ETV Bharat / city

बोकारो में धूमधाम से मनाया गया बाहा पर्व, अपनी टीम के साथ लोगों ने पेश किया नृत्य - Sarhul festival celebrated with great pomp in Dhanbad

बोकारो में धूमधाम से बाहा पर्व मनाया गया. इस अवसर पर कई गांव से आए लोगों की ने अपनी-अपनी टीम के साथ नृत्य किया. वहीं, पहले माझी बाबा ने पूजा अर्चना की और लोगों को प्रसाद के रूप में खिचड़ी खिलायी.

Sarhul festival celebrated with great pomp in Dhanbad
बोकारो में धूमधाम से मनाया गया बाहा पर्व
author img

By

Published : Mar 19, 2020, 11:23 AM IST

बोकारोः चंदनकियारी प्रखंड के अंतर्गत संथाल लाघला के जेहर घुटू में आदिवासियों ने धूमधाम से बाहा पर्व यानि सरहुल मनाया. इस अवसर पर दूरदराज गांव से आदिवासी महिलाएं पहुंची और अपनी-अपनी टीमों के साथ नृत्य किया. इस दौरान दर्जनों गांव के आदिवासियों की भीड़ जमा रही. इससे पहले माझी बाबा ने पूजा अर्चना किया और लोगों को प्रसाद के रूप में खिचड़ी खिलाया गया.

देखें पूरी खबर

ये भी पढ़ें-सदन में पुरानी इमारतों के नक्शे नियमतीकरण का उठा सवाल, मंत्री ने कहा बाईलॉज का अध्ययन कर लिया जाएगा निर्णय

सरहुल का शाब्दिक अर्थ है साल की पूजा है. सरहुल त्योहार धरती माता को समर्पित है. इस त्योहार के दौरान प्रकृति की पूजा की जाती है. सरहुल कई दिनों तक मनाया जाता है, जिसमें मुख्य पारंपरिक नृत्य सरहुल नृत्य किया जाता है. आदिवासियों का मानना ​​है कि वे इस त्योहार को मनाए जाने के बाद ही नई फसल का उपयोग मुख्य रूप से धान, पेड़ के पत्ते, फूलों और फल का उपयोग कर सकते हैं.

बोकारोः चंदनकियारी प्रखंड के अंतर्गत संथाल लाघला के जेहर घुटू में आदिवासियों ने धूमधाम से बाहा पर्व यानि सरहुल मनाया. इस अवसर पर दूरदराज गांव से आदिवासी महिलाएं पहुंची और अपनी-अपनी टीमों के साथ नृत्य किया. इस दौरान दर्जनों गांव के आदिवासियों की भीड़ जमा रही. इससे पहले माझी बाबा ने पूजा अर्चना किया और लोगों को प्रसाद के रूप में खिचड़ी खिलाया गया.

देखें पूरी खबर

ये भी पढ़ें-सदन में पुरानी इमारतों के नक्शे नियमतीकरण का उठा सवाल, मंत्री ने कहा बाईलॉज का अध्ययन कर लिया जाएगा निर्णय

सरहुल का शाब्दिक अर्थ है साल की पूजा है. सरहुल त्योहार धरती माता को समर्पित है. इस त्योहार के दौरान प्रकृति की पूजा की जाती है. सरहुल कई दिनों तक मनाया जाता है, जिसमें मुख्य पारंपरिक नृत्य सरहुल नृत्य किया जाता है. आदिवासियों का मानना ​​है कि वे इस त्योहार को मनाए जाने के बाद ही नई फसल का उपयोग मुख्य रूप से धान, पेड़ के पत्ते, फूलों और फल का उपयोग कर सकते हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.