रांचीः प्रदीप बलमुचू की कांग्रेस में वापसी की चर्चा एक बार फिर जोरों पर है. दरअसल शुक्रवार को जब प्रदीप बलमुचू कांग्रेस स्टेट हेड क्वार्टर पहुंचे तब उनके घर वापसी पर चर्चा शुरू हो गई. 2019 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से नाता तोड़ आजसू पार्टी का दामन थामने के बाद पहली बार प्रदीप बलमुचू कांग्रेसी स्टेट हेडक्वार्टर पहुंचे थे. इस वजह से उनके पार्टी में वापसी की चर्चा जोरों पर है, लेकिन असल में प्रदीप बलमुचू के कांग्रेस स्टेट हेडक्वार्टर पहुंचने की पीछे की वजह कुछ और थी.
पीएन सिंह के पुण्यतिथि पर पहुंचे
प्रदीप बलमुचू कांग्रेस के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष स्वर्गीय पीएन सिंह के पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित करने पहुंचे थे. इस दौरान उनकी मुलाकात प्रदेश अध्यक्ष रामेश्वर उरांव, प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्षों के साथ-साथ कांग्रेस के नेताओं और अन्य कार्यकर्ताओं से भी हुई. उनके कांग्रेस ऑफिस पहुंचने के बाद यह कयास लगाया जा रहे हैं कि प्रदीप बलमुचु की जल्द कांग्रेस में वापसी होगी. हालांकि विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस पार्टी का दामन छोड़कर कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी के खिलाफ चुनाव मैदान में उतरने वाले नेताओं की वापसी पर प्रदेश कांग्रेस की ओर से पूरी तरह से रोक लगाई गई है. इसको लेकर प्रदेश अध्यक्ष रामेश्वर उरांव ने पहले ही कहा है कि जिन लोगों ने पार्टी छोड़ पार्टी के प्रत्याशी के खिलाफ चुनावी मैदान में उतरा है, उनकी वापसी नहीं होगी और जिन्होंने चुनाव के समय टिकट के लिए दूसरे पार्टी का दामन थामा है. उनकी अगले 6 वर्ष तक वापसी नहीं होगी.
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जल्द हो सकती वापसी!
ऐसे में 2019 विधानसभा चुनाव के दौरान पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुखदेव भगत, प्रदीप बलमुचू, मनोज यादव समेत कई नेताओं ने टिकट की चाह में दूसरे राजनीतिक दलों का दामन थाम लिया था. ऐसे में सुखदेव भगत और मनोज यादव ने बीजेपी का दामन थाम कर कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी के खिलाफ ही चुनाव लड़ा. वहीं प्रदीप बलमुचू ने आजसू का दामन थाम का चुनाव लड़ा, लेकिन इन नेताओं को हार का मुंह देखना पड़ा. वहीं पिछले दिनों कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी के नेतृत्व में दिल्ली में हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया है कि पुराने कांग्रेस नेताओं की वापसी कराई जाए. ऐसे में सूत्रों के हवाले से खबर है कि प्रदीप बलमुचू और सुखदेव भगत की पार्टी में जल्द वापसी होगी. पार्टी छोड़ने के बाद इन नेताओं की ओर से अफसोस जाहिर करने की चर्चा भी लगातार राजनीतिक गलियारों में रही है और खबर यह भी है कि इन नेताओं ने वापसी की इच्छा भी जाहिर की है. ऐसे में शीर्ष नेतृत्व के हस्तक्षेप के बाद जल्द इन नेताओं की घर वापसी हो सकती है.