बोकारो: महिलाएं अपनी पति की लंबी आयु के लिए वट सावित्री व्रत कर रही हैं. यहां अहले सुबह से ही महिलाएं बरगद के पेड़ के नीचे वट सावित्री की पूजा कर अपने पति की लंबी आयु और मंगल कामना के लिए व्रत कर रही हैं. इस व्रत में महिलाएं बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं और पेड़ पर मौली धागा से 11, 21 या 108 बार परिक्रमा कर उसे बांधती हैं.
मान्यत है कि यह धागा उनके पति की रक्षा करता है और सभी बुराइयों से दूर रखता है. साथ ही एक धारणा यह भी है कि इस इस धागे से बांधकर वो अपनी पति को अपने साथ जोड़े रखती हैं. इस दिन वट वृक्ष को जल से सींचकर उसमें हल्दी लगाकर और कच्चा सूत लपेटा जाता है. इसके साथ ही महिलाएं जब वट वृक्ष की परिक्रमा करती हैं तो उस पर हर बार कुछ ना कुछ अर्पित भी करती हैं.
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क्यों मनाया जाता है यह त्योहार ?
कहा जाता है कि सावित्री ने अपने पति के जीवन के लिए बरगद के पेड़ के नीचे तपस्या की थी. जब सावित्री अपने पति को फिर से जिंदा कराने के लिए तपस्या कर रहीं थी तब उसके पति सत्यवान के मृत शरीर को अपनी जटाओं के घेरे में सुरक्षित रखा था. ताकि जंगली जानवर शरीर को नुकसान नहीं पहुंचा सके. इसलिए इसे वट सावित्री का व्रत कहा जाता है. सावित्री के पति सत्यवान की अल्पायु में ही मौत हो गई थी तब सावित्री ने वट पेड़ के नीचे तपस्या की थी और और यमराज से अपने पति के प्राण वापसी कराई थी. ये भी कहा जाता है कि वट वृक्ष की जड़ों में ब्रह्मा, तने में विष्णु और पत्तों पर शिव का वास होता है इसलिए वट वृक्ष की पूजा को श्रेष्ठ माना जाता है.
इस मौके पर पूजा करने आई महिलाओं ने कहा की यह पूजा उनके पति की लंबी आयु और परिवार की कल्याण के लिए है. वहीं पत्नी ही पति की लंबी आयु के लिए पूजा क्यों करें के सवाल पर वह कहती हैं जमाना बदल रहा है और अब पति भी पत्नी के लिए बहुत कुछ कर रहे हैं.