चाईबासा: पश्चिमी सिंहभूम के नाई समाज के लोगों ने उपायुक्त कार्यालय पहुंचकर मांग पत्र सौंपा. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार नाई समाज के लोगों के बारे में विचार करे. क्योंकि अब राशन दुकानदार भी उधार देने से मना कर रहे हैं. हम लोग गरीबी रेखा में आते हैं. लॉकडाउन के दौरान अपनी जमा पूंजी से अपने परिवार का भरण-पोषण किया. अब सरकार का दरवाजा ही हमारा आखरी रास्ता है अगर हमें दुकान खोलने की अनुमति नहीं मिलती है तो धरना प्रदर्शन नहीं करेंगे लेकिन बाल बच्चे परिवार के साथ उपायुक्त कार्यालय में ही बैठे रहेंगे.
अनलॉक वन के बाद भी सैलून खोलने के इजाजत नहीं दिए जाने के बाद पश्चिम सिंहभूम जिले के नाई समाज के लोगों ने जिले के उपायुक्त अरवा राजकमल को जिले के सभी सैलून को खोलने को लेकर अपने मांग पत्र सौंपा है. मांग पत्र में जिले के उपायुक्त के माध्यम से राज्य सरकार से आग्रह किया है कि वे झारखंड राज्य में भी सभी सैलून को खोलने की इजाजत दे. मांग पत्र सौपने पहुंचे नाई समाज के लोगों का कहना है कि भारत सरकार के दिशा-निर्देश अनुसार अनलॉक वन के अंतर्गत अन्य राज्यों में सैलून को भी खोलने की इजाजत दे दी गई है, सिर्फ झारखंड में ही सैलून के लिए इजाजत नहीं दी गई है. दो महीने से अधिक समय तक दुकान बंद कर सरकार के आदेश का पालन किया है. लेकिन इस दौरान हमारे समाज के लोगों की स्थिति काफी दयनीय हो चुकी है. हम लोग गरीबी रेखा में आते हैं सरकार हमारी मजबूरी भी समझे.
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लॉकडाउन के दौरान सभी सैलून के मालिकों को बिजली बिल, पानी, दुकान का भाड़ा देना पड़ रहा है. नाई समाज के लोगों ने कहा कि किसी तरह उन्होंने जमा पूंजी से लॉकडाउन के दौरान 70-75 दिन किसी तरह काट लिए हैं. लेकिन अब खाने के लाले पड़ चुके हैं. वर्तमान में नाई समाज के सामने आर्थिक संकट की समस्या उत्पन्न हो गई है जो कि काफी विचारणीय है, लगभग सभी नाई समाज के लोग गरीबी रेखा में है और किसी तरह अपना गुजर-बसर कर रहे हैं. ऐसे में इन लोगों को घर चलाने में काफी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है. गरीबी रेखा में गुजर-बसर करने के बावजूद भी केंद्र और राज्य सरकार की ओर से नाई समाज के लोगों को किसी भी प्रकार की मदद नहीं मिली है.
बता दें कि देश के अन्य राज्यों में सैलून खोलने की अनुमति मिल चुकी है मगर झारखंड राज्य सरकार के द्वारा अब तक सैलून खोलने की अनुमति नहीं मिल पाने के कारण नाई समाज के लोगों के समक्ष परिवार का भरण-पोषण की समस्या उत्पन्न हो गई है और समस्त समाज के लोग काफी मानसिक तनाव से गुजर रहे हैं. उन्होंने कहा कि सरकार अगर उन्हें सैलून खोलने की अनुमति नहीं देती है तो सभी नाई परिवार जिला समाहरणालय के समक्ष बाल बच्चे परिवार के साथ बैठ जाएंगे.