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देवघर की दिव्यांग 'बसंती' कर रही है दिव्य काम, प्रकृति प्रेम की है अनोखी मिसाल - देवघर समाचार

देवघर की एक ऐसी महिला जो प्रकृति से प्रेम करती है. वह बिना लालच के हर दिन सड़कों के बीच बने डिवाइडर में लगे पौधों की सिंचाई करती है. महिला मानसिक तौर पर बीमार है लेकिन किसी को उसकी सेहत का ख्याल नहीं है. पढ़े पूरी रिपोर्ट.

a mentally ill woman performs divine work in deoghar
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Published : Nov 8, 2020, 1:46 PM IST

देवघर: शहर की सड़कों पर वाहन और लोगों की भीड़ को यूं तो अपने गंतव्य तक पहुंचने और काम की आपाधापी मची रहती है. इसी भीड़-भाड़ वाली सड़कों पर एक ऐसी महिला है, जो प्रकृति से प्रेम करती है. देवघर की एक महिला जो खुद मानसिक तौर पर बीमार हैं लेकिन वो पर्यावरण संरक्षण सहित दूसरों की सेहत का ख्याल रख रही हैं. लोग इसे बसंती के नाम से जानते हैं. बसंती हर रोज सुबह चापाकल से डब्बे में पानी भरती है और सड़कों के बीच बने डिवाइडर में लगे पौधों की सिंचाई करती हैं. पिछले 2 सालों से बसंती यही काम कर रही है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट
स्थानीय लोग बसंती को मानसिक तौर पर विक्षिप्त कहते हैं लेकिन इन डिवाइडरों के बीच खिले यह फूल उन तमाम बुद्धिजीवियों के लिए एक उदाहरण पेश कर रहे हैं. जो काम नगर निगम को करना चाहिए उसकी भी जिम्मेदारी बसंती ने अपने कंधों पर उठा रखा है. बसंती के इस काम से लोग प्रभावित हुए हैं और पेड़-पौधों के प्रति इस महिला के समर्पण को सलाम करते हैं.ये भी पढ़े- इस दिवाली कुम्हारों की उम्मीद होगी पूरी, बाजार नहीं पहुंचा चाइना का सामान

वहीं, बसंती कहां से आई और उसे क्या मानसिक बीमारी है ये कोई नहीं जानता है. आस पास के लोग उसे कुछ खाना दे देते हैं जिससे उसका गुजारा हो जाता है. लेकिन हद तो ये है कि आज तक किसी ने उसे अस्पताल तक ले जाने की जहमत नहीं उठाई है. प्रशासन भी आंखें मूंद बैठा है. उम्मीद है कि पर्यावरण की सेहत का ख्याल रखने वाली बसंती की सेहत के लिए कोई आगे आएगा.

देवघर: शहर की सड़कों पर वाहन और लोगों की भीड़ को यूं तो अपने गंतव्य तक पहुंचने और काम की आपाधापी मची रहती है. इसी भीड़-भाड़ वाली सड़कों पर एक ऐसी महिला है, जो प्रकृति से प्रेम करती है. देवघर की एक महिला जो खुद मानसिक तौर पर बीमार हैं लेकिन वो पर्यावरण संरक्षण सहित दूसरों की सेहत का ख्याल रख रही हैं. लोग इसे बसंती के नाम से जानते हैं. बसंती हर रोज सुबह चापाकल से डब्बे में पानी भरती है और सड़कों के बीच बने डिवाइडर में लगे पौधों की सिंचाई करती हैं. पिछले 2 सालों से बसंती यही काम कर रही है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट
स्थानीय लोग बसंती को मानसिक तौर पर विक्षिप्त कहते हैं लेकिन इन डिवाइडरों के बीच खिले यह फूल उन तमाम बुद्धिजीवियों के लिए एक उदाहरण पेश कर रहे हैं. जो काम नगर निगम को करना चाहिए उसकी भी जिम्मेदारी बसंती ने अपने कंधों पर उठा रखा है. बसंती के इस काम से लोग प्रभावित हुए हैं और पेड़-पौधों के प्रति इस महिला के समर्पण को सलाम करते हैं.ये भी पढ़े- इस दिवाली कुम्हारों की उम्मीद होगी पूरी, बाजार नहीं पहुंचा चाइना का सामान

वहीं, बसंती कहां से आई और उसे क्या मानसिक बीमारी है ये कोई नहीं जानता है. आस पास के लोग उसे कुछ खाना दे देते हैं जिससे उसका गुजारा हो जाता है. लेकिन हद तो ये है कि आज तक किसी ने उसे अस्पताल तक ले जाने की जहमत नहीं उठाई है. प्रशासन भी आंखें मूंद बैठा है. उम्मीद है कि पर्यावरण की सेहत का ख्याल रखने वाली बसंती की सेहत के लिए कोई आगे आएगा.

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