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बच्चों के डिप्रेशन और सुसाइड की दास्तांः 10वीं की अंशिका ने लिख दी किताब

धनबाद में 10वीं की छात्रा अंशिका लॉकडाउन पीरियड में बच्चों के सुसाइड की खबरों से काफी आहत हुई, इसपर उसने अध्ययन किया. नतीजतन इससे मिली प्रेरणा से उसने किताब लिख डाली. अंशिका ने 350 पन्ने की 'द पेंटेड पॉर्च' (The Painted Porch) किताब लिखी है, जो बच्चों के डिप्रेशन (depression) और फिर सुसाइड suicide) की दास्तां है.

10th class student anshika written a book
अपनी किताब के साथ अंशिका
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Published : Jun 14, 2021, 11:19 AM IST

Updated : Jun 15, 2021, 5:00 PM IST

धनबादः कोरोना कि पहली और दूसरी लहर ने कई लोगों की जिंदगी तबाह बर्बाद की है, तो कइयों की जिंदगी को नई राह भी दिखाई है. हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि जब कोरोना के खौफ से लोग तनाव में थे, तब धनबाद की एक बेटी ने बच्चों की सुसाइड पर शोध (Children's suicide research) किया और 350 पन्ने की किताब लिखी.

ये भी पढ़ें-कश्मीर : लॉकडाउन में बच्ची की लिखी भावनाओं ने लिया किताब का रूप

अंशिका बच्चें के सुसाइड से खुद हो जाती थी विचलित

अंशिका के पिता पेशे से वकील हैं और मां हाउस वाइफ है. अंशिका की मां बताती है कि अंशिका को शुरू से अखबार पढ़ने में रुचि रही है. ऐसे में जब भी बच्चों की सुसाइड की खबरों को पढ़ती तो विचलित हो जाती और पूछती कि आखिर बच्चे भी सुसाइड कर सकते हैं क्या और करते है तो क्यों? वो खुद भी डिप्रेस हो जाती थी, इस बीच अंशिका ने बच्चों की सुसाइड पर लिखने की सोची और यह किताब लिख डाली.

देखें स्पेशल स्टोरी

धनबाद की अंशिका प्रसाद दसवीं कक्षा की छात्रा है, जो आए दिन अखबारों में बच्चों की सुसाइड की खबर पढ़कर दुखी होती थी. बच्चों की सुसाइड की खबरों को पढ़कर वह खुद भी डिप्रेस हो रही थी. कोरोना की पहली लहर के समय ही स्कूल बंद हो गए थे. ऐसे में घर में ही अंशिका का समय बीतता था. इस बीच अंशिका को इस विषय पर कुछ लिखने की इच्छा हुई और उसने 350 पन्नों की एक किताब लिख डाली जिसका नाम द पेंटेड पॉर्च (The Painted Porch) दिया.

अंशिका ने तनाव को लेकर पहले भी लिखी है किताब

अंशिका ने इससे पहले भी एक किताब लिखी है, लेकिन यह किताब एक बड़े पहलू को जाहिर करता है जो बड़े मुद्दे को लेकर लिखी गई है कि आखिर कैसे इस भागदौड़ के जीवन में बच्चे मानसिक तनाव के शिकार हो रहे हैं और खुदकुशी जैसा बड़ा कदम उठा बैठते हैं.

धनबादः कोरोना कि पहली और दूसरी लहर ने कई लोगों की जिंदगी तबाह बर्बाद की है, तो कइयों की जिंदगी को नई राह भी दिखाई है. हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि जब कोरोना के खौफ से लोग तनाव में थे, तब धनबाद की एक बेटी ने बच्चों की सुसाइड पर शोध (Children's suicide research) किया और 350 पन्ने की किताब लिखी.

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अंशिका बच्चें के सुसाइड से खुद हो जाती थी विचलित

अंशिका के पिता पेशे से वकील हैं और मां हाउस वाइफ है. अंशिका की मां बताती है कि अंशिका को शुरू से अखबार पढ़ने में रुचि रही है. ऐसे में जब भी बच्चों की सुसाइड की खबरों को पढ़ती तो विचलित हो जाती और पूछती कि आखिर बच्चे भी सुसाइड कर सकते हैं क्या और करते है तो क्यों? वो खुद भी डिप्रेस हो जाती थी, इस बीच अंशिका ने बच्चों की सुसाइड पर लिखने की सोची और यह किताब लिख डाली.

देखें स्पेशल स्टोरी

धनबाद की अंशिका प्रसाद दसवीं कक्षा की छात्रा है, जो आए दिन अखबारों में बच्चों की सुसाइड की खबर पढ़कर दुखी होती थी. बच्चों की सुसाइड की खबरों को पढ़कर वह खुद भी डिप्रेस हो रही थी. कोरोना की पहली लहर के समय ही स्कूल बंद हो गए थे. ऐसे में घर में ही अंशिका का समय बीतता था. इस बीच अंशिका को इस विषय पर कुछ लिखने की इच्छा हुई और उसने 350 पन्नों की एक किताब लिख डाली जिसका नाम द पेंटेड पॉर्च (The Painted Porch) दिया.

अंशिका ने तनाव को लेकर पहले भी लिखी है किताब

अंशिका ने इससे पहले भी एक किताब लिखी है, लेकिन यह किताब एक बड़े पहलू को जाहिर करता है जो बड़े मुद्दे को लेकर लिखी गई है कि आखिर कैसे इस भागदौड़ के जीवन में बच्चे मानसिक तनाव के शिकार हो रहे हैं और खुदकुशी जैसा बड़ा कदम उठा बैठते हैं.

Last Updated : Jun 15, 2021, 5:00 PM IST
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