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केंद्रीय सरना समिति प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल से की मुलाकात, ज्वलनशील मुद्दों से कराया अवगत

राजभवन में केंद्रीय सरना समिति का एक प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू से मिला. इस दौरान प्रतिनिधिमंडल ने ज्वलनशील मुद्दों से उनको अवगत कराया. इसके साथ ही धरना प्रदर्शन संबंधित ज्ञापन सौंपा.

Sarna Committee delegation met Draupadi Murmu at Raj Bhavan
सरना समिति के प्रतिनिधिमंडल ने द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की
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Published : Sep 23, 2020, 7:52 PM IST

रांची: राजधानी के मोरहाबादी स्थित राष्ट्रपिता महात्मा गांधी प्रतिमा के सामने राज्य सरकार के दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए सरकार की जनविरोधी नीतियों और तानाशाही रवैये के विरोध में और केंद्रीय सरना समिति ने धरना दिया, जिसके बाद केंद्रीय सरना समिति का प्रतिनिधिमंडल राजभवन में राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात कर उनके समक्ष ज्वलनशील मुद्दों को रखा और धरना प्रदर्शन संबंधित ज्ञापन सौंपा.


जनजाति का प्रमाण पत्र देना करें बंद

केंद्रीय अध्यक्ष बबलू मुंडा ने कहा कि छल प्रपंच कर भोले भाले ग्रामीण जनजातियों का मसीही समाज धर्मांतरण कर रही है जो अपनी सभ्यता-संस्कृति छोड़ चुके है ऐसे लोगों को जनजाति का प्रमाण पत्र देना बंद करें. इसके साथ ही अन्य समुदाय की तरह जनजातियों को एक विशेष धर्म कोड दिया जाए, जिससे उनकी संस्कृति, सभ्यता, परंपरा, अस्मिता बनी रहे.

नियोजन नीति की पहल
मुख्य पहान जगलाल पहान ने कहा कि झारखंड उच्च न्यायालय ने तत्कालीन राज्य सरकार ने नियोजन नीति 2016 को खारिज कर दिया क्योंकि राज्य सरकार ने बदले की भावना से केस में ध्यान नहीं दिया था, जिससे हजारों झारखंड मूलवासियों का भविष्य अंधकारमय हो गया है और रोजगार पर संकट के बादल मंडरा रहा है. इसके लिए सरकार से मांग की जाती है कि उस खारिज आदेश को सर्वोच न्यायालय में अपील करें. नियोजन नीति 2016 को पहले की सरकार 10 सालों के लिए झारखंड के हित में बनाई थी.

स्थानीय नीति के विरोध पर चुप्पी क्यों
संरक्षक रामसहाय सिंह मुंडा ने कहा कि वर्तमान सरकार पूर्व की सरकार की बनाई गई स्थानीय नीति का विरोध कर रही थी. अभी इस मुद्दे पर पर चुप क्यूों है, उन्हें तुरंत 1932 के खतियान के आधार पर स्थानीय नीति बनाकर लागू करें, नहीं तो अपना त्यागपत्र दें.

लैंड म्यूटेशन बिल है काले अध्याय की शुरुआत
महासचिव कृष्णकांत टोप्पो ने कहा कि राज्य सरकार का लैंड म्यूटेशन बिल झारखंडवासियों के लिए एक काला अध्याय की शुरुआत है, जिससे भूमाफिया और अलगाववादी शक्तियां झारखंडियों की गलत तरीके से हजारों एकड़ भूमि घोटाला कर चुके हैं और उस घोटाले पर पर्दा डालने के लिए यह बिल लाना चाहती है जिस कारण झारखंड में भूमि की लूट में आसान हो सके और इसमें शामिल अधिकारी पदाधिकारी पर कोई कार्रवाई न हो सके.

पूर्व सरकार के बहाल किए गए सहायक पुलिसकर्मी जो खुले आसमान के नीचे धरने पर बैठकर आंदोलन कर रहे हैं, उनकी समस्या का समाधान करने की बजाय लाठी-चार्ज किया गया और कोई सरकारात्मक कार्य उनके हित में नहीं कर हठघर्मिता का कार्य कर रही है. इसके साथ ही केंद्रीय सरना समिति का प्रतिनिधि मंडल जिसमें अध्यक्ष बबलू मुंडा, मुख्य पहान जगलाल पहान, महासचिव कृष्णकांत टोप्पो राज्यपाल झारखंड से मिला और धरना से संबंधित ज्ञापन सौंपा.

ये भी पढ़ें-सीसीटीवी में दिखी हैवानियत, दो हजार रुपए के लिए सोनार को पीट-पीटकर मार डाला

धरने में मुख्य रूप से केंद्रीय सरना समिति के संरक्षक बिरसा पहान, कार्यकारी अध्यक्ष शोभा कच्छप, उपाध्यक्ष किरण तिर्की, निर्मल मुंडा, सचिव डब्लू मुंडा, अरूण पहान, अमर मुंडा, कोषाध्यक्ष जगरनाथ तिर्की, अनिल मुंडा, अनीता गाडी, पूर्णिमा देवी, बिरसा विकास जन कल्याण समिति मिसिर गोंदा के अध्यक्ष अनिल उरांव, गागी कांके सरना समिति के विजय मुंडा, चडरी सरना समिति के महासचिव रवि मुंडा, सदस्य जगू पहान मौजूद थे.

