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वसंत पंचमी पर देवघर में उमड़ी भक्तों की भीड़, भोलेनाथ को तिलक चढ़ाने पहुंचे मिथिलांचल के लोग

बाबा मंदिर में आज आस्था का जनसैलाब उमड़ पड़ा. बाबा को तिलक चढाने की होड़ लगी है. कतार भी काफी लम्बी है. वहीं पुलिस को भी भीड़ को काबू करने में काफी मशक्कत करनी पड़ रही है.

जानकारी देते पंडित
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Published : Feb 10, 2019, 1:35 PM IST

देवघरः बाबा मंदिर में आज आस्था का जनसैलाब उमड़ पड़ा. बाबा को तिलक चढाने की होड़ लगी है. कतार भी काफी लम्बी है. वहीं पुलिस को भी भीड़ को काबू करने में काफी मशक्कत करनी पड़ रही है.

बाबा मंदिर में वसंत पंचमी खास होता है. आज मिथिलांचल के लोग बाबा भोले को तिलक चढाने आते हैं. आज से ही इनकी होली की भी शुरूआत हो जाती है. आज के दिन पहले ये अबीर से बाबा को तिलक चढ़ाते हैं, उसके बाद अबीर की होली भी खेलते हैं.

जानकारी देते पंडित
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मान्यता के मुताबिक जनकपुरी माता सीता का नैहर है, ऐसे में मिथिलावासी बाबा भोले को शादी का निमंत्रण देने बाबा धाम आते हैं. ये कांवरिया उत्तरवाहिनी गंगा का जल और तिलक लेकर भोले की नगरी आते हैं और बाबा भोले को तिलक चढ़ाते हैं. साथ ही उनको शादी का निमंत्रण देते हैं.

दूसरी और आज से ही इनकी होली भी शुरू हो जाती है. ये बाबा पर चढ़ा अबीर भी घर ले जाते हैं और नव विवाहितों को देते हैं. इसी अबीर से ये अपनी पहली होली खेलते हैं. ऐसी मान्यता है कि इससे इनके सुहाग की उम्र लम्बी होती है. साथ ही इनका दांपत्य जीवन भी सुखमय होता है. इनका मानना है कि जिस तरह शिव और पार्वती के दांपत्य जीवन में प्रेम और स्नेह की कमी नहीं थी. उसी तरह उनके जीवन में भी जीवन साथी से प्रेम और स्नेह की कमी नहीं रहती है.

मिथिलावासी इस वसंत पंचमी को बड़े ही धूमधाम से मनाते हैं. इन तिलक चढ़ाने वालों को तिलक हरु भी कहते हैं. इन कावरियों का कांवर भी खास होता है. इनका कांवर काफी भारी होता है. साथ ही इनके कांवर में सभी सामान लदे होते हैं. यह अपने खाने-पीने का सामान भी साथ लाते हैं.

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ये तिलक हरू कांवरिया किसी खास स्थान पर जमा होकर वहां भजन-कीर्तन करते हैं. साथ ही वहीं खाना पका कर खाते हैं. वहीं आज जिला प्रशासन ओर से मंदिर प्रशासन ने इनकी सुविधा के लिए पूरी तैयारी कर रखी है.

देवघरः बाबा मंदिर में आज आस्था का जनसैलाब उमड़ पड़ा. बाबा को तिलक चढाने की होड़ लगी है. कतार भी काफी लम्बी है. वहीं पुलिस को भी भीड़ को काबू करने में काफी मशक्कत करनी पड़ रही है.

बाबा मंदिर में वसंत पंचमी खास होता है. आज मिथिलांचल के लोग बाबा भोले को तिलक चढाने आते हैं. आज से ही इनकी होली की भी शुरूआत हो जाती है. आज के दिन पहले ये अबीर से बाबा को तिलक चढ़ाते हैं, उसके बाद अबीर की होली भी खेलते हैं.

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मान्यता के मुताबिक जनकपुरी माता सीता का नैहर है, ऐसे में मिथिलावासी बाबा भोले को शादी का निमंत्रण देने बाबा धाम आते हैं. ये कांवरिया उत्तरवाहिनी गंगा का जल और तिलक लेकर भोले की नगरी आते हैं और बाबा भोले को तिलक चढ़ाते हैं. साथ ही उनको शादी का निमंत्रण देते हैं.

