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देवघरः दलित परिवार मूलभूत सुविधाओं से वंचित, खुले में शौच जाने को मजबूर

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Published : Sep 23, 2020, 6:31 PM IST

देवघर के बाघमारी गांव की आबादी महज 150 है. सड़क किनारे गांव होने का यह फायदा तो है कि इन्हें राशन, बिजली की सुविधा मिल जाती है. इन्हें किसी भी प्रकार की सरकारी योजनाओं को लाभ नहीं मिल रहा है. लोग नरकीय जीवन जी रहे हैं.

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देवघर: देवीपुर प्रखंड के बाघमारी पंचायत का बाघमारी गांव में लगभग 50 दलित परिवार रहते हैं, लेकिन यह दलित परिवार आज खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं. उनका कहना है कि उन्हें बिजली और राशन जरूर मिल रहा है फिर भी वे नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं. इस गांव के लोगों को न तो पीएम आवास की सुविधा मिली है और न ही इस गांव में नाला और शौचालय है. कुल मिलाकार बाघमारी गांव के दलित परिवार मूलभूत सुविधाओं से कोसो दूर हैं. उनके इस हालात के लिए यहां के जनप्रतिनिधि और प्रशासन भी काफी हद तक जिम्मेदार है.

देखें स्पेशल स्टोरी

बाघमारी गांव सड़क किनारे बसा हुआ है, यहां 150 लोगों की आबादी है. मुख्य सड़क के किनारे होने के कारण इन्हें बिजली और राशन भी मुहैया कराया जा रहा है. यहां की ग्रामीण महिलाएं बताती हैं कि वे मिट्टी के घरों को प्लास्टिक से ढककर दिन गुजार रही हैं. बारिश की वजह से वे लोग बाल-बच्चों संग रतजगा करने को मजबूर हैं, बारिश का पानी घरों में घुसने के कारण उनकी परेशानी पहले से कई ज्यादा बढ़ जाती है.

गांव के लोगों का कहना है कि आज तक इनके नाम पर न तो आवास और ना ही शौचालय का आंवटित हुआ है. मजबूरन यहां की महिलाएं खुले में शौच जाने को मजबूर हैं. इस बजबजाती गंदगी में रह रहे दलित परिवार के लोगों के लिए पानी की भी समुचित व्यवस्था नहीं है. ये लोग जनप्रतिनिधियों से लेकर अधिकारियों तक फरियाद लगा चुके है मगर अब तक किसी ने इनकी सुध नहीं ली.

ये भी पढ़ें- सरकारें बदलती रही, नहीं सुधरी जनजातीय शोध संस्थान की स्थिति, आदिवासी समाज में मायूसी

इस मामले को लेकर जब जिले के उपायुक्त कमलेश्वर प्रसाद सिंह से ईटीवी भारत ने जवाब तलब किया तो उन्होंने इसकी जानकारी मिलने की बात कहते हुए जल्द से जल्द उनकी समस्याओं का निराकारण करने की बात कही. इसके साथ ही उन्होंने इससे संबंधित जांच रिपोर्ट बीडीओ को सौंपने का निर्देश दिया है.

देवघर: देवीपुर प्रखंड के बाघमारी पंचायत का बाघमारी गांव में लगभग 50 दलित परिवार रहते हैं, लेकिन यह दलित परिवार आज खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं. उनका कहना है कि उन्हें बिजली और राशन जरूर मिल रहा है फिर भी वे नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं. इस गांव के लोगों को न तो पीएम आवास की सुविधा मिली है और न ही इस गांव में नाला और शौचालय है. कुल मिलाकार बाघमारी गांव के दलित परिवार मूलभूत सुविधाओं से कोसो दूर हैं. उनके इस हालात के लिए यहां के जनप्रतिनिधि और प्रशासन भी काफी हद तक जिम्मेदार है.

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बाघमारी गांव सड़क किनारे बसा हुआ है, यहां 150 लोगों की आबादी है. मुख्य सड़क के किनारे होने के कारण इन्हें बिजली और राशन भी मुहैया कराया जा रहा है. यहां की ग्रामीण महिलाएं बताती हैं कि वे मिट्टी के घरों को प्लास्टिक से ढककर दिन गुजार रही हैं. बारिश की वजह से वे लोग बाल-बच्चों संग रतजगा करने को मजबूर हैं, बारिश का पानी घरों में घुसने के कारण उनकी परेशानी पहले से कई ज्यादा बढ़ जाती है.

गांव के लोगों का कहना है कि आज तक इनके नाम पर न तो आवास और ना ही शौचालय का आंवटित हुआ है. मजबूरन यहां की महिलाएं खुले में शौच जाने को मजबूर हैं. इस बजबजाती गंदगी में रह रहे दलित परिवार के लोगों के लिए पानी की भी समुचित व्यवस्था नहीं है. ये लोग जनप्रतिनिधियों से लेकर अधिकारियों तक फरियाद लगा चुके है मगर अब तक किसी ने इनकी सुध नहीं ली.

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इस मामले को लेकर जब जिले के उपायुक्त कमलेश्वर प्रसाद सिंह से ईटीवी भारत ने जवाब तलब किया तो उन्होंने इसकी जानकारी मिलने की बात कहते हुए जल्द से जल्द उनकी समस्याओं का निराकारण करने की बात कही. इसके साथ ही उन्होंने इससे संबंधित जांच रिपोर्ट बीडीओ को सौंपने का निर्देश दिया है.

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