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रांचीः कुंदन पाहन से जुड़े मुठभेड़ मामले की सीबीआई कोर्ट में सुनवाई, 4 मई तक के लिए फैसला टला

नक्सली कुंदन पाहन से जुड़े पुलिस और माओवादिओं के बीच मुठभेड़ मामले में कोर्ट में सुनवाई हुई. इस मामले की सुनवाई सीबीआई के विशेष न्यायाधीश एसके सिंह की अदालत में हुई. अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है. इस मामले की सुनवाई के लिए अगली तारीख 4 मई निर्धारित की गई है.

जानकारी देते अधिवक्ता
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Published : May 2, 2019, 3:27 PM IST

रांची: नक्सली कुंदन पाहन से जुड़े पुलिस और माओवादिओं के बीच मुठभेड़ मामले में कोर्ट में सुनवाई हुई. इस मामले की सुनवाई सीबीआई के विशेष न्यायाधीश एसके सिंह की अदालत में हुई. अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है.

जानकारी देते अधिवक्ता


इस मामले की सुनवाई के लिए अगली तारीख 4 मई निर्धारित की गई है. मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से 9 गवाहों की गवाही दर्ज कराई गई, तो बचाव पक्ष की ओर से 4 गवाहों की गवाही दर्ज हुई. बहस के दौरान अभियोजन पक्ष ने अपना दलील रखते हुए बताया कि मुठभेड़ रात में हुआ था, जिसके कारण वह किसी भी माओवादी को पहचान नहीं पाये. वहीं बचाव पक्ष के अधिवक्ता प्रभु दयाल किशोर ने कोर्ट को बताया कि यह मुठभेड़ पूरी तरह से फर्जी है. उस रात किसी भी तरह का कोई मुठभेड़ नहीं हुआ था.


पिछली सुनवाई के दौरान नक्सली कुंदन पाहन की गवाही दर्ज कराई गई थी. जिस दौरान कुंदन पाहन ने न्यायालय को बताया था कि इस मुठभेड़ में वह शामिल नहीं था. इस मामले में उसकी कोई संलिप्तता नहीं है. इसी मामले पर गुरुवार को कोर्ट में सुनवाई हुई. जिसमें अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया है.

दरअसल, यह मामला साल 2009 से जुड़ा हुआ है. जब नामकुम थाना क्षेत्र के लाली क्षेत्र में पुलिस और माओवादिओं के बीच मुठभेड़ का मामला सामने आया था. इस मुठभेड़ में कई पुलिसकर्मी और माओवादी घायल हुए थे. मुठभेड़ के दौरान किसी भी माओवादी की पुलिस की ओर से गिरफ्तारी नहीं की गई थी. इस मुठभेड़ को लेकर पुलिस ने कुंदन पाहन समेत सात लोगों को नामजद अभियुक्त बनाया है. जिनमें से कुंदन पाहन को छोड़ सभी अभियुक्त साक्ष्य के अभाव में बरी हो चुके हैं.

रांची: नक्सली कुंदन पाहन से जुड़े पुलिस और माओवादिओं के बीच मुठभेड़ मामले में कोर्ट में सुनवाई हुई. इस मामले की सुनवाई सीबीआई के विशेष न्यायाधीश एसके सिंह की अदालत में हुई. अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है.

जानकारी देते अधिवक्ता


इस मामले की सुनवाई के लिए अगली तारीख 4 मई निर्धारित की गई है. मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से 9 गवाहों की गवाही दर्ज कराई गई, तो बचाव पक्ष की ओर से 4 गवाहों की गवाही दर्ज हुई. बहस के दौरान अभियोजन पक्ष ने अपना दलील रखते हुए बताया कि मुठभेड़ रात में हुआ था, जिसके कारण वह किसी भी माओवादी को पहचान नहीं पाये. वहीं बचाव पक्ष के अधिवक्ता प्रभु दयाल किशोर ने कोर्ट को बताया कि यह मुठभेड़ पूरी तरह से फर्जी है. उस रात किसी भी तरह का कोई मुठभेड़ नहीं हुआ था.


