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सावन में इस खास प्रसाद का है काफी महत्व, जाने क्यों बाबा धाम से खरीदी जाती हैं चूड़ियां - purchase of bangles

बाबा नगरी देवघर को शक्तीपीठ माना जाता है. देश भर के लोग यहां के प्रसाद को भगवान का आर्शीवाद मानते हैं. जिनमें चूड़ी सुहागिनों के लिए भगवान भोले नाथ का आर्शीवाद माना जाता है.

चूड़ी प्रसाद का है खास महत्व
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Published : Aug 3, 2019, 3:34 PM IST

Updated : Aug 3, 2019, 7:45 PM IST

देवघर: बाब धाम एक शक्तिपीठ है जहां माता पार्वती ओर शिव का गठबंधन होता है. कहा जाता है कि इस गठबंधन में माता पार्वती और शिव का आशीर्वाद एक साथ मिलता है. यहां महिलाओं को सदा सुहागन होने का आशीर्वाद मिलता है. यहां की चूड़ियां काफी महत्त्वपूर्ण होती है. जिसे महिलाएं प्रसाद के रूप में लेती है. यहां कांच और लहठी की चूड़ियों की ज्यादा खरीदारी होती है.

देखें स्पेशल खबर

बाब का प्रसाद माना जाता है चूड़ियां
यहां की चूड़ियां फिरोजाबाद मुंबई, कोलकाता, जयपुर से चूड़ियां मंगाई जाती है यहां की कांच की चूडियों के अलावे संखा पोला और मेटल की चूड़ियां भी खूब बिकती है. यही नहीं यहां कि चूड़ियां सिर्फ चूड़ी ही नहीं बल्कि बाबा का प्रसाद ज्यादा समझा जाता है. यहां कोई चीज खरीदे या नहीं लेकिन चूड़ी खरीदना जरूरी समझा जाता है.

चूड़ी बेचने वाले ज्यादातर मुस्लिम समाज के लोग
वहीं दूसरी ओर एक बड़ी बात यहां देखने को मिलती है कि यहा सुहागन की ये चूड़ियां ज्यादातर दुकानदार मुस्लिम समाज के हैं. ये दुकानदार भी मानते है कि मुस्लिम होते हुए भी इनको हिंदुओ का खूब सहयोग मिलता है और यहां खूब खरीददारी होती है.

ये भी पढ़ें- झारखंड पुलिस की 'पावर वुमन' ने लिया VRS, कहा- जहां आपकी पूछ नहीं वहां से निकलना बेहतर

सावन में करोड़ों का होता चूड़ी कारोबार
देवघर सालों भर चूड़ी का कारोबार होता है लेकिन सावन में ही ये कारोबार लगभग पांच करोड़ का हो जाता है और सभी बड़ी छोटी दुकानों सहित लगभग तीन हजार दुकानें लगती है. माना जाता है कि यहां की चूड़ी पहनने से सुहागिनों को अखंड सौभाग्यवती होने का आशिर्वाद मिलता है. यहां की चूड़ियां सिर्फ देश मे ही नहीं बल्कि विदेशों में भी जाति है, बहरहाल, व्यापारियों को सालों भर सावन के पर्व का इंतजार रहता है.

देवघर: बाब धाम एक शक्तिपीठ है जहां माता पार्वती ओर शिव का गठबंधन होता है. कहा जाता है कि इस गठबंधन में माता पार्वती और शिव का आशीर्वाद एक साथ मिलता है. यहां महिलाओं को सदा सुहागन होने का आशीर्वाद मिलता है. यहां की चूड़ियां काफी महत्त्वपूर्ण होती है. जिसे महिलाएं प्रसाद के रूप में लेती है. यहां कांच और लहठी की चूड़ियों की ज्यादा खरीदारी होती है.

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बाब का प्रसाद माना जाता है चूड़ियां
यहां की चूड़ियां फिरोजाबाद मुंबई, कोलकाता, जयपुर से चूड़ियां मंगाई जाती है यहां की कांच की चूडियों के अलावे संखा पोला और मेटल की चूड़ियां भी खूब बिकती है. यही नहीं यहां कि चूड़ियां सिर्फ चूड़ी ही नहीं बल्कि बाबा का प्रसाद ज्यादा समझा जाता है. यहां कोई चीज खरीदे या नहीं लेकिन चूड़ी खरीदना जरूरी समझा जाता है.

