देवघर: श्रावणी मेला नहीं लगने के कारण बाबा मंदिर के कई परिवार अब मुश्किल दौर में चल रहे हैं. ऐसे में ही एक परिवार है भंडारी जो बाबा भोले और माता पार्वती के शीर्ष पर चढ़ने का हकदार होता है. जो भक्तों की ओर से की गई मनोती गठबंधन को दोनों शीर्ष से जोड़ता है. मगर कोरोना संक्रमण को लेकर सावन मेला नही लगने से भंडारियो में मायूसी छा गई है. अब खाने पीने से लेकर बच्चों की पढ़ाई लिखाई तक में उनको परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
देवघर बाबा मंदिर के भंडारी जो बाबा भोले और माता पार्वती के शीर्ष पर चढ़ने के हकदार हैं. दोनों ही मंदिर में गठबंधन की परंपरा सदियों से चली आ रही है. जहां भक्त लड़का लड़की की शादी नहीं होने और अन्य मनोकामना पर पूरी होते ही गठबंधन करते हैं. जहां बाबा मंदिर पुरोहितो की ओर से कपड़े के धागा को संकल्प करते है, जिसको बाबा मंदिर और माता पार्वती मंदिर के शीर्ष पर भंडारी ही बांधते हैं. जिससे भंडारियो को अच्छी खासी दक्षिणा मिल जाती थी. मगर लॉकडाउन से ही श्रद्धालुओ के प्रवेश पर रोक लगने के साथ अब सावन मेला भी नही लगा, जिससे भंडारियो में मायूसी छा गई है. भंडारी बताते है कि अब खाने पीने से लेकर बच्चों की पढ़ाई लिखाई तक में आफत हो रही है. 200 से 300 परिवार भंडारियो का इसी गठबंधन से चलता था. अब भंडारी सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं.
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बाबा मंदिर में गठबंधन का धागा बेचने वाले एक पंडा परिवार भी भुखमरी की कगार पर हैं. यह रोजाना श्रद्धालुओ को गठबंधन का धागा बेचकर अपना जीविकोपार्जन करते थे. मगर श्रद्धालुओं के प्रवेश पर रोक के बाद से परेशान हैं. अब उम्मीद बाबा भोले से लगाये बैठे हैं कि कोरोना जल्द समाप्त हो ताकि फिर से जीवन का पहिया पटरी पर लौट सके. बाबा मंदिर के पुरोहित कई अनुष्ठान करते हैं, जिसमे गठबंधन भी एक अनुष्ठान है. इसमे भंडारी पुरोहित और गठबंधन के धागा बेचने वाले कल्याणकारी गठबंधन की परंपरा निभाते हैं. बाबा बैद्यनाथ को मनोकामना लिंग भी कहा जाता है और यहां की गई हर मनोतियां पूरी होती हैं. जिस कन्या और वर की शादी में बाधा होती है. वह बाबा भोले से मनोती करते हैं और पूरी होते ही गठबंधन करते हैं.