दूसरी और आज से ही इनकी होली भी शुरू हो जाती है. ये बाबा पर चढ़ा अबीर भी घर ले जाते हैं और नव विवाहितों को देते हैं. इसी अबीर से ये अपनी पहली होली खेलते हैं. ऐसी मान्यता है कि इससे इनके सुहाग की उम्र लम्बी होती है. साथ ही इनका दांपत्य जीवन भी सुखमय होता है. इनका मानना है कि जिस तरह शिव और पार्वती के दांपत्य जीवन में प्रेम और स्नेह की कमी नहीं थी. उसी तरह उनके जीवन में भी जीवन साथी से प्रेम और स्नेह की कमी नहीं रहती है.

मिथिलावासी इस वसंत पंचमी को बड़े ही धूमधाम से मनाते हैं. इन तिलक चढ़ाने वालों को तिलक हरु भी कहते हैं. इन कावरियों का कांवर भी खास होता है. इनका कांवर काफी भारी होता है. साथ ही इनके कांवर में सभी सामान लदे होते हैं. यह अपने खाने-पीने का सामान भी साथ लाते हैं.

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ये तिलक हरू कांवरिया किसी खास स्थान पर जमा होकर वहां भजन-कीर्तन करते हैं. साथ ही वहीं खाना पका कर खाते हैं. वहीं आज जिला प्रशासन ओर से मंदिर प्रशासन ने इनकी सुविधा के लिए पूरी तैयारी कर रखी है.

Intro:देवघर बाबा मंदिर में उमड़ी श्रद्धालुओ की भीड़,बसंत पंचमी को लेकर तिलक चढ़ाने पहुचे तिलक हरू।

देवघर बाबा मंदिर में आज आस्था का जनसैलाब उमड़ पड़ा और बाबा मंदिर में बाबा को तिलक चढाने कि होड़ लगी है कतार भी काफी लम्बी हो गई वहीँ पुलिस को भीड़ को काबू करने के लिए काफी मसक्कत करनी पड़ रही है। आज बाबा मंदिर में बसंत पंचमी खास होता है यहाँ कि मान्यता है कि मिथिलांचल के लोग बाबा भोले को तिलक चढाने आता है आज से ही इनकी होली की भी शुरूआत हो जाती है आज के दिन पहले ये अबीर से बाबा को तिलक चढ़ाते है उसके बाद अबीर कि होली भी खेलते है।


Body:मान्यताओं  के मुताबिक जनकपुरी माता सीता का नैहर था ऐसे में मिथिला वासी बाबा भोले को शादी का निमंत्रण देने बाबा धाम आते है ये कावड़िया उत्तरवाहिनी गंगा का जल और तिलक लेकर भोले कि नगरी आते है और बाबा भोले को तिलक चढ़ाते है साथ ही इनको शादी का निमंत्रण देते है दूसरी और आज से ही इनकी होली भी शुरू हो जाती है ये बाबा पर चढ़ा अबीर भी घर ले जाते है और नव बिबाहितॊ को देते है और ये यही अबीर से ये अपनी पहली होली खेलते है ऐसी मान्यता है कि इससे इनके सुहाग कि उम्र लम्बी होती है साथ ही इनका दांपत्य जीवन भी सुखमय होता है इनकी मान्यता होती है कि जिस तरह शिव और पार्वती का दांपत्य जिवन में प्रेम और स्नेह कि कमी नहीं थी इनके जीवन में भी जीवन साथी से प्रेम और स्नेह कि कमी नही रहती है। मिथिलावासी इस बसंत पंचमी को बड़े ही धूम धाम से मनाते है इन तिलक चढाने वालो को तिलक हरु भी कहते है इन कावडियो की कावर भी खास होता है इनका कावड काफी भरी होता है साथ ही इनके कावर में ही सभी सामान लदा होता है ये अपने खाने पिने का सामान भी साथ लाते है ।


Conclusion:ये तिलक हरू कावडिया किसी खास स्थान पर जमा होकर वहां भजन कीर्तन करते है साथ ही वही खाना पका कर खाते है। वही आज जिला प्रशासन ओर मंदिर प्रशासन ने इनकी सुबिधा के लिए पूरी तैयारी कर रखी है हालाकि श्रधालु इस ब्यवस्था से काफी खुस दिखे आज तक़रीबन एक लाख कावडियो के बाबा को तिलक चढाने का अनुमान लगाया जा रहा है ।

बाइट दुर्लभ मिश्रा तीर्थ पुरोहित बाबा मंदिर।
बाइट रमेश परिहस्त मंदिर प्रबंधक।
बाइट श्रद्धालु।

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