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सड़क से जुड़ी है कई रिश्तों की डोर, टूटने के डर से ग्रामीण श्रमदान कर बना रहे सड़क - देवघर में चंदा इकट्ठा कर ग्रामीण सड़क बना रहे

आजादी के बाद से अबतक देवघर मुख्यमार्ग से सियाटांड जुड़ नहीं सका है. ऐसे में ग्रामीणों ने खुद ही श्रमदान कर सड़क बनाने की ठानी और इसे लेकर हर घर से 200 रुपए चंदा इक्टठा किया जा रहा. मामले की जानकारी के बाद ईटीवी भारत की टीम ने देवघर डीसी से बात की. जिसके बाद उन्होंने संज्ञान लेते हुए सड़क बनाने की बात कही.

Villagers are making road by doing shramdaan
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Published : Jun 24, 2020, 6:56 PM IST

देवघरः जिले से महज 10 किलोमीटर दूर सियाटांड़ गांव आजादी के बाद से अबतक नही जुड़ा है. मुख्यमार्ग से सटे दो सौ घरों की एक हजार आबादी वाला यह गांव अब चंदा इकट्ठा कर खुद श्रमदान कर सड़क बनाने में जुट गए हैं.

देखें पूरी खबर

दरअसल, सियाटांड़ के ग्रामीणों को डर है कि सड़क नहीं रहने की वजह से लड़के लड़कियों की शादी न टूट जाए, तो वहीं आने-जाने में छात्र छात्राओं सहित लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. उनकी शिकायत है कि चुनाव के वक्त अधिकारी से लेकर जनप्रतिनिधि तो जरूर पहुंचते है लेकिन आज तक किसी ने इसकी सुध नहीं ली.

ये भी पढ़ें- देवघर: भारी मात्रा में विस्फोटक बरामद, जांच में जुटी पुलिस

ग्रामीण श्रमदान के लिए ले रहे चंदा

ग्रामीणों का कहना है कि सड़क नहीं होने के कारण मरीज को अस्पताल ले जाने के लिए आज भी चारपाई का इस्तेमाल किया जाता है. यहां के बच्चे को पढ़ाई लिखाई में भी काफी परेशानी होती है. सड़क नहीं रहने के कारण लोग हादसे का भी शिकार हो रहे हैं. जिसके बाद ग्रामीणों ने खुद श्रमदान कर सड़क बनाने के लिए 2 सौ रुपये प्रत्येक घर से चंदा इकट्ठा कर रहे हैं.

डीसी ने मामले में लिया संज्ञान

मामले में सियाटांड़ के ग्रामीणों ने सड़क को लेकर सीएम, एमपी, एमएलए, मुखिया, जिला प्रशासन से गुहार लगा चुके हैं, लेकिन किसी ने आज तक इसकी सुध नहीं ली. इस समस्याओं को लेकर जब ईटीवी भारत ने देवघर जिला उपायुक्त नैन्सी सहाय को अवगत कराया गया तो उन्होंने संज्ञान लेते हुए कहा है कि जल्द ही सियाटांड़ से मुख्यमार्ग तक कि सड़क को लेकर संबंधित अधिकारियों द्वारा इस्टमिट तैयार कर फंड की व्यवस्था कर सड़क को मुख्यमार्ग से जोड़ दिया जाएगा.

देवघरः जिले से महज 10 किलोमीटर दूर सियाटांड़ गांव आजादी के बाद से अबतक नही जुड़ा है. मुख्यमार्ग से सटे दो सौ घरों की एक हजार आबादी वाला यह गांव अब चंदा इकट्ठा कर खुद श्रमदान कर सड़क बनाने में जुट गए हैं.

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दरअसल, सियाटांड़ के ग्रामीणों को डर है कि सड़क नहीं रहने की वजह से लड़के लड़कियों की शादी न टूट जाए, तो वहीं आने-जाने में छात्र छात्राओं सहित लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. उनकी शिकायत है कि चुनाव के वक्त अधिकारी से लेकर जनप्रतिनिधि तो जरूर पहुंचते है लेकिन आज तक किसी ने इसकी सुध नहीं ली.

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ग्रामीण श्रमदान के लिए ले रहे चंदा

ग्रामीणों का कहना है कि सड़क नहीं होने के कारण मरीज को अस्पताल ले जाने के लिए आज भी चारपाई का इस्तेमाल किया जाता है. यहां के बच्चे को पढ़ाई लिखाई में भी काफी परेशानी होती है. सड़क नहीं रहने के कारण लोग हादसे का भी शिकार हो रहे हैं. जिसके बाद ग्रामीणों ने खुद श्रमदान कर सड़क बनाने के लिए 2 सौ रुपये प्रत्येक घर से चंदा इकट्ठा कर रहे हैं.

डीसी ने मामले में लिया संज्ञान

मामले में सियाटांड़ के ग्रामीणों ने सड़क को लेकर सीएम, एमपी, एमएलए, मुखिया, जिला प्रशासन से गुहार लगा चुके हैं, लेकिन किसी ने आज तक इसकी सुध नहीं ली. इस समस्याओं को लेकर जब ईटीवी भारत ने देवघर जिला उपायुक्त नैन्सी सहाय को अवगत कराया गया तो उन्होंने संज्ञान लेते हुए कहा है कि जल्द ही सियाटांड़ से मुख्यमार्ग तक कि सड़क को लेकर संबंधित अधिकारियों द्वारा इस्टमिट तैयार कर फंड की व्यवस्था कर सड़क को मुख्यमार्ग से जोड़ दिया जाएगा.

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