देवघरः जिले से महज 10 किलोमीटर दूर सियाटांड़ गांव आजादी के बाद से अबतक नही जुड़ा है. मुख्यमार्ग से सटे दो सौ घरों की एक हजार आबादी वाला यह गांव अब चंदा इकट्ठा कर खुद श्रमदान कर सड़क बनाने में जुट गए हैं.
दरअसल, सियाटांड़ के ग्रामीणों को डर है कि सड़क नहीं रहने की वजह से लड़के लड़कियों की शादी न टूट जाए, तो वहीं आने-जाने में छात्र छात्राओं सहित लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. उनकी शिकायत है कि चुनाव के वक्त अधिकारी से लेकर जनप्रतिनिधि तो जरूर पहुंचते है लेकिन आज तक किसी ने इसकी सुध नहीं ली.
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ग्रामीण श्रमदान के लिए ले रहे चंदा
ग्रामीणों का कहना है कि सड़क नहीं होने के कारण मरीज को अस्पताल ले जाने के लिए आज भी चारपाई का इस्तेमाल किया जाता है. यहां के बच्चे को पढ़ाई लिखाई में भी काफी परेशानी होती है. सड़क नहीं रहने के कारण लोग हादसे का भी शिकार हो रहे हैं. जिसके बाद ग्रामीणों ने खुद श्रमदान कर सड़क बनाने के लिए 2 सौ रुपये प्रत्येक घर से चंदा इकट्ठा कर रहे हैं.
डीसी ने मामले में लिया संज्ञान
मामले में सियाटांड़ के ग्रामीणों ने सड़क को लेकर सीएम, एमपी, एमएलए, मुखिया, जिला प्रशासन से गुहार लगा चुके हैं, लेकिन किसी ने आज तक इसकी सुध नहीं ली. इस समस्याओं को लेकर जब ईटीवी भारत ने देवघर जिला उपायुक्त नैन्सी सहाय को अवगत कराया गया तो उन्होंने संज्ञान लेते हुए कहा है कि जल्द ही सियाटांड़ से मुख्यमार्ग तक कि सड़क को लेकर संबंधित अधिकारियों द्वारा इस्टमिट तैयार कर फंड की व्यवस्था कर सड़क को मुख्यमार्ग से जोड़ दिया जाएगा.