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कोरोना की मार, चौपट हुआ पर्यटन कारोबार, गाइड-फोटोग्राफर बेरोजगार

कोरोना वायरस की वजह से लगे लॉकडाउन में सब कुछ बंद है. लॉकडाउन का सबसे ज्यादा असर किसी चीज पर हुआ है तो वो है पर्यटन क्षेत्र. लॉकडाउन के कारण पर्यटन क्षेत्र सुनसान पड़ा है. देवघर धार्मिक नगरी के साथ-साथ पर्यटक स्थल है, जहां लाखों लोगों का रोजाना आना जाना लगा रहता था, लेकिन आज सभी पर्यटक स्थलों पर वीरानगी छाई हुई है.

Tourism business slowed due to lockdown in deoghar
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Published : May 9, 2020, 7:55 PM IST

देवघर: देवघर जिले से लगभग 16 किलोमीटर दूर दुमका-देवघर मुख्य मार्ग पर है त्रिकुट पर्वत. तीन चोटियों वाले इस पर्वत की कहानी त्रेता युग से जुड़ी है. कहा जाता है कि जब रावण सीता को हरण कर लंका ले जा रहा था, तो यहीं पर रावण और जटायू के बीच युद्ध हुआ था. ये जगह रावण के हेलीपैड के रूप में भी प्रसिद्ध है. आम दिनों में यहां ढाई हजार से ज्यादा सैलानी आते हैं लेकिन लॉकडाउन के चलते अब सन्नाटा पसरा है.

देखिए स्पेशल स्टोरी

त्रिकुट पर्वत पर हर दिन हजारों सैलानियों का आना जाना लगा रहता था. त्रिकुट पर्वत जहां रावण और बाबा भोले से जुड़ी कई कहानियां है. इसके साथ ही पहाड़ और बंदरों की अटखेलिया को रोपवे से देखने का मजा ही कुछ और है, लेकिन कोरोना के कारण सब कुछ बंद है. इस पर्वत पर हर दिन 2500 से 2800 लोगों को रोपवे से घुमाया जाता था, इससे लगभग ढ़ाई लाख की कमाई होती थी, लेकिन लॉकडाउन के कारण रोपवे का पहिया थम गया है. इस कारण सरकार को रोजाना लाखों का नुकसान हो रहा है.

त्रिकुट पर्वत पर 7 साल पहले रोपवे लगने से आसपास के गांवों में रोजी-रोजगार के लिए बाहर पलायन करने वाले लोग रुक गए. त्रिकुट पर्वत से जुड़ी कहानियों को सैलानियों को बताने के लिए गाइड का काम करने लगे. इसके साथ ही कुछ युवक फोटोग्राफी कर अपना जीवन-यापन त्रिकुटी पहाड़ से चलाने लगे. इस पहाड़ से आसपास के 300 ग्रामीणों का रोजगार चलता है, लेकिन इस कोरोना की कहर ने सब की कमर तोड़ कर रख दी. इनका एक मात्र आय का स्रोत रोपवे आज बंद है और ये अब सरकार से मदद की गुहार लगा लगाए बैठे हैं.

ये भी पढ़ें: झारखंड का दूसरा सबसे बड़ा कोरोना पॉजिटिव जिला बना गढ़वा, यहां मिले 23 मरीज

कोरोना के कहर से शायद कुछ दिनों में लोग उबरने लगे, लेकिन पर्यटन स्थलों की विरानगी अभी लंबे समय तक बरकरार रहने की आशंका है. ऐसे में पर्यटन क्षेत्र से जुड़े कामगारों पर सरकार को विशेष ध्यान देने की जरूरत है.

देवघर: देवघर जिले से लगभग 16 किलोमीटर दूर दुमका-देवघर मुख्य मार्ग पर है त्रिकुट पर्वत. तीन चोटियों वाले इस पर्वत की कहानी त्रेता युग से जुड़ी है. कहा जाता है कि जब रावण सीता को हरण कर लंका ले जा रहा था, तो यहीं पर रावण और जटायू के बीच युद्ध हुआ था. ये जगह रावण के हेलीपैड के रूप में भी प्रसिद्ध है. आम दिनों में यहां ढाई हजार से ज्यादा सैलानी आते हैं लेकिन लॉकडाउन के चलते अब सन्नाटा पसरा है.

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त्रिकुट पर्वत पर हर दिन हजारों सैलानियों का आना जाना लगा रहता था. त्रिकुट पर्वत जहां रावण और बाबा भोले से जुड़ी कई कहानियां है. इसके साथ ही पहाड़ और बंदरों की अटखेलिया को रोपवे से देखने का मजा ही कुछ और है, लेकिन कोरोना के कारण सब कुछ बंद है. इस पर्वत पर हर दिन 2500 से 2800 लोगों को रोपवे से घुमाया जाता था, इससे लगभग ढ़ाई लाख की कमाई होती थी, लेकिन लॉकडाउन के कारण रोपवे का पहिया थम गया है. इस कारण सरकार को रोजाना लाखों का नुकसान हो रहा है.

त्रिकुट पर्वत पर 7 साल पहले रोपवे लगने से आसपास के गांवों में रोजी-रोजगार के लिए बाहर पलायन करने वाले लोग रुक गए. त्रिकुट पर्वत से जुड़ी कहानियों को सैलानियों को बताने के लिए गाइड का काम करने लगे. इसके साथ ही कुछ युवक फोटोग्राफी कर अपना जीवन-यापन त्रिकुटी पहाड़ से चलाने लगे. इस पहाड़ से आसपास के 300 ग्रामीणों का रोजगार चलता है, लेकिन इस कोरोना की कहर ने सब की कमर तोड़ कर रख दी. इनका एक मात्र आय का स्रोत रोपवे आज बंद है और ये अब सरकार से मदद की गुहार लगा लगाए बैठे हैं.

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कोरोना के कहर से शायद कुछ दिनों में लोग उबरने लगे, लेकिन पर्यटन स्थलों की विरानगी अभी लंबे समय तक बरकरार रहने की आशंका है. ऐसे में पर्यटन क्षेत्र से जुड़े कामगारों पर सरकार को विशेष ध्यान देने की जरूरत है.

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