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झारखंड हाईकोर्ट में पूर्व मंत्री योगेंद्र साव की याचिका पर सुनवाई, फैसला सुरक्षित - ईटीवी भारत झारखंड

झारखंड सरकार के पूर्व कृषि मंत्री योगेंद्र साव द्वारा हजारीबाग के निचली अदालत के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई पूरी हुई. अदालत ने सुनवाई के उपरांत फैसला सुरक्षित रख लिया है.

फाइल फोटो
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Published : Apr 17, 2019, 7:27 PM IST

रांची: योगेंद्र साव की क्रिमिनल क्वैशिंग याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. मामले की सुनवाई न्यायाधीश अमिताभ कुमार गुप्ता की अदालत में हुई. दोनों पक्षों की ओर से दी गई दलीलों को सुनने के उपरांत अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है.


झारखंड सरकार के पूर्व कृषि मंत्री योगेंद्र साव द्वारा हजारीबाग के निचली अदालत के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई पूरी हुई. अदालत ने सुनवाई के उपरांत फैसला सुरक्षित रख लिया है. पूर्व मंत्री की ओर से सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता केटीएस तुलसी ने पक्ष रखते हुए अदालत को बताया कि वह जनप्रतिनिधि हैं. कंपनी से आसपास में प्रदूषण फैल रहा था जिसे बंद कराने की बात कही गई थी.


सरकार की ओर से एएजी जयप्रकाश ने पक्ष रखते हुए अदालत को बताया कि यह मामला एक जनप्रतिनिधि के दायित्व का नहीं बल्कि यह स्पष्ट तौर से रंगदारी का है. इसलिए निचली अदालत द्वारा दी गई सजा सही है. वहीं विरोध करते हुए पूर्व मंत्री के अधिवक्ता केटीएस तुलसी ने कहा कि निचली अदालत के द्वारा दी गई सजा गलत है. इसलिए इसे खारिज कर दिया जाना चाहिए.


बता दें कि पूर्व मंत्री पर रुंगटा नामक कंपनी से रंगदारी मांगने के मामले में हजारीबाग की निचली अदालत ने उन्हें ढाई साल की सजा सुनाई है. अदालत की सजा को उन्होंने हाईकोर्ट में चुनौती दी है. हाईकोर्ट से उन्होंने निचली अदालत की सजा को निरस्त करने की मांग की है. अगर हाईकोर्ट से निचली अदालत द्वारा दी गई सजा निरस्त कर दी जाती है तो उन्हें राहत मिल सकता है.

रांची: योगेंद्र साव की क्रिमिनल क्वैशिंग याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. मामले की सुनवाई न्यायाधीश अमिताभ कुमार गुप्ता की अदालत में हुई. दोनों पक्षों की ओर से दी गई दलीलों को सुनने के उपरांत अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है.


झारखंड सरकार के पूर्व कृषि मंत्री योगेंद्र साव द्वारा हजारीबाग के निचली अदालत के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई पूरी हुई. अदालत ने सुनवाई के उपरांत फैसला सुरक्षित रख लिया है. पूर्व मंत्री की ओर से सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता केटीएस तुलसी ने पक्ष रखते हुए अदालत को बताया कि वह जनप्रतिनिधि हैं. कंपनी से आसपास में प्रदूषण फैल रहा था जिसे बंद कराने की बात कही गई थी.


सरकार की ओर से एएजी जयप्रकाश ने पक्ष रखते हुए अदालत को बताया कि यह मामला एक जनप्रतिनिधि के दायित्व का नहीं बल्कि यह स्पष्ट तौर से रंगदारी का है. इसलिए निचली अदालत द्वारा दी गई सजा सही है. वहीं विरोध करते हुए पूर्व मंत्री के अधिवक्ता केटीएस तुलसी ने कहा कि निचली अदालत के द्वारा दी गई सजा गलत है. इसलिए इसे खारिज कर दिया जाना चाहिए.


बता दें कि पूर्व मंत्री पर रुंगटा नामक कंपनी से रंगदारी मांगने के मामले में हजारीबाग की निचली अदालत ने उन्हें ढाई साल की सजा सुनाई है. अदालत की सजा को उन्होंने हाईकोर्ट में चुनौती दी है. हाईकोर्ट से उन्होंने निचली अदालत की सजा को निरस्त करने की मांग की है. अगर हाईकोर्ट से निचली अदालत द्वारा दी गई सजा निरस्त कर दी जाती है तो उन्हें राहत मिल सकता है.

Intro:रांची

झारखंड सरकार के पूर्व कृषि मंत्री योगेंद्र साव द्वारा हजारीबाग के निचली अदालत के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई पूरी हुई। अदालत ने सुनवाई के उपरांत फैसला सुरक्षित रख लिया है योगेंद्र साव की क्रिमिनल किसिंग याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई। मामले की सुनवाई न्यायाधीश अमिताभ कुमार गुप्ता की अदालत में हुई। दोनों पक्षों की ओर से की गई दलीलों को सुनने के उपरांत अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।


Body:पूर्व मंत्री की ओर से सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता केटीएस तुलसी ने पक्ष रखते हुए अदालत को बताया कि वह जनप्रतिनिधि है कंपनी से आसपास में प्रदूषण फैल रहा था जिसे बंद कराने की बात कही गई थी कंपनी ने राजनीतिक साजिश के कारण उन्हें फंसाया है। वहीं सरकार की ओर से ए ए जी जयप्रकाश ने पक्ष रखते हुए अदालत को बताया कि यह मामला एक जनप्रतिनिधि के दायित्व का नहीं बल्कि यह स्पष्ट तौर से रंगदारी का है। इसलिए निचली अदालत द्वारा दी गई सजा सही है। वहीं विरोध करते हुए पूर्व मंत्री के अधिवक्ता केटीएस तुलसी ने कहा कि निचली अदालत के द्वारा दी गई सजा गलत है इसलिए इसे खारिज कर दिया जाना चाहिए


Conclusion:आपको बता दें कि पूर्व मंत्री पर रुंगटा नामक कंपनी से रंगदारी मांगने के मामले में हजारीबाग की निचली अदालत ने उन्हें ढाई साल की सजा सुनाई है अदालत की उसकी सजा को उन्होंने हाई कोर्ट में चुनौती दी है हाई कोर्ट से उन्होंने निचली अदालत की सजा को निरस्त करने की मांग की है अगर हाईकोर्ट से निचली अदालत द्वारा दी गई सजा निरस्त कर दी जाती है तो उन्हें राहत मिल सकता है
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