पिछली सुनवाई के दौरान नक्सली कुंदन पाहन की गवाही दर्ज कराई गई थी. जिस दौरान कुंदन पाहन ने न्यायालय को बताया था कि इस मुठभेड़ में वह शामिल नहीं था. इस मामले में उसकी कोई संलिप्तता नहीं है. इसी मामले पर गुरुवार को कोर्ट में सुनवाई हुई. जिसमें अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया है.

दरअसल, यह मामला साल 2009 से जुड़ा हुआ है. जब नामकुम थाना क्षेत्र के लाली क्षेत्र में पुलिस और माओवादिओं के बीच मुठभेड़ का मामला सामने आया था. इस मुठभेड़ में कई पुलिसकर्मी और माओवादी घायल हुए थे. मुठभेड़ के दौरान किसी भी माओवादी की पुलिस की ओर से गिरफ्तारी नहीं की गई थी. इस मुठभेड़ को लेकर पुलिस ने कुंदन पाहन समेत सात लोगों को नामजद अभियुक्त बनाया है. जिनमें से कुंदन पाहन को छोड़ सभी अभियुक्त साक्ष्य के अभाव में बरी हो चुके हैं.

Intro:रांची
बाइट--- प्रभु दयाल किशोर //अधिवक्ता कुंदन पाहन
नोट--कुंदन पाहन का फाइल फोटोज

कुख्यात नक्सली कुंदन पाहन से जुड़े पुलिस और माओवादीओ के बीच मुठभेड़ मामला पर रांची सिविल कोर्ट में सुनवाई हुई मामले की सुनवाई सीबीआई के विशेष न्यायाधीश एसके सिंह की अदालत में हुई। अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के उपरांत फैसला सुरक्षित रख लिया है मामले पर फैसले के बिंदु पर सुनवाई के लिए 4 मई की तिथि निर्धारित की गई है मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से 9 गवाहों की गवाही दर्ज कराई गई तो वही बचाव पक्ष की ओर से 4 गवाहों की गवाही दर्ज की गई। बहस के दौरान अभियोजन पक्ष ने अपना दलील रखते हुए नया लो को बताया कि मुठभेड़ रात में हुआ था जिसके कारण वह किसी भी माओवादी को पहचान नहीं पाया वहीं बचाव पक्ष के अधिवक्ता प्रभु दयाल किशोर ने कोर्ट को बताया कि यह मुठभेड़ पूरी तरह से फर्जी है उस रात किसी भी तरह का कोई मुठभेड़ नहीं हुआ था।


Body:मामले में पिछली सुनवाई के दौरान कुख्यात नक्सली कुंदन पाहन की गवाही दर्ज कराया गया था जिस दौरान कुंदन पाहन ने न्यायालय को बताया था कि इस मुठभेड़ में वह शामिल नहीं थे मामले में उनकी किसी तरह का कोई संलिप्तता नहीं है। इसी मामले पर आज रांची सिविल कोर्ट में सुनवाई हुई जहां पर अदालत ने मामले पर सुनवाई करते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया है मामले पर फैसले के लिए पुनः सुनवाई 4 मई को होगी


Conclusion:दरअसल यह मामला साल 2009 से जुड़ा हुआ है जब नामकुम थाना क्षेत्र के लाली क्षेत्र में पुलिस और माओवादीओ के बीच मुठभेड़ का मामला सामने आया था इस मुठभेड़ में कई पुलिसकर्मी और माओवादी घायल हुए थे। मुठभेड़ के दौरान किसी भी माओवादी का पुलिस की ओर से गिरफ्तारी नहीं की गई थी इस मुठभेड़ को लेकर पुलिस द्वारा कुंदन पाहन समेत सात लोगों को नाम दर्ज अभियुक्त बनाया है जिनमें से कुंदन पाहन को छोड़ सभी अभियुक्त साक्ष्य के अभाव में बरी हो चुके हैं वही आपको बता दें कि कुख्यात नक्सली कुंदन पाहन सरकार के सरेंडर पॉलिसी के तहत आत्मसमर्पण किया है जिसके बाद सेवा रांची के होटवार स्थित बिरसा कारागार में बंद है माओवादी कुंदन पाहन पर हत्या रेप लूट कांड समेत कई मामले चल रहे हैं
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