नई दिल्ली: कॉरपोरेट क्षेत्र को बड़ी राहत देते हुए केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को सीएसआर प्रावधानों में कई बदलावों को मंजूरी दे दी. जिसके लिए कंपनियों को परोपकारी गतिविधियों पर अपने मुनाफे का एक हिस्सा खर्च करने की आवश्यकता पड़ेगी.
प्रस्तावित परिवर्तनों से न केवल कंपनियों को एक सीमा स्तर से नीचे सीएसआर समिति के गठन से छूट मिलेगी, बल्कि वे उन्हें अपने सीएसआर व्यय को अगले वर्ष तक ले जाने की भी अनुमति दे सकेंगे.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, "अगर किसी कंपनी को एक साल में सीएसआर गतिविधियों पर 50 लाख रुपये तक खर्च करने पड़ते हैं तो उसे सीएसआर समिति का गठन करने की जरूरत नहीं होगी."
सरकार ने कॉरपोरेट क्षेत्र की मांग को भी स्वीकार कर लिया है कि अगर वे एक साल में सीएसआर के काम पर अपने लाभ का 2% से अधिक खर्च करते हैं, तो वे सीएसआर गतिविधियों पर अपने खर्च को आगे बढ़ाने की अनुमति दे सकते हैं.
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निर्मला सीतारमण ने कहा कि अगर कोई कंपनी कुछ करती है, उदाहरण के लिए सीएसआर गतिविधि के तहत एक अस्पताल का निर्माण करती है, जिसके लिए अधिक अग्रिम व्यय की आवश्यकता होती है तो उसे अगले वर्ष सीएसआर व्यय को आगे बढ़ाने की अनुमति होगी.
कंपनी अधिनियम में आपराधिक प्रावधानों को सरकार ने हटाया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक में कंपनी कानून 2013 में 72 संशोधनों वाला विधेयक पेश किए जाने को मंजूरी दी. बैठक के बाद वित्त और कॉरपोरेट मामलों की मंत्री निर्मला सीतारमण ने संवाददाताओं को बताया कि इन संशोधन प्रस्तावों का मुख्य उद्येश्य कंपनी कानून में विभिन्न प्रावधानों को आपराधिक सजा वाले प्रावधान की श्रेणी से हटाना है.
उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल ने कानून में 72 बदलावों के प्रस्ताव को मंजूरी दी. कानून के तहत कुल 66 समझौते लायक गड़बड़ियों (कम्पाउड करने लायक गड़बड़ी) में से 23 की श्रेणी बदली गयी है और समझौते लायक सात गलतियों को अपराध की सूची से हटाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गयी है.
आम तौर पर समझौता योग्य या कंम्पाउड करने लायक उल्लंघन ऐसे माने जाते हैं जहां गलती करने वाला समझौता कर के उसका समाधान करा सकता है. सीतारमण ने कहा कि सरकार विभिन्न धाराओं में जेल के प्रावधान को हटाएगी और इसके साथ साथ कंपाउंड योग्य कुछ प्रावधानों में जुर्माना हल्का करेगी.
जबकि पांच अन्य अपराधों को एक वैकल्पिक ढांचे के माध्यम से निपटा जाएगा और छह अन्य चूक के संबंध में दंड की मात्रा को पहले से ही कम कर दिया गया है.
कॉरपोरेट अफेयर्स सेक्रेटरी इनजेति श्रीनिवास ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए कहा, "धोखाधड़ी जैसे गंभीर अपराधों के लिए कंपनी अधिनियम में कारावास का प्रावधान होगा जो अधिकतम सात साल की कैद का प्रावधान है."
पिछले 2 वर्षों में कंपनी अधिनियम में क्या आया बदलाव
केंद्र सरकार ने कुल दंड प्रावधानों की संख्या कंपनी अधिनियम 2018 के 134 से घटाकर कंपनी अधिनियम 2020 में 124 कर दी है.
पहले की तुलना में कंपाउंडेबल अपराधों की संख्या 31 हो गई है. हालांकि, गैर-कंपाउंडेबल अपराधों की संख्या 35 पर ही रहेगी लेकिन कंपनियों के लिए एक बड़ी राहत, आंतरिक तंत्र के माध्यम से होने वाली चूक की संख्या को 18 से बढ़ाकर 58 किया जाएगा.
(लेखक- कृष्णानन्द त्रिपाठी, वरिष्ट पत्रकार)