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देवघरः बाबा मंदिर में बेलपत्र प्रदर्शनी की अनोखी परंपरा, पुरोहित के आठ दल मिलकर लगाते हैं प्रदर्शनी

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Published : Jul 17, 2020, 2:16 PM IST

सावन के महीने पर देवघर बाबा मंदिर में अनोखी परंपराएं देखने को मिलती है. यहां की अनोखी परंपराओं में से एक बेलपत्र प्रदर्शनी है जो सिर्फ और सिर्फ देवघर बाबाधाम में ही लगाई जाती है. इस प्रदर्शनी को देखने के लिए श्रद्धालु दूर दूर से आते थे लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण के कारण यह प्रदर्शनी काफी फीकी पड़ गयी है.

Belpatra exhibition held in Deoghar Baba temple
बेलपत्र प्रदर्शनी

देवघर: देवनगरी विविधताओं से भरी पड़ी है. कामनालिंग बाबा बैद्यनाथ के दरबार बाबाधाम की परंपराएं भी काफी निराली और अद्वितीय है. यहां की अनोखी परंपराओं में बाबा मंदिर में लगने वाली बेलपत्र प्रदर्शनी भी है. बेलपत्र जिसके बारे में कहा जाता है कि इस पत्र को शिवलिंग पर चढ़ाने से शिव प्रसन्न होते हैं. बेलपत्र प्रदर्शनी को देखकर भक्त भाव विभोर हो जाते थे, लेकिन इस बार मेला नहीं लगने से इस परंपरा को पुरोहित ने ही निभाया है. कोरोना संक्रमण को लेकर श्रावणी मेला का आयोजन नहीं हो रहा है. जिससे भक्तों का आना नहीं हो रहा है. इस वजह से यह प्रदर्शनी फीकी पड़ गयी है.

देखें पूरी खबर

बाबा भोले के तीन नेत्र हैं और बेलपत्र के तीन पट्टी इसी के सूचक हैं. सालों से बाबा बैद्यनाथ के दरबार में ही बेलपत्र की आकर्षक प्रदर्शनी लगाई जाती है. यह पूरे सावन मास भर चलता है. आषाढ़ संक्रांति के अवसर पर बाबा मंदिर में बेलपत्र सजाने की शुरुआत की जाती है और समापन सावन संक्रांति को होता है.

सिर्फ बाबाधाम में ही लगाई जाती है यह प्रदर्शनी

सभी पुरोहितों के आठ दल होते हैं, जो बिहार झारखंड के विभिन्न जंगलों से दुर्लभ बेलपत्र खोजकर लाते हैं और उसे प्रदर्शनी के दिन चांदी और स्टील की थाल पर सजाकर बाबा मंदिर पहुंचते हैं. बाबा मंदिर ही नहीं पूरे विश्व में धर्म को जागृत करने के लिए ऐसी प्रदर्शनी लगाई जाती है. ये सिर्फ और सिर्फ बाबाधाम देवघर में ही होता है. यहां यग प्रदर्शनी पंडा समाज की तरफ से लगाई जाती है. सभी पंडा बाबा बैद्यनाथ पर बेलपत्रों को अर्पित करते हैं.

Belpatra exhibition held in Deoghar Baba temple
बेलपत्र प्रदर्शनी

बेलपत्र प्रदर्शनी की परंपरा की शुरुआत

बेलपत्र प्रदर्शनी की परंपरा की शुरुआत सबसे पहले बम बम बाबा ब्रह्मचारी महाराज ने 1883 में विश्वकल्याण की कामना के लिए की थी. आज भी इस परंपरा का निर्वहन यहां के तीर्थ पुरोहित करते आ रहे हैं. इस प्रदर्शनी को देखने के लिए श्रद्धालु दूर-दूर से आते थे. साल भर इस दृश्य को देखने के लिए इंतजार करते थे और बेलपत्र प्रदर्शनी को देखकर धन्य हो जाते थे, लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण के कारण सिर्फ पंडा समाज कर रहे हैं.

