बोकारोः चंदनकियारी प्रखंड के अंतर्गत संथाल लाघला के जेहर घुटू में आदिवासियों ने धूमधाम से बाहा पर्व यानि सरहुल मनाया. इस अवसर पर दूरदराज गांव से आदिवासी महिलाएं पहुंची और अपनी-अपनी टीमों के साथ नृत्य किया. इस दौरान दर्जनों गांव के आदिवासियों की भीड़ जमा रही. इससे पहले माझी बाबा ने पूजा अर्चना किया और लोगों को प्रसाद के रूप में खिचड़ी खिलाया गया.
ये भी पढ़ें-सदन में पुरानी इमारतों के नक्शे नियमतीकरण का उठा सवाल, मंत्री ने कहा बाईलॉज का अध्ययन कर लिया जाएगा निर्णय
सरहुल का शाब्दिक अर्थ है साल की पूजा है. सरहुल त्योहार धरती माता को समर्पित है. इस त्योहार के दौरान प्रकृति की पूजा की जाती है. सरहुल कई दिनों तक मनाया जाता है, जिसमें मुख्य पारंपरिक नृत्य सरहुल नृत्य किया जाता है. आदिवासियों का मानना है कि वे इस त्योहार को मनाए जाने के बाद ही नई फसल का उपयोग मुख्य रूप से धान, पेड़ के पत्ते, फूलों और फल का उपयोग कर सकते हैं.