देवघर: वैसे तो देश भर में फैले भोलेनाथ के तमाम ज्योतिर्लिंग के पीछे अनेक पौराणिक कथाएं प्रचलित है. लेकिन बाबा बैद्यनाथ प्रांगण में ही एक मंदिर ऐसा भी है जहां भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती एक ही कमरे में विराजमान हैं. जो इन्हें दूसरे मंदिरों से अलग करता है.
दरअसल, यहां जिस दरवाजे पर ताला लटका है इस कमरे में दाखिल होने की इजाजत किसी को भी नहीं है. यहां न तो भक्त और न ही पुरोहित माता गौरी और महादेव को स्पर्श कर सकते हैं और न ही उनपर फूल और विल्वपत्र चढ़ा सकते हैं. इस मंदिर के भीतर स्वयं शिव शंभू,कामेश्वर रूप में विराजमान हैं तो माता पार्वती कामेश्वरी रूप में भोलेनाथ की जंघा पर बैठी हैं. मान्यता है कि सृष्टि के रचियता जिस मुद्रा में विराजमान है वैसी स्थिति में उनकी संतान रूपी इंसान का वहां जाना वर्जित है.
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यही वजह है कि भोलेनाथ ओर माता गौरी की इस प्रतिमा को कमरे में बंद रखा गया है और वहां जाना वर्जित है. बहरहाल माता पार्वती ओर भोलेनाथ के इस रूप का आप बाहर से दर्शन कर सकते हैं. लेकिन आप न तो स्पर्श कर सकते हैं और न ही फूल, जल विल्वपत्र चढ़ा सकते हैं. जिन्हें त्रिपुर सुंदरी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. जहां तांत्रिक विधि से परिपूर्ण पुरोहितों द्वारा पूजा-अर्चना किया जाता है जो एक रहस्य है.