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आखिर क्यों एक कमरे में कैद हैं 'गौरी शंकर', पुरोहित भी नही उठाते इस रहस्य से पर्दा

देवघर बाबा बैद्यनाथ धाम के लिए प्रसिद्ध तो है ही उसके अलावा भी यहां कई मंदिर हैं जिनका पौराणिक महत्व है. ऐसा हा एक मंदिर है सुंदरी मंदिर जिसमें माता गौरी और शंकर दोनों एक साथ विराजमान हैं.

सुंदरी मंदिर
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Published : Aug 1, 2019, 1:13 PM IST

देवघर: वैसे तो देश भर में फैले भोलेनाथ के तमाम ज्योतिर्लिंग के पीछे अनेक पौराणिक कथाएं प्रचलित है. लेकिन बाबा बैद्यनाथ प्रांगण में ही एक मंदिर ऐसा भी है जहां भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती एक ही कमरे में विराजमान हैं. जो इन्हें दूसरे मंदिरों से अलग करता है.

देखें पूरी खबर

दरअसल, यहां जिस दरवाजे पर ताला लटका है इस कमरे में दाखिल होने की इजाजत किसी को भी नहीं है. यहां न तो भक्त और न ही पुरोहित माता गौरी और महादेव को स्पर्श कर सकते हैं और न ही उनपर फूल और विल्वपत्र चढ़ा सकते हैं. इस मंदिर के भीतर स्वयं शिव शंभू,कामेश्वर रूप में विराजमान हैं तो माता पार्वती कामेश्वरी रूप में भोलेनाथ की जंघा पर बैठी हैं. मान्यता है कि सृष्टि के रचियता जिस मुद्रा में विराजमान है वैसी स्थिति में उनकी संतान रूपी इंसान का वहां जाना वर्जित है.

ये भी पढ़ें- इस पॉलिटेक्निक कॉलेज पर छाए संकट के बादल, मान्यता पर लटकी AICTE की तलवार

यही वजह है कि भोलेनाथ ओर माता गौरी की इस प्रतिमा को कमरे में बंद रखा गया है और वहां जाना वर्जित है. बहरहाल माता पार्वती ओर भोलेनाथ के इस रूप का आप बाहर से दर्शन कर सकते हैं. लेकिन आप न तो स्पर्श कर सकते हैं और न ही फूल, जल विल्वपत्र चढ़ा सकते हैं. जिन्हें त्रिपुर सुंदरी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. जहां तांत्रिक विधि से परिपूर्ण पुरोहितों द्वारा पूजा-अर्चना किया जाता है जो एक रहस्य है.

देवघर: वैसे तो देश भर में फैले भोलेनाथ के तमाम ज्योतिर्लिंग के पीछे अनेक पौराणिक कथाएं प्रचलित है. लेकिन बाबा बैद्यनाथ प्रांगण में ही एक मंदिर ऐसा भी है जहां भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती एक ही कमरे में विराजमान हैं. जो इन्हें दूसरे मंदिरों से अलग करता है.

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दरअसल, यहां जिस दरवाजे पर ताला लटका है इस कमरे में दाखिल होने की इजाजत किसी को भी नहीं है. यहां न तो भक्त और न ही पुरोहित माता गौरी और महादेव को स्पर्श कर सकते हैं और न ही उनपर फूल और विल्वपत्र चढ़ा सकते हैं. इस मंदिर के भीतर स्वयं शिव शंभू,कामेश्वर रूप में विराजमान हैं तो माता पार्वती कामेश्वरी रूप में भोलेनाथ की जंघा पर बैठी हैं. मान्यता है कि सृष्टि के रचियता जिस मुद्रा में विराजमान है वैसी स्थिति में उनकी संतान रूपी इंसान का वहां जाना वर्जित है.

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यही वजह है कि भोलेनाथ ओर माता गौरी की इस प्रतिमा को कमरे में बंद रखा गया है और वहां जाना वर्जित है. बहरहाल माता पार्वती ओर भोलेनाथ के इस रूप का आप बाहर से दर्शन कर सकते हैं. लेकिन आप न तो स्पर्श कर सकते हैं और न ही फूल, जल विल्वपत्र चढ़ा सकते हैं. जिन्हें त्रिपुर सुंदरी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. जहां तांत्रिक विधि से परिपूर्ण पुरोहितों द्वारा पूजा-अर्चना किया जाता है जो एक रहस्य है.

Intro:देवघर आखिर क्यों एक कमरे में कैद है! 'गौरी शंकर' तीर्थपुरोहित भी नही उठाते रहस्य से पर्दा।


Body:एंकर देवघर वैसे तो देश भर में फैले भोलेनाथ के तमाम ज्योतिर्लिंग के पीछे अनेक पौराणिक कथाएं प्रचलित है लेकिन,बाबा बैद्यनाथ प्रांगण में ही एक मंदिर ऐसा भी है जहां,भगवान भोलेनाथ ओर माता पार्वती एक कमरे में विराजमान है जो अन्य मंदिरों से भिन्न करता है जहाँ दरवाजे पर ताला लटका है इस कमरे में दाख़िल होने की इजाजत किसी को भी नही है। यहां न तो भक्त और न ही पुरोहित माता गौरी ओर महादेव को स्पर्श कर सकते है और न ही उनपर फूल और विल्वपत्र चढ़ा सकते है। दरअसल,इस मंदिर के भीतर स्वयं शिवशम्भु ,कामेश्वर रूप में विराजमान है तो माता पार्वती कामेश्वरी रूप में भोलेनाथ की जंघा पर बैठी है। मान्यता है कि,सृस्टि के रचियता जिस मुद्रा में विराजमान है वैसी स्थिति में उनकी संतान रूपी इंसान का वहां जाना वर्जित है।यही वजह है कि,भोलेनाथ ओर माता गौरी की इस प्रतिमा को कमरे में बंद रखा गया है और वहां जाना वर्जित है।


Conclusion:बहरहाल,माता पार्वती ओर भोलेनाथ के इस रूप का आप बाहर से दर्शन कर सकते है लेकिन,आप न तो स्पर्श कर सकते है और न ही फूल जल विल्वपत्र चढ़ा सकते है। जिन्हें त्रिपुर सुंदरी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। जहाँ तांत्रिक विधि से परिपूर्ण पुरोहितों द्वारा पूजा अर्चना किया जाता है। जो एक रहस्य है।

बाइट दुर्लभ मिश्र,तीर्थ पुरोहित,बाबा मंदिर।
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