चूड़ी बेचने वाले ज्यादातर मुस्लिम समाज के लोग
वहीं दूसरी ओर एक बड़ी बात यहां देखने को मिलती है कि यहा सुहागन की ये चूड़ियां ज्यादातर दुकानदार मुस्लिम समाज के हैं. ये दुकानदार भी मानते है कि मुस्लिम होते हुए भी इनको हिंदुओ का खूब सहयोग मिलता है और यहां खूब खरीददारी होती है.

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सावन में करोड़ों का होता चूड़ी कारोबार
देवघर सालों भर चूड़ी का कारोबार होता है लेकिन सावन में ही ये कारोबार लगभग पांच करोड़ का हो जाता है और सभी बड़ी छोटी दुकानों सहित लगभग तीन हजार दुकानें लगती है. माना जाता है कि यहां की चूड़ी पहनने से सुहागिनों को अखंड सौभाग्यवती होने का आशिर्वाद मिलता है. यहां की चूड़ियां सिर्फ देश मे ही नहीं बल्कि विदेशों में भी जाति है, बहरहाल, व्यापारियों को सालों भर सावन के पर्व का इंतजार रहता है.

Intro:देवघर की खरीदी हर वस्तु एक प्रसाद है कहा जाता है कि यहां की हर वस्तु पर बाबा की कृपा होती है बाबा के दर्शन के बाद जो एक चीज भक्त खरीदना नही भूलते वह है चूड़ी का प्रसाद कहा जाता है कि यहां की चूड़ी में इस पर माता पार्वती ओर बाबा भोले की खूब कृपा होती है। ओर सुहागिनें यहां से चूड़ी ले जाना कभी नही भूलती है।


Body:देवघर एक शक्तिपीठ है और यहां माता पार्वती ओर शिव का गठबंधन होता है कहा जाता है कि इस गठबंधन में माता पार्वती ओर शिव का आशीर्वाद एक साथ मिलता है। यहाँ औरतों को सदा सुहागन होने का आशीर्वाद मिलता है। यहां की चूड़ी काफी महत्त्वपूर्ण होती है। और यहां महिलाएं इसे प्रसाद के रूप में ले जाती है। यहाँ कांच ओर लहठी की चूड़ी ज्यादा खरीदी जाती है। यहां की चूड़ियां फिरोजाबाद मुम्बई कोलकाता जयपुर से चूड़ियां मंगाई जाती है यहां की कांच की चूडियों के अलावे संखा पोला ओर मेटल की चूड़ियां भी खूब बिकती है। यहाँ की चूड़ियां सिर्फ चूड़ी ही नही बल्कि बाबा का प्रसाद ज्यादा समझा जाता है। यहाँ कोई चीज खरीदे या नही लेकिन चूड़ी खरीदना जरूरी समझा जाता है। वही दूसरी ओर एक बड़ी बात यहाँ देखने को मिलती है कि यहा सुहागन की ये चूड़ियां ज्यादातर दुकानदार मुस्लिम समाज के हैं ये दुकानदार भी मानते है कि मुस्लिम होते हुए भी इनको हिंदुओ का खूब सहयोग मिलता है। और यहाँ खूब खरीददारी होती है।


Conclusion:बहरहाल, देवघर सालों भर चूड़ी का कारोबार होता है लेकिन सावन में ही ये कारोबार लगभग पांच करोड़ का हो जाता है।और सभी बड़ी छोटी दुकानों सहित लगभग तीन हजार दुकानें लगती है। कहा जाता है कि यहां की चूड़ी पहनने से सुहागिनों को अखंड सौभाग्यवती होने का आशिर्वाद मिलता है। यहाँ की चूड़ी सिर्फ देश मे ही नही बल्कि विदेशों में भी जाति है यहां की व्यापारियों को सालों भर सावन के पर्व का इंतजार रहता है

बाइट आदित्य केशरी,दुकानदार।
बाइट स्मिता महिला,भक्त।
बाइट पुरोहित,बाबा मंदिर।
Last Updated : Aug 3, 2019, 7:45 PM IST
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