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मशरूम की खेती से किसान बदल रहे अपनी किस्मत, पेश कर रहे मिसाल - ईटीवी भारत

पाकुड़ में शहर के लोग मशरूम की खेती कर अच्छी आय कमा रहे हैं. खेती में ये लोग रासायनिक खाद की जगह जैविक खाद का उपयोग कर रहे हैं.

देखिए स्पेशल स्टोरी
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Published : Apr 3, 2019, 5:05 PM IST

पाकुड़: खेती करने से नुकसान होता है इस मिथक को जिला मुख्यालय के कई लोगों ने तोड़ दिया है. लोगों ने मशरूम की खेती कर इसे आय का जरिया बनाया है. मशरूम की न केवल खेती की जा रही है बल्कि उसे शहरी क्षेत्र में बेचकर अच्छे पैसों की कमाई की जा रही है. अपनी स्थिति सुधारने के साथ-साथ ये लोग अन्य लोगों के लिए मिसाल पेश कर रहे हैं.


अमित पांडेय का कहना है कि कम पूंजी लगाकर भी अच्छी आय हो सकती है. इनका मकसद खेती कर अच्छी कमाई करना ही नहीं है बल्कि रासायनिक खाद की जगह जैविक खाद का इस्तेमाल करना भी है. उन्होंने बताया कि रासायनिक तरीके से खेती किए जाने के कारण साग-सब्जियों का सेवन करने वाले लोग कई बिमारियों के भी शिकार हो रहे हैं.


शहर के सुवेंदु मंडल भी वेस्ट्रन मशरूम की खेती अपने ही घर में कर रहे हैं. मशरूम की खेती करने में जुटे इन लोगों को शहर में मार्केटिंग करने में भी कोई दिक्कत नहीं हो रही है. मशरूम की खेती कर रहे लोगों ने बताया कि इस कारोबार में न तो ज्यादा स्पेस की जरूरत होती है और ही पूंजी की.

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पाकुड़: खेती करने से नुकसान होता है इस मिथक को जिला मुख्यालय के कई लोगों ने तोड़ दिया है. लोगों ने मशरूम की खेती कर इसे आय का जरिया बनाया है. मशरूम की न केवल खेती की जा रही है बल्कि उसे शहरी क्षेत्र में बेचकर अच्छे पैसों की कमाई की जा रही है. अपनी स्थिति सुधारने के साथ-साथ ये लोग अन्य लोगों के लिए मिसाल पेश कर रहे हैं.


अमित पांडेय का कहना है कि कम पूंजी लगाकर भी अच्छी आय हो सकती है. इनका मकसद खेती कर अच्छी कमाई करना ही नहीं है बल्कि रासायनिक खाद की जगह जैविक खाद का इस्तेमाल करना भी है. उन्होंने बताया कि रासायनिक तरीके से खेती किए जाने के कारण साग-सब्जियों का सेवन करने वाले लोग कई बिमारियों के भी शिकार हो रहे हैं.


शहर के सुवेंदु मंडल भी वेस्ट्रन मशरूम की खेती अपने ही घर में कर रहे हैं. मशरूम की खेती करने में जुटे इन लोगों को शहर में मार्केटिंग करने में भी कोई दिक्कत नहीं हो रही है. मशरूम की खेती कर रहे लोगों ने बताया कि इस कारोबार में न तो ज्यादा स्पेस की जरूरत होती है और ही पूंजी की.

Intro:बाइट : अमित कुमार पांडेय
बाइट : शुवेन्दु विकास मंडल

पाकुड़ : गांव में ही सिर्फ खेती कर अर्थोपार्जन किया जा सकता है इस मिथक को पाकुड़ जिला मुख्यालय कई लोगो ने तोड़ दिया है। पाकुड़ नगर परिषद क्षेत्र में मशरूम की खेती कर इसे आय का जरीया लोगो ने बना लिया है।



Body:मशरूम की न केवल खेती की जा रही है बल्कि उसे शहरी क्षेत्र में ही बेचकर अर्थोपार्जन भी किया जा रहा। कम पुंजी में प्रतिमाह 15 से 20 हजार रूपये की कमाई मशरूम की खेती कर लोग कर रहे है। मशरूम की खेती कर रहे अमित पांडेय ने बताया कि लोगो में यह धारणा पूर्व से बैठी हुई है कि ज्यादा पुंजी लगाकर ही व्यवसाय या अन्य काम किया जा सकता है परंतु मशरूम की खेती में कम पुंजी लग रहे है और आय ज्यादा हो रही है। उन्होने बताया कि रासायनिक तरीके से खेती किये जाने के कारण साग सब्जियो का सेवन करने वाले लोग कई बिमारियो के भी शिकार हो रहे है इसलिए हमने जैविक खाद का उपयोग कर मशरूम की खेती शुरू की है। इसमे लागत कम आ रहे और आमदनी ज्यादा हो रही। शहर के सुवेंदु मंडल भी वेस्ट्रन मशरूम की खेती अपने ही घर में कर रहे है। मशरूम की खेती करने में जुटे इन लोगो को शहर में मार्केटिंग करने में भी कोई दिक्कत नही हो रही क्योंकि युवको की कुछ टोलियां इनके उत्पादित मशरूम को खरीदकर उन्हे होम डिलवरी कर रहे है। मशरूम की खेती कर रहे लोगो ने बताया कि इस कारोबार में न तो ज्यादा स्पेस की जरूरत होती है और ही पुंजी की।


Conclusion:खेती कर रहे लोगो ने बताया कि मशरूम की खेती के लिए एक कमरे की जरूरत होती जो डार्क हो और टेम्प्रेचर मेंटेंन करता हो, साथ ही प्रदुषण मुक्त होना चाहिए। बताया गया कि मशरूम की खेती की शुरूआत मात्र 5 हजार रूपये से की जा सकती है और एक माह बाद 15 से 20 हजार रूपये की आमदनी हो जाती है जबकि इस काम में मेहनत भी ज्यादा नही है।
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