ये भी देखें- कोरोना संक्रमित होने पर हॉस्पिटल का क्या है रूल, ईटीवी भारत ने पूरे सिस्टम का किया पड़ताल

बाबा भोलेनाथ होते हैं प्रसन्न

कहा जाता है कि सिर्फ बेलपत्र के चढ़ाने से भी बाबा भोलेनाथ प्रसन्न हो जाते हैं. दूसरी तरफ बेलपत्र को अनेक गुणों से परिपूर्ण भी माना गया है. बेलपत्र कि यह प्रदर्शनी देखने लायक होती है. श्रावणी मेला के समय यह बेलपत्र प्रदर्शनी आकर्षक का केंद्र रहती है और इसे देखने के लिए शिवभक्त लालायित रहते थे. जिससे भक्त इस बार वंचित हैं. सावन के अंत में इस प्रतियोगिता के विजेता को सरदार पंडा के की ओर से पुरस्कृत भी किया जाता है.

देवघर: देवनगरी विविधताओं से भरी पड़ी है. कामनालिंग बाबा बैद्यनाथ के दरबार बाबाधाम की परंपराएं भी काफी निराली और अद्वितीय है. यहां की अनोखी परंपराओं में बाबा मंदिर में लगने वाली बेलपत्र प्रदर्शनी भी है. बेलपत्र जिसके बारे में कहा जाता है कि इस पत्र को शिवलिंग पर चढ़ाने से शिव प्रसन्न होते हैं. बेलपत्र प्रदर्शनी को देखकर भक्त भाव विभोर हो जाते थे, लेकिन इस बार मेला नहीं लगने से इस परंपरा को पुरोहित ने ही निभाया है. कोरोना संक्रमण को लेकर श्रावणी मेला का आयोजन नहीं हो रहा है. जिससे भक्तों का आना नहीं हो रहा है. इस वजह से यह प्रदर्शनी फीकी पड़ गयी है.

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बाबा भोले के तीन नेत्र हैं और बेलपत्र के तीन पट्टी इसी के सूचक हैं. सालों से बाबा बैद्यनाथ के दरबार में ही बेलपत्र की आकर्षक प्रदर्शनी लगाई जाती है. यह पूरे सावन मास भर चलता है. आषाढ़ संक्रांति के अवसर पर बाबा मंदिर में बेलपत्र सजाने की शुरुआत की जाती है और समापन सावन संक्रांति को होता है.

सिर्फ बाबाधाम में ही लगाई जाती है यह प्रदर्शनी

सभी पुरोहितों के आठ दल होते हैं, जो बिहार झारखंड के विभिन्न जंगलों से दुर्लभ बेलपत्र खोजकर लाते हैं और उसे प्रदर्शनी के दिन चांदी और स्टील की थाल पर सजाकर बाबा मंदिर पहुंचते हैं. बाबा मंदिर ही नहीं पूरे विश्व में धर्म को जागृत करने के लिए ऐसी प्रदर्शनी लगाई जाती है. ये सिर्फ और सिर्फ बाबाधाम देवघर में ही होता है. यहां यग प्रदर्शनी पंडा समाज की तरफ से लगाई जाती है. सभी पंडा बाबा बैद्यनाथ पर बेलपत्रों को अर्पित करते हैं.

Belpatra exhibition held in Deoghar Baba temple
बेलपत्र प्रदर्शनी

बेलपत्र प्रदर्शनी की परंपरा की शुरुआत

बेलपत्र प्रदर्शनी की परंपरा की शुरुआत सबसे पहले बम बम बाबा ब्रह्मचारी महाराज ने 1883 में विश्वकल्याण की कामना के लिए की थी. आज भी इस परंपरा का निर्वहन यहां के तीर्थ पुरोहित करते आ रहे हैं. इस प्रदर्शनी को देखने के लिए श्रद्धालु दूर-दूर से आते थे. साल भर इस दृश्य को देखने के लिए इंतजार करते थे और बेलपत्र प्रदर्शनी को देखकर धन्य हो जाते थे, लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण के कारण सिर्फ पंडा समाज कर रहे हैं.

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बाबा भोलेनाथ होते हैं प्रसन्न

कहा जाता है कि सिर्फ बेलपत्र के चढ़ाने से भी बाबा भोलेनाथ प्रसन्न हो जाते हैं. दूसरी तरफ बेलपत्र को अनेक गुणों से परिपूर्ण भी माना गया है. बेलपत्र कि यह प्रदर्शनी देखने लायक होती है. श्रावणी मेला के समय यह बेलपत्र प्रदर्शनी आकर्षक का केंद्र रहती है और इसे देखने के लिए शिवभक्त लालायित रहते थे. जिससे भक्त इस बार वंचित हैं. सावन के अंत में इस प्रतियोगिता के विजेता को सरदार पंडा के की ओर से पुरस्कृत भी किया जाता है.

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