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झारखंड स्थापना दिवस पर सैंड आर्टिस्ट अजय की पेशकश, भगवान बिरसा की भव्य आकृति बनाकर दी श्रद्धांजलि

बोकारो में दामोदर नदी के किनारे सैंड आर्टिस्ट अजय शंकर महतो ने भगवान बिरसा की 144 वीं जयंती पर रेत पर भव्य आकृति बनाकर श्रद्धांजलि दी है. आकृति में अजय ने रंग भी भरा है. इस रंगीन आकृति को देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ रही है.

भगवान बिरसा की भव्य आकृति
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Published : Nov 15, 2019, 2:46 PM IST

बोकारोः चंदनकियारी के कलाकार अजय शंकर महतो ने सैंड आर्ट के जरिये धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की 144 वीं जयंती पर रेत पर उनकी आकृति बना कर श्रद्धांजलि दी है. बता दें कि शीलफोर गांव स्थित दामोदर नदी किनारे पर अजय शंकर ने रेत पर भगवान बिरसा की भव्य आकृति बनाकर श्रद्धांजलि दी. अजय की बनायी इस सुंदर रंगीन आकृति को देखने के लिए नदी किनारे लोगों की भीड़ उमड़ रही है.

देखें पूरी खबर

ये भी पढ़ें-जब एक निर्दलीय विधायक को सौंप दी गई राज्य की कमान, मधु कोड़ा का कैंपस से कुर्सी तक का सफर

कलाकार अजय शंकर महतो ने बताया कि आज ही के दिन 15 नवंबर 1875 को धरती आबा भगवान बिरसा का जन्म हुआ था. अजय बताते हैं कि भगवान बिरसा की इच्छाशक्ति और साहस का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि मात्र 19 वर्ष की आयु में उन्होंने मुंडा आदिवासियों को एकजुट कर अंग्रेज़ों से 'लगान माफी' के लिए उलगुलान शुरू कर दिया था.

कलाकार अजय शंकर महतो का कहना है कि वो इस तरह रेत में आकृति हर पूजा, त्यौहार, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दिवस पर बनाते हैं, जिसे देखने के लिए बोकारो जिला और धनबाद जिला के लोग दूर-दूर से पहुंचते हैं. उन्होंने बताया कि नदी में रेत कम मात्रा में रहने के कारण वो कई तरह की भव्य आकृतियां नहीं बना पा रहे हैं.

बोकारोः चंदनकियारी के कलाकार अजय शंकर महतो ने सैंड आर्ट के जरिये धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की 144 वीं जयंती पर रेत पर उनकी आकृति बना कर श्रद्धांजलि दी है. बता दें कि शीलफोर गांव स्थित दामोदर नदी किनारे पर अजय शंकर ने रेत पर भगवान बिरसा की भव्य आकृति बनाकर श्रद्धांजलि दी. अजय की बनायी इस सुंदर रंगीन आकृति को देखने के लिए नदी किनारे लोगों की भीड़ उमड़ रही है.

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कलाकार अजय शंकर महतो ने बताया कि आज ही के दिन 15 नवंबर 1875 को धरती आबा भगवान बिरसा का जन्म हुआ था. अजय बताते हैं कि भगवान बिरसा की इच्छाशक्ति और साहस का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि मात्र 19 वर्ष की आयु में उन्होंने मुंडा आदिवासियों को एकजुट कर अंग्रेज़ों से 'लगान माफी' के लिए उलगुलान शुरू कर दिया था.

कलाकार अजय शंकर महतो का कहना है कि वो इस तरह रेत में आकृति हर पूजा, त्यौहार, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दिवस पर बनाते हैं, जिसे देखने के लिए बोकारो जिला और धनबाद जिला के लोग दूर-दूर से पहुंचते हैं. उन्होंने बताया कि नदी में रेत कम मात्रा में रहने के कारण वो कई तरह की भव्य आकृतियां नहीं बना पा रहे हैं.

Intro:सेंट आर्टिस्ट अजय शंकर ने बालू के रेत में धरती आबा बिरसा मुंडा के जयंती पर भब्य कृति बनाकर दीया श्रद्धांजलिBody:चंदनकियारी के कलाकार अजय शंकर महतो ने सैंड आर्ट के जरिये धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की 144 वी जयंती पर आकृति बालू के रेत पर बना कर उनके जन्म पर श्रद्धांजलि दिया है।
शीलफोर गांव स्थित दामोदर नदी किनारे पर बालू की रेत में भव्य मूर्ति बनाकर श्रद्धांजलि दिया। इस सुंदर रंगीन रेत में बना आकृतिओ को देखने के लिए नदी किनारे लोगों की भीड़ उमड़ रही है। कलाकार अजय अजय शंकर महतो का कहना है कि15 नवंबर, 1875 को जन्मे बिरसा की इच्छाशक्ति और साहस का अंदाज़ा आप इस बात से लगा सकते हैं कि मात्र 19 वर्ष की आयु में उन्होंने मुंडाओं (आदिवासियों का एक समुदाय) को एकजुट कर अंग्रेज़ों से 'लगान माफी' के लिए उलगुलान (आंदोलन) शुरू कर दिया था। ऐसे महापुरुष का शत शत नमन।स महान
इस तरह का रेत में आकृति हम हर पूजा त्यौहार तथा राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय दिवस पर बनाते हैं जिसे देखने के लिए बोकारो जिला तथा धनबाद जिला के लोग दूर-दूर से पहुँचते हैं। नदी में रेत कम मात्रा में रहने के कारण कई तरह की भव्य आकृतियां नहीं बना पा रहे हैं।

बाईट- अजय शंकर महतो सैंड आर्टिस्ट
Conclusion:
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