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फर्जी दस्तावेज के आधार पर कंपनियों ने आयकर विभाग से ले लिया रिफंड, देवघर में दस्तावेजों का नहीं मिला रिकॉर्ड

देवघर में कुछ कंपनियों की ओर से फर्जी दस्तावेजों के जरिये आयकर विभाग से रिफंड लेने का मामला सामने आया है. फिलहाल जांच में कंपनियों की ओर से अचल संपत्ति के दावे के रिकॉर्ड नहीं मिले हैं. निबंधन कार्यालय ने रिपोर्ट भेज दी है.

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Published : Oct 19, 2020, 12:41 PM IST

Fake companies disclosed in Deoghar
फर्जी दस्तावेज

देवघर: जिले की कई कंपनियों की ओर से फर्जी दस्तावेज के आधार पर आयकर विभाग से रिफंड लेने का मामला सामने आया है. इन कंपनियों के नाम से देवघर में जमीन सहित अचल संपत्ति होने का कोई सबूत भी नहीं मिला है, जिसकी सूचना निबंधन कार्यालय ने विभाग को भेज दी है.

देखिए पूरी खबर

आयकर विभाग की सूचना पर सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया की कोलकाता और अहमदाबाद शाखा द्वारा झारखंड के उप निबंधन महानिरीक्षक से कंपनियों के नाम जमीन की रजिस्ट्री की विस्तृत जानकारी मांगी गई थी. झारखंड के उप निबंधन महानिरीक्षक द्वारा देवघर के सब रजिस्ट्रार को पत्र भेजकर पूरे मामले की जांच करने का आदेश दिया गया था. साथ ही किसी भी कंपनी के निदेशक या प्रमोटर की अचल संपत्ति की बिक्री पर अविलंब रोक लगाने के आदेश दिए गए थे.

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पूरी तहकीकात के बाद इन मुखौटा कंपनियों के नाम देवघर में अचल संपत्ति का दावा फर्जी साबित हुआ है. बहरहाल, देवघर सब रजिस्ट्रार की माने तो सेबी द्वारा उपलब्ध कराए गए ऐसे लोगो के पैन नंबर और जमीन संबंधी दस्तावेज के आधार पर जांच की गई, जिसमें पूरा मामला फर्जी साबित हुआ है. वहीं, सब रजिस्ट्रार ने बताया कि इसकी जानकारी उप निबंधन महानिरीक्षक को भेजी जा रही है.

देवघर: जिले की कई कंपनियों की ओर से फर्जी दस्तावेज के आधार पर आयकर विभाग से रिफंड लेने का मामला सामने आया है. इन कंपनियों के नाम से देवघर में जमीन सहित अचल संपत्ति होने का कोई सबूत भी नहीं मिला है, जिसकी सूचना निबंधन कार्यालय ने विभाग को भेज दी है.

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आयकर विभाग की सूचना पर सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया की कोलकाता और अहमदाबाद शाखा द्वारा झारखंड के उप निबंधन महानिरीक्षक से कंपनियों के नाम जमीन की रजिस्ट्री की विस्तृत जानकारी मांगी गई थी. झारखंड के उप निबंधन महानिरीक्षक द्वारा देवघर के सब रजिस्ट्रार को पत्र भेजकर पूरे मामले की जांच करने का आदेश दिया गया था. साथ ही किसी भी कंपनी के निदेशक या प्रमोटर की अचल संपत्ति की बिक्री पर अविलंब रोक लगाने के आदेश दिए गए थे.

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