रांची: राजधानी के मोरहाबादी स्थित राष्ट्रपिता महात्मा गांधी प्रतिमा के सामने राज्य सरकार के दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए सरकार की जनविरोधी नीतियों और तानाशाही रवैये के विरोध में और केंद्रीय सरना समिति ने धरना दिया, जिसके बाद केंद्रीय सरना समिति का प्रतिनिधिमंडल राजभवन में राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात कर उनके समक्ष ज्वलनशील मुद्दों को रखा और धरना प्रदर्शन संबंधित ज्ञापन सौंपा.


जनजाति का प्रमाण पत्र देना करें बंद

केंद्रीय अध्यक्ष बबलू मुंडा ने कहा कि छल प्रपंच कर भोले भाले ग्रामीण जनजातियों का मसीही समाज धर्मांतरण कर रही है जो अपनी सभ्यता-संस्कृति छोड़ चुके है ऐसे लोगों को जनजाति का प्रमाण पत्र देना बंद करें. इसके साथ ही अन्य समुदाय की तरह जनजातियों को एक विशेष धर्म कोड दिया जाए, जिससे उनकी संस्कृति, सभ्यता, परंपरा, अस्मिता बनी रहे.

नियोजन नीति की पहल
मुख्य पहान जगलाल पहान ने कहा कि झारखंड उच्च न्यायालय ने तत्कालीन राज्य सरकार ने नियोजन नीति 2016 को खारिज कर दिया क्योंकि राज्य सरकार ने बदले की भावना से केस में ध्यान नहीं दिया था, जिससे हजारों झारखंड मूलवासियों का भविष्य अंधकारमय हो गया है और रोजगार पर संकट के बादल मंडरा रहा है. इसके लिए सरकार से मांग की जाती है कि उस खारिज आदेश को सर्वोच न्यायालय में अपील करें. नियोजन नीति 2016 को पहले की सरकार 10 सालों के लिए झारखंड के हित में बनाई थी.

स्थानीय नीति के विरोध पर चुप्पी क्यों
संरक्षक रामसहाय सिंह मुंडा ने कहा कि वर्तमान सरकार पूर्व की सरकार की बनाई गई स्थानीय नीति का विरोध कर रही थी. अभी इस मुद्दे पर पर चुप क्यूों है, उन्हें तुरंत 1932 के खतियान के आधार पर स्थानीय नीति बनाकर लागू करें, नहीं तो अपना त्यागपत्र दें.

लैंड म्यूटेशन बिल है काले अध्याय की शुरुआत
महासचिव कृष्णकांत टोप्पो ने कहा कि राज्य सरकार का लैंड म्यूटेशन बिल झारखंडवासियों के लिए एक काला अध्याय की शुरुआत है, जिससे भूमाफिया और अलगाववादी शक्तियां झारखंडियों की गलत तरीके से हजारों एकड़ भूमि घोटाला कर चुके हैं और उस घोटाले पर पर्दा डालने के लिए यह बिल लाना चाहती है जिस कारण झारखंड में भूमि की लूट में आसान हो सके और इसमें शामिल अधिकारी पदाधिकारी पर कोई कार्रवाई न हो सके.

पूर्व सरकार के बहाल किए गए सहायक पुलिसकर्मी जो खुले आसमान के नीचे धरने पर बैठकर आंदोलन कर रहे हैं, उनकी समस्या का समाधान करने की बजाय लाठी-चार्ज किया गया और कोई सरकारात्मक कार्य उनके हित में नहीं कर हठघर्मिता का कार्य कर रही है. इसके साथ ही केंद्रीय सरना समिति का प्रतिनिधि मंडल जिसमें अध्यक्ष बबलू मुंडा, मुख्य पहान जगलाल पहान, महासचिव कृष्णकांत टोप्पो राज्यपाल झारखंड से मिला और धरना से संबंधित ज्ञापन सौंपा.

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धरने में मुख्य रूप से केंद्रीय सरना समिति के संरक्षक बिरसा पहान, कार्यकारी अध्यक्ष शोभा कच्छप, उपाध्यक्ष किरण तिर्की, निर्मल मुंडा, सचिव डब्लू मुंडा, अरूण पहान, अमर मुंडा, कोषाध्यक्ष जगरनाथ तिर्की, अनिल मुंडा, अनीता गाडी, पूर्णिमा देवी, बिरसा विकास जन कल्याण समिति मिसिर गोंदा के अध्यक्ष अनिल उरांव, गागी कांके सरना समिति के विजय मुंडा, चडरी सरना समिति के महासचिव रवि मुंडा, सदस्य जगू पहान मौजूद थे.

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