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हाई कोर्ट के फैसले के सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे हाई स्कूल के शिक्षक, कहा- आत्महत्या के अलावा कोई रास्ता नहीं

झारखंड हाई कोर्ट ने हाई स्कूल के शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया को रद्द कर दी है, जिसके बाद शिक्षकों में काफी रोष है. नियुक्त प्रक्रिया को यथावत रहने देने की मांग को लेकर चाईबासा बाईपास फुटबॉल मैदान में कई शिक्षक इकट्ठा हुए. शिक्षकों ने हाई कोर्ट के फैसले को गलत ठहराते हुए सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला लिया है.

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शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया रद्द
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Published : Sep 22, 2020, 6:38 PM IST

चाईबासा: झारखंड हाई कोर्ट ने 18 हजार हाई स्कूल के शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया को रद्द कर दिया है. इस फैसले के बाद पश्चिम सिंहभूम जिले के हाई स्कूलों के शिक्षकों का जुटान चाईबासा के बाईपास फुटबॉल मैदान में हुआ. इस दौरान हाई स्कूल के शिक्षकों ने हाई कोर्ट के फैसले को गलत ठहराते हुए सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का निर्णय लिया है.

देखें पूरी खबर
हाई स्कूलों के शिक्षकों की मांग है कि राज्य सरकार और झारखंड हाई कोर्ट उनकी मांगों को समझे और उनकी नियुक्ति प्रक्रिया को यथावत रहने दें. क्योंकि सभी लोग अलग-अलग नौकरियों को छोड़कर इस नौकरी में आए थे. हाई कोर्ट के फैसले के बाद शिक्षकों में उहापोह की स्थिति उत्पन्न हो गई है. उन्हें यह समझ नहीं आ रहा है कि अब जाएं तो जाएं कहां, क्योंकि जब सरकार ने इन लोगों को नियुक्ति पत्र दिया था, तो यह लोग अपनी पुरानी नौकरी छोड़ कर आ गए थे. अब हाई कोर्ट ने उनकी नियुक्ति प्रक्रिया को रद्द कर दिया है, जिसके बाद इन लोगों का कहना है कि हाई स्कूल के शिक्षकों के सामने आत्महत्या के अलावा दूसरा रास्ता नहीं बचा है. 23 सितबंर को 13 जिलों से सभी शिक्षक सुप्रीम कोर्ट के लिए कूच करेंगे और अपनी मांगों को सुप्रीम कोर्ट के सामने रखते हुए न्याय की गुहार लगाएंगे.

इसे भी पढे़ं:- लोको पायलट ने रेलवे में निजीकरण का किया विरोध, कहा- अडानी-अंबानी को नहीं चलाने देंगे रेल


नौकरी बचाने की मांग
शिक्षकों का कहना है कि सरकार अभी हमारा साथ दे, हम सभी ने पुरानी नौकरी छोड़कर हाई स्कूल में शिक्षक नियुक्त हुए हैं और हमें इस स्थिति में लाकर खड़ा कर दिया गया है कि हमलोग आत्मदाह करने की स्थिति में आ गए हैं. उन्होंने कहा कि शिक्षकों और उनका परिवार अगर आत्महत्या करते हैं तो उसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी, या जिन्होंने ऐसा फैसला लिया है. महिला शिक्षक ने कहा कि सरकार और जनप्रतिनिधि हमारे दुख दर्द को समझें या फिर पूरे देश में राष्ट्रपति शासन लागू किया जाए, हमें जनप्रतिनिधि की कोई आवश्यकता ही नहीं है. उन्होंने सरकार से नौकरी बचाने की अपील की है. शिक्षकों का कहना है कि जब सरकार ने उन्हें नौकरी दी थी तो उन्हें अब क्यों हटाया जा रहा है, यदि सरकार की कोई गलती है तो उसमें शिक्षकों का क्या दोष है,

चाईबासा: झारखंड हाई कोर्ट ने 18 हजार हाई स्कूल के शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया को रद्द कर दिया है. इस फैसले के बाद पश्चिम सिंहभूम जिले के हाई स्कूलों के शिक्षकों का जुटान चाईबासा के बाईपास फुटबॉल मैदान में हुआ. इस दौरान हाई स्कूल के शिक्षकों ने हाई कोर्ट के फैसले को गलत ठहराते हुए सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का निर्णय लिया है.

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हाई स्कूलों के शिक्षकों की मांग है कि राज्य सरकार और झारखंड हाई कोर्ट उनकी मांगों को समझे और उनकी नियुक्ति प्रक्रिया को यथावत रहने दें. क्योंकि सभी लोग अलग-अलग नौकरियों को छोड़कर इस नौकरी में आए थे. हाई कोर्ट के फैसले के बाद शिक्षकों में उहापोह की स्थिति उत्पन्न हो गई है. उन्हें यह समझ नहीं आ रहा है कि अब जाएं तो जाएं कहां, क्योंकि जब सरकार ने इन लोगों को नियुक्ति पत्र दिया था, तो यह लोग अपनी पुरानी नौकरी छोड़ कर आ गए थे. अब हाई कोर्ट ने उनकी नियुक्ति प्रक्रिया को रद्द कर दिया है, जिसके बाद इन लोगों का कहना है कि हाई स्कूल के शिक्षकों के सामने आत्महत्या के अलावा दूसरा रास्ता नहीं बचा है. 23 सितबंर को 13 जिलों से सभी शिक्षक सुप्रीम कोर्ट के लिए कूच करेंगे और अपनी मांगों को सुप्रीम कोर्ट के सामने रखते हुए न्याय की गुहार लगाएंगे.

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नौकरी बचाने की मांग
शिक्षकों का कहना है कि सरकार अभी हमारा साथ दे, हम सभी ने पुरानी नौकरी छोड़कर हाई स्कूल में शिक्षक नियुक्त हुए हैं और हमें इस स्थिति में लाकर खड़ा कर दिया गया है कि हमलोग आत्मदाह करने की स्थिति में आ गए हैं. उन्होंने कहा कि शिक्षकों और उनका परिवार अगर आत्महत्या करते हैं तो उसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी, या जिन्होंने ऐसा फैसला लिया है. महिला शिक्षक ने कहा कि सरकार और जनप्रतिनिधि हमारे दुख दर्द को समझें या फिर पूरे देश में राष्ट्रपति शासन लागू किया जाए, हमें जनप्रतिनिधि की कोई आवश्यकता ही नहीं है. उन्होंने सरकार से नौकरी बचाने की अपील की है. शिक्षकों का कहना है कि जब सरकार ने उन्हें नौकरी दी थी तो उन्हें अब क्यों हटाया जा रहा है, यदि सरकार की कोई गलती है तो उसमें शिक्षकों का क्या दोष है,

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