पलामूः झारखंड में अफसरशाही किस कदर हावी है इसका उदाहरण है वन विभाग. सीएम हेमंत सोरेन के अनुमोदन के दो हफ्ते बीत जाने के बावजूद सीएफ, डीएफओ और अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं करवाई गई है. राज्य सरकार के अवर सचिव संतोष कुमार चौबे ने 17 नवंबर 2020 को पलामू आरसीसीएफ को पत्र लिख कर पलामू कुंदरी प्रक्षेत्र में अवैध रूप से पेड़ों के काटे जाने के मामले में वन संरक्षक प्रादेशिक अंचल मेदिनीनगर, तत्कालीन और वर्तमान वन प्रमंडल पदाधिकारी मेदिनीनगर, वन क्षेत्र पदाधिकारी, कुंदरी वन क्षेत्र पदाधिकारी, कार्यालक सहायक, वन पाल, कथित रैयत, आरा मिल के खिलाफ एफआईआर का आदेश दिया था. अवर सचिव ने मामले में अविलंब कार्रवाई करते हुए सूचना देने को कहा था.
दो हफ्ते बीत जाने के बावजूद किसी भी अधिकारी या कर्मी पर एफआईआर नहीं हुआ है. आरसीसीएफ एसके सुमन ने बताया कि मामले में इंडियन फॉरेस्ट सर्विस संघ के लोगों ने सरकार से मुलाकात की है, आगे सरकार का जैसा आदेश होगा वैसी कार्रवाई की जाएगी.
कुंदरी प्रक्षेत्र में काटे गए थे बड़े पैमाने पर पेड़
पलामू के कुंदरी प्रक्षेत्र में बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई हुई थी. लॉकडाउन के दौरान एक स्थानीय व्यक्ति ने अपने जमीन में करीब एक सौ पेड़ो की अनुमति ली थी. इसी अनुमति की आड़ में बड़े पैमाने पर जंगली के पेड़ों की कटाई हुई थी. मामले में वन विभाग के अधिकारियों की संलिप्तता का आरोप लगा है. सभी पेड़ सागवान, सखुआ आदि के थे. मामले में सरकार को ट्वीट भी हुआ था, जिसके बाद कार्रवाई शुरू हुई थी.