चाईबासा: अगर कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो पत्थर में भी फूल खिलाए जा सकता है. ऐसा ही कुछ कर दिखाया है तांतनगर प्रखंड के अंतर्गत चिटीमिटी गांव के पोरेश चंद्र बिरूली ने. उन्होंने अपने हौसले और अथक प्रयास से बंजर भूमि को हरी-भरी बगिया में तब्दील कर एक मिसाल पेश किया है. जिस जमीन में कभी कंकड़ पत्थर हुआ करते थे आज वहां फल, फूल, सब्जियां और पेड़-पौधे लहलहा रहे हैं.
ट्री मैन के नाम से इलाके में मशहूर हैं पोरेश
पश्चिम सिंहभूम जिले के तांतनगर प्रखंड अंतर्गत चिटीमिटी गांव आने पर यहां दर्जनों फलदार-फूलदार पेड़-पौधे देखने को मिलेंगे. जानकर यकीन नहीं होगा कि होगा कि 20 वर्ष पहले यह क्षेत्र पूरी तरह से बंजर भूमि के रूप में जाना जाता था. लेकिन आज यह पूरी तरह से एक हरा-भरा बगिया बन चुका है. यहां चारों ओर हरियाली फलदार और छायादार वृक्ष लहलहा रहे हैं. पोरेश चंद्र बिरूली बताते हैं कि वे उन्होंने अपने मामा के घर रहकर 1987 में चाईबासा से मैट्रिक की परीक्षा दी. वहां वन विभाग की नर्सरी में पेड़ लगते हुए देख वे काफी प्रेरित हुए. उसके बाद अपने गांव आकर गांव के बंजर पड़े भूमि पर पेड़ लगाने का सिलसिला शुरू किया. सड़को के किनारे, गांव के आसपास सैकड़ों पेड़ लगाए. उनके द्वारा लगाए गए पौधे वृक्ष बन कर बढ़ते गए और उनका भी हौसला बुलंद होता चला गया. फिर क्या था देखते ही देखते बंजर भूमि मिनी सारंडा का रूप ले चुकी है और चारो तरफ हरियाली है. पेड़-पौधों से इनका प्रेम देखकर इलाके के लोग इन्हें ट्री मैन के नाम से भी पुकारते हैं.
8 हजार से अधिक पेड़-पौधे लगा चुके हैं पोरेश
पोरेश चंद्र बिरूली बताते हैं कि उनके द्वारा लगाए गए वृक्ष भविष्य में उनके पेंशन के रूप में काम करेंगे. इसी सोच के साथ गांव के ग्रामीणों के साथ बैठक कर ग्रामीणों को भी अपनी पूरी जिंदगी में प्रत्येक व्यक्ति को एक-एक पेड़ लगाने के लिए प्रेरित भी करते हैं. उन्होंने 1987 से अब तक अपने गांव में 1.5 किलोमीटर तक 8 हजार से अधिक वृक्ष लगाए हैं. उन्होंने बताया कि वे वर्ष 2003 में आत्मा नामक संस्था से जुड़े, पूजा विजिट के लिए कोरापुट, कटक, भुवनेश्वर, रांची, दिल्ली, नोएडा, लुधियाना, हैदराबाद समेत कई जगहों पर जाकर खेती की बारीकियां सीखी. खेती की बारीकियों को सीखने के बाद वे उन्हें अपने खतों में आजमाया. उसके बाद पोरेश ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. आज पोरेश एक श्रेष्ठ कृषक बनकर क्षेत्र में वाहवाही भी लूट रहे हैं. इस दौरान वे कई सम्मान भी पा चुके हैं.
कई बार किया गया सम्मानित
उन्होंने बताया कि भारत सरकार कृषि मंत्रालय के द्वारा 2010 में दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में तत्कालीन केंद्रीय मंत्री रहे शरद पवार के द्वारा उन्हें प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया. उसके झारखंड सरकार के द्वारा तत्कालीन मुख्यमंत्री शिबू सोरेन और जिले के अन्य विभिन्न विभागों के द्वारा भी सम्मानित किया जा चुका है. वर्ष 2008 में जिला कृषि विभाग की ओर से श्रेष्ठ किसान के रूप में 50,000 रुपये नगद इनाम भी दिया जा चुका है. केंद्र और राज्य सरकार से सम्मानित होने के बाद पोरेश का हौसला बुलंद होता गया और वे आज हजारों फलदार और छायादार वृक्ष के मालिक हैं.
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लगा चुके हैं 16 प्रजाति के वृक्ष
इतना ही नही उन्होंने अपने 4 एकड़ खेत में फलों की खेती की है जिसमें आम की 16 प्रजाति के वृक्ष लगाए हैं. इसके साथ ही अमरुद, नींबू के सैकड़ों पेड़-पौधे लगाकर अपनी मासिक आमदनी को भी बढ़ाया है. वे बताते हैं कि मौसमी फलों की खेती कर वे कुल मिलाकर 48 हजार के लगभग आमदनी कर लेते हैं. वे लगभग 20 एकड़ जमीन पर धान की खेती के साथ अन्य फसल के रूप में आलू, सरसो, चना, गेहूं, मूंग की भी खेती करते हैं. तांतनगर के ग्रामीण हरिशंकर बताते हैं कि 20 वर्ष पूर्व यह भूमि पूरी तरह से बंजर भूमि थी जंहा एक भी पेड़ पौधे नजर आते थे और ना ही कुछ दूर-दूर तक कंकड़ पत्थर थे. हमारे गांव के किसान पोरेश चंद्र बिरूली के मन में क्या आया और उसने क्षेत्र में पेड़-पौधे लगाने शुरू कर दिया. देखते ही देखते यह क्षेत्र मिनी सरांडा का रूप ले चुका है. अब कई लोग भी इस क्षेत्र में आना पसंद करते हैं. पोरेश चंद्र बिरूली के कार्यों का अनुशरण करते हुए गांव के ग्रामीणों ने भी अपने अपने क्षेत्रों में पेड़-पौधे लगाने शुरू कर दिया है.
अधिकारियों ने भी की सराहना
बीडीओ अनंत कुमार बताते हैं कि उनके पदस्थापन के बाद जानकारी हुई कि पोरेश चंद्र बिरूली काफी ख्याति प्राप्त किसान हैं. उन्होंने अपने बलबूते पर ही गांव और आसपास के क्षेत्रों में हरियाली लाई सैकड़ों पेड़ उन्होंने क्षेत्र में लगाएं हैं. उन्होंने खेती के क्षेत्र में भी काफी अच्छा काम किया है जिसे लेकर केंद्र व राज्य सरकार के द्वारा ने सम्मानित भी किया जा चुका है. फरवरी माह में सरकार आपके द्वार कार्यक्रम में स्थानीय विधायक के द्वारा सीड ड्रिल कम फर्टिलाइजर मशीन भी उन्हें दिया गया है. ताकि और भी बेहतरीन तरीके से खेती कर सकें. सरकार के द्वारा दिए जाने वाली अत्याधुनिक खेती की मशीनों को भी उन्हें दिया जा रहा है आज वे क्षेत्र के किसानों के लिए एक आइडल बन चुके हैं, इसके साथ साथ गांव की रानी ग्रामीणों को भी खेती के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं.