराने कब्रिस्तान में दफनाने जाते हैं 70 बस्तियों के शव

कोयलांचल में सुरक्षित कौन है यह कह पाना थोड़ा मुश्किल भरा होगा. अग्नि प्रभावित और भू धंसान क्षेत्र में बसे लोगों का जीना मुहाल तो है ही लेकिन मरने के बाद भी उन्हें कब्र में चैन नहीं मिलने वाला है.

author img

By

Published : Apr 21, 2019, 10:49 AM IST

डिजाइन इमेज

धनबाद: जरेडा के तहत पुनर्वासित किए जा रहे मुस्लिम समुदाय के लिए यह एक बड़ा सवाल है. विस्थापित होकर बेलगड़िया में बसे लोगों को कई साल बीत जाने के बाद भी एक कब्रिस्तान तक नसीब नही हुआ है. शब-ए-बारात के मौके पर भी बेलगड़िया में बसाए गए लोग इबादत करने अपने सैंकड़ों साल पुराने कब्रिस्तान ही पहुंचते हैं.

देखें पूरी खबर.

झरिया का होरलाडीह कब्रिस्तान करीब 300 साल पुराना है. कहा जाता है कि अंग्रेजों के साथ हुई जंग में शहीद हुए कई लोगों के शवों को इसी कब्र में दफनाया गया था. 70 बस्तियों में मरने वाले लोगों के शवों को दफनाने का सिलसिला सैकड़ों सालों से लगातार चलता आ रहा है. अब तक लाखों शव 54 एकड़ में फैले इस कब्रिस्तान में दफनाए जा चुके हैं. विस्थापित होकर बेलगड़िया टाउनशिप में बसे लोग शब-ए-बारात के मौके पर यहां अपने पूर्वजों की इबादत करने पहुंचते हैं.

इबादत करने वाले लोग कहते हैं कि विस्थापन के नाम पर लोगों को उजाड़ा जा रहा है. लेकिन यदि इस कब्रिस्तान को उजाड़ने की बारी आयी तो हम अपनी जान दे देंगे. लोगों ने कहा अपने पूर्वजों को बचाने के लिए हम जान की बाजी लगा देंगे. वहीं, बीसीसीएल की डीपी आरएस महापात्रा ने कहा कि सिर्फ मुस्लिम ही नहीं बल्कि सभी समुदायों की यह भावनात्मक बातें हैं कि उनके पूर्वज आखिर कहां जाएंगे. लोगों को जहां विस्थापित किया जा रहा है उसके आसपास कब्रिस्तान का जगह दिया जा सकता है.

ये भी पढ़ें- बीजेपी प्रवक्ता ने लालू यादव पर कसा तंज, कहा-लोकतंत्र के लिए काला अध्याय है RJD

इस मामले पर जिले के उपायुक्त ने कहा कि यह समस्या पहली बार आपने रखी है. अगर ऐसी समस्या है तो जल्द ही उसका समाधान किया जाएगा. बहरहाल बेलगड़िया में बसे लोगों को कब्रिस्तान कब नसीब होगा यह तो आनेवाला समय ही बताएगा लेकिन सैकड़ों साल पुराने कब्रिस्तान को विस्थापित करना प्रशासन के लिए किसी चुनौती से कम नहीं होगा.

धनबाद: जरेडा के तहत पुनर्वासित किए जा रहे मुस्लिम समुदाय के लिए यह एक बड़ा सवाल है. विस्थापित होकर बेलगड़िया में बसे लोगों को कई साल बीत जाने के बाद भी एक कब्रिस्तान तक नसीब नही हुआ है. शब-ए-बारात के मौके पर भी बेलगड़िया में बसाए गए लोग इबादत करने अपने सैंकड़ों साल पुराने कब्रिस्तान ही पहुंचते हैं.

देखें पूरी खबर.

झरिया का होरलाडीह कब्रिस्तान करीब 300 साल पुराना है. कहा जाता है कि अंग्रेजों के साथ हुई जंग में शहीद हुए कई लोगों के शवों को इसी कब्र में दफनाया गया था. 70 बस्तियों में मरने वाले लोगों के शवों को दफनाने का सिलसिला सैकड़ों सालों से लगातार चलता आ रहा है. अब तक लाखों शव 54 एकड़ में फैले इस कब्रिस्तान में दफनाए जा चुके हैं. विस्थापित होकर बेलगड़िया टाउनशिप में बसे लोग शब-ए-बारात के मौके पर यहां अपने पूर्वजों की इबादत करने पहुंचते हैं.

इबादत करने वाले लोग कहते हैं कि विस्थापन के नाम पर लोगों को उजाड़ा जा रहा है. लेकिन यदि इस कब्रिस्तान को उजाड़ने की बारी आयी तो हम अपनी जान दे देंगे. लोगों ने कहा अपने पूर्वजों को बचाने के लिए हम जान की बाजी लगा देंगे. वहीं, बीसीसीएल की डीपी आरएस महापात्रा ने कहा कि सिर्फ मुस्लिम ही नहीं बल्कि सभी समुदायों की यह भावनात्मक बातें हैं कि उनके पूर्वज आखिर कहां जाएंगे. लोगों को जहां विस्थापित किया जा रहा है उसके आसपास कब्रिस्तान का जगह दिया जा सकता है.

ये भी पढ़ें- बीजेपी प्रवक्ता ने लालू यादव पर कसा तंज, कहा-लोकतंत्र के लिए काला अध्याय है RJD

इस मामले पर जिले के उपायुक्त ने कहा कि यह समस्या पहली बार आपने रखी है. अगर ऐसी समस्या है तो जल्द ही उसका समाधान किया जाएगा. बहरहाल बेलगड़िया में बसे लोगों को कब्रिस्तान कब नसीब होगा यह तो आनेवाला समय ही बताएगा लेकिन सैकड़ों साल पुराने कब्रिस्तान को विस्थापित करना प्रशासन के लिए किसी चुनौती से कम नहीं होगा.

Intro:सैंकड़ों साल से कब्र में समाहित लाखों मृत आत्माओं को आखिर कहां और कैसे मिलेगी शरण part two _Visual


Body:सैंकड़ों साल से कब्र में समाहित लाखों मृत आत्माओं को आखिर कहां और कैसे मिलेगी शरण part two _Visual


Conclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.