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पाकुड़-देवघर में सड़क निर्माण में हुई अनियमितता मामले में सुनवाई, हाई कोर्ट ने जताई नाराजगी - Hearing in jharkhand High court

पाकुड़ और देवघर जिले में वर्ष 2009 में बने सड़क में हुई गड़बड़ी की जांच में दोषी पाए जाने के बाद भी ग्रामीण कार्य विभाग की ओर से एफआईआर दर्ज नहीं कराए जाने के मामले पर हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. अदालत ने राज्य सरकार की तरफ से केस दर्ज नहीं कराए जाने के बिंदु पर नाराजगी व्यक्त की.

Hearing on irregularities in road construction in HC
झारखंड हाई कोर्ट
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Published : Oct 5, 2020, 10:49 PM IST

रांची: झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजित नारायण प्रसाद की अदालत में वर्ष 2009 में पाकुड़ और देवघर जिले में सड़क निर्माण में हुई अनियमितता की जांच के मामले में दायर एलपीए याचिका पर सुनवाई की. न्यायाधीश अपने आवासीय कार्यालय से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई की. वहीं, याचिकाकर्ता के अधिवक्ता और सरकार के महाधिवक्ता राजीव रंजन और एसीबी के अधिवक्ता टीएन वर्मा ने अपने आवास से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अपना पक्ष रखा.

ये भी पढ़ें-महिला ने एक-दूसरे से जुड़े बच्चों को दिया जन्म, डाक्टरों ने किया रिम्स रेफर

उन्होंने अदालत को बताया कि मामले की जांच एसीबी की ओर से की गई एसीबी ने ग्रामीण विकास विभाग को पत्र लिखकर सूचना दी और एफआईआर दर्ज करने का अनुरोध किया, लेकिन उसके बाद कोई पत्राचार नहीं किया गया. विजिलेंस विभाग को भी पत्र लिखा गया लेकिन इस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया, जिसके कारण अभी तक भी इस मामले में केस दर्ज नहीं किया गया है. अदालत ने एसीबी के पक्ष को सुनने के उपरांत राज्य सरकार से यह जानना चाहा कि, अभी तक केस क्यों नहीं दर्ज की गई. उन्होंने महाधिवक्ता को केस अभी तक दर्ज क्यों नहीं गई इस पर विस्तृत जवाब पेश करने को कहा है.

सड़क निर्माण में अनियमितता बरतने के आरोपी विभाग के एक्सक्यूटिव इंजीनियर पारस कुमार और जूनियर इंजीनियर अनिल कुमार ने एसीबी के जांच को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी. हाईकोर्ट की एकल पीठ ने वर्ष 2017 में उनकी याचिका को खारिज कर दी. एकल पीठ के उसी फैसले को उन्होंने हाई कोर्ट की डबल बेंच में एलपीए दायर कर चुनौती दी है. उस याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है. मामले की अगली सुनवाई 19 अक्टूबर को होगी.

रांची: झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजित नारायण प्रसाद की अदालत में वर्ष 2009 में पाकुड़ और देवघर जिले में सड़क निर्माण में हुई अनियमितता की जांच के मामले में दायर एलपीए याचिका पर सुनवाई की. न्यायाधीश अपने आवासीय कार्यालय से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई की. वहीं, याचिकाकर्ता के अधिवक्ता और सरकार के महाधिवक्ता राजीव रंजन और एसीबी के अधिवक्ता टीएन वर्मा ने अपने आवास से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अपना पक्ष रखा.

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उन्होंने अदालत को बताया कि मामले की जांच एसीबी की ओर से की गई एसीबी ने ग्रामीण विकास विभाग को पत्र लिखकर सूचना दी और एफआईआर दर्ज करने का अनुरोध किया, लेकिन उसके बाद कोई पत्राचार नहीं किया गया. विजिलेंस विभाग को भी पत्र लिखा गया लेकिन इस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया, जिसके कारण अभी तक भी इस मामले में केस दर्ज नहीं किया गया है. अदालत ने एसीबी के पक्ष को सुनने के उपरांत राज्य सरकार से यह जानना चाहा कि, अभी तक केस क्यों नहीं दर्ज की गई. उन्होंने महाधिवक्ता को केस अभी तक दर्ज क्यों नहीं गई इस पर विस्तृत जवाब पेश करने को कहा है.

सड़क निर्माण में अनियमितता बरतने के आरोपी विभाग के एक्सक्यूटिव इंजीनियर पारस कुमार और जूनियर इंजीनियर अनिल कुमार ने एसीबी के जांच को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी. हाईकोर्ट की एकल पीठ ने वर्ष 2017 में उनकी याचिका को खारिज कर दी. एकल पीठ के उसी फैसले को उन्होंने हाई कोर्ट की डबल बेंच में एलपीए दायर कर चुनौती दी है. उस याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है. मामले की अगली सुनवाई 19 अक्टूबर को होगी.

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