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2014 में झारखंड से एक भी महिला नहीं पहुंच पाई लोकसभा, 248 पुरुष के मुकाबले मैंदान में 18 महिलाएं

झारखंड की राजनीति में महिलाओं की सक्रियता कम नजर आ रही है. साल 2014 लोकसभा चुनाव में जहां 248 पुरुष उम्मीदवार चुनावी मैदान में थे वहीं मात्र 19 महिलाओं ने ही नामांकन किया था. इस महिला उम्मीदवारों में कोई जीत नहीं दर्ज कर पाई जबकि 17 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई.

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Published : Mar 13, 2019, 10:01 AM IST

फाइल फोटो

रांची: झारखंड की राजनीति में महिलाओं की सक्रियता कम नजर आ रही है. साल 2014 लोकसभा चुनाव में जहां 248 पुरुष उम्मीदवार चुनावी मैदान में थे वहीं मात्र 19 महिलाओं ने ही नामांकन किया था. इस महिला उम्मीदवारों में कोई जीत नहीं दर्ज कर पाई जबकि 17 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई.

women candidate in jharkhand loksabha election
फाइल फोटो


2014 चुनाव में सिर्फ 19 महिलाएं नॉमिनेशन फॉर्म भरी थी. इन 19 महिलाओं में से 17 महिला की जमानत जब्त हो गई थी तो एक महिला उम्मीदवार की नामांकन प्रक्रिया चुनाव आयोग ने रद्द कर दी. वहीं, पुरुष प्रत्याशी 248 थे, जिसमें से 192 उम्मीदवारों के जमानत जब्त हो गए थे. सबसे बड़ी बात ये है कि एक भी महिला प्रत्याशी इस चुनाव में जीत नहीं पाईं. वहीं झारखंड के 14 सीटों पर सीर्फ पुरुष प्रत्याशी ने ही परचम लहराया.


झारखंड में 2014 में महिला वोटरों की संख्या 9639126 थी, जिनमें से 6122832 महिलाओं ने वोटिंग किया था. फिर भी एक भी उम्मीदवार नहीं जीती. वहीं, झारखंड में पुरुष और महिला अनुपात की बात करें तो 951: 898 है. फिर केंद्र की राजनीति में झारखंड से अब महिलाओं की भागीदारी नहीं है. जबकि राष्ट्रीय स्तर की बात करें तो 2009 की तुलना में 2014 में लोकसभा में महिला सांसदों की संख्या बढ़ी थी. 2009 में 58 सांसद थीं तो 2014 में कुल 61 सांसद जीतकर संसद पहुंची थीं.


झारखंड में 14 लोकसभा सीट है, जिसमें 8 जनरल, 1- एससी और 5- एसटी सीट हैं. बात करें पिछले लोकसभा चुनाव 2014 की तो कुल 19 महिलाओं ने नॉमिनेशन फार्म भरा था. जिसमें जनरल सीट पर 10 महिलाओं ने और एसटी सीट पर 8 महिलाओं ने दावेदारी पेश की थी. इसमें चुनाव आयोग ने 1 उम्मीदवार का नॉमिनेशन रद्द कर दिया था. ये सीट एसटी खाते से था. 2014 के लोकसभा चुनाव में 18 महिला प्रत्याशी चुनाव लड़ी थी. इसमें 17 महिला प्रत्याशियों के जमानत जब्त हो गई. वहीं खूंटी से दयामनी बारला ही एक ऐसी प्रत्याशी थी, जिनकी जमानत जब्त नहीं हुई.ऐसा नहीं है कि झारखंड में महिला नेता नहीं है. राज्य के लिए कई महिला प्रत्याशी विधायक बनकर आईं. लेकिन वो केंद्र की राजनीति में दाखिल नहीं हो सकी. विधायक के तौर पर देखें तो कई महिला प्रत्याशी विधायक बनी हैं, लेकिन लोकसभा चुनाव में वे मात खा गई.

रांची: झारखंड की राजनीति में महिलाओं की सक्रियता कम नजर आ रही है. साल 2014 लोकसभा चुनाव में जहां 248 पुरुष उम्मीदवार चुनावी मैदान में थे वहीं मात्र 19 महिलाओं ने ही नामांकन किया था. इस महिला उम्मीदवारों में कोई जीत नहीं दर्ज कर पाई जबकि 17 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई.

women candidate in jharkhand loksabha election
फाइल फोटो


2014 चुनाव में सिर्फ 19 महिलाएं नॉमिनेशन फॉर्म भरी थी. इन 19 महिलाओं में से 17 महिला की जमानत जब्त हो गई थी तो एक महिला उम्मीदवार की नामांकन प्रक्रिया चुनाव आयोग ने रद्द कर दी. वहीं, पुरुष प्रत्याशी 248 थे, जिसमें से 192 उम्मीदवारों के जमानत जब्त हो गए थे. सबसे बड़ी बात ये है कि एक भी महिला प्रत्याशी इस चुनाव में जीत नहीं पाईं. वहीं झारखंड के 14 सीटों पर सीर्फ पुरुष प्रत्याशी ने ही परचम लहराया.


झारखंड में 2014 में महिला वोटरों की संख्या 9639126 थी, जिनमें से 6122832 महिलाओं ने वोटिंग किया था. फिर भी एक भी उम्मीदवार नहीं जीती. वहीं, झारखंड में पुरुष और महिला अनुपात की बात करें तो 951: 898 है. फिर केंद्र की राजनीति में झारखंड से अब महिलाओं की भागीदारी नहीं है. जबकि राष्ट्रीय स्तर की बात करें तो 2009 की तुलना में 2014 में लोकसभा में महिला सांसदों की संख्या बढ़ी थी. 2009 में 58 सांसद थीं तो 2014 में कुल 61 सांसद जीतकर संसद पहुंची थीं.


झारखंड में 14 लोकसभा सीट है, जिसमें 8 जनरल, 1- एससी और 5- एसटी सीट हैं. बात करें पिछले लोकसभा चुनाव 2014 की तो कुल 19 महिलाओं ने नॉमिनेशन फार्म भरा था. जिसमें जनरल सीट पर 10 महिलाओं ने और एसटी सीट पर 8 महिलाओं ने दावेदारी पेश की थी. इसमें चुनाव आयोग ने 1 उम्मीदवार का नॉमिनेशन रद्द कर दिया था. ये सीट एसटी खाते से था. 2014 के लोकसभा चुनाव में 18 महिला प्रत्याशी चुनाव लड़ी थी. इसमें 17 महिला प्रत्याशियों के जमानत जब्त हो गई. वहीं खूंटी से दयामनी बारला ही एक ऐसी प्रत्याशी थी, जिनकी जमानत जब्त नहीं हुई.ऐसा नहीं है कि झारखंड में महिला नेता नहीं है. राज्य के लिए कई महिला प्रत्याशी विधायक बनकर आईं. लेकिन वो केंद्र की राजनीति में दाखिल नहीं हो सकी. विधायक के तौर पर देखें तो कई महिला प्रत्याशी विधायक बनी हैं, लेकिन लोकसभा चुनाव में वे मात खा गई.

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