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करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी लोग प्यासे, पूरी नहीं हो पाई चाईबासा शहर जलापूर्ति योजना

चाईबासा शहर को बेहतर एवं स्वच्छ पेयजल आपूर्ति करने को लेकर केंद्रीय नगर विकास विभाग द्वारा 37 करोड़ की लागत से बृहद पेयजल आपूर्ति योजना का कार्य शुरू हुआ, लेकिन काम पूरा नहीं हुआ. विभाग संवेदक को काली सूची में डालकर फिर से निविदा कर कार्य को पूर्ण करने की बात कह रही है, लेकिन दो बूंद पानी से लोगों की प्यास बुझाने वाली पेयजल आपूर्ति योजना के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च होने के बावजूद आज भी चाईबासा के लोग को स्वच्छ पानी के लिए तरस रहे हैं.

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Published : Jun 19, 2019, 9:52 AM IST

चाईबासा: शहर को बेहतर एवं स्वच्छ पेयजल आपूर्ति करने को लेकर केंद्रीय नगर विकास विभाग द्वारा 37 करोड़ की लागत से बृहद पेयजल आपूर्ति योजना का कार्य शुरू हुआ, लेकिन काम पूरा नहीं हुआ. विभागीय पदाधिकारी संवेदक की मिलीभगत से राशि की जमकर बंदरबांट हुई और योजना अधर में लटक गया.

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गैलन और बोतल से पानी लाते हैं लोग
विभाग संवेदक को काली सूची में डालकर फिर से निविदा कर कार्य को पूर्ण करने की बात कह रही है, लेकिन दो बूंद पानी से लोगों की प्यास बुझाने वाली पेयजल आपूर्ति योजना के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च होने के बावजूद आज भी चाईबासा के लोग को स्वच्छ पानी के लिए तरस रहे हैं. वर्तमान समय में भीषण गर्मी में लोगों के घरों तक पेयजल आपूर्ति कराने में विभाग फेल हो चुका है. जिस कारण लोग एवं बच्चे अपने घरों के लिए गैलन और बोतलों में पानी भरकर ले जाते हैं.

बिजली नहीं होने से होती है दिक्कत
वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में कार्यरत जॉनसन ने बताया कि यहां 24 घंटे में लगभग 5 से 6 घंटे बिजली नहीं रहती है. इस कारण पानी की सप्लाई सुचारू रूप से नहीं हो पा रहा है. पिछले 2 दिनों से स्थिति ठीक है उसके बावजूद भी शहर के कई लोग यहां से पानी ले जाने के लिए पहुंचते रहते हैं. चाईबासा स्थित बड़ी बाजार निवासी मोहम्मद आदिल ने बताया कि मोहल्ले में विभाग के द्वारा लगाए गए नल से पानी नहीं के बराबर ही टपकता है. जिस कारण उन्हें पानी खरीदकर उपयोग में लाना पड़ता हैं. इसके अलावा उनके पास कोई दूसरा विकल्प नहीं है.


वहीं विभाग की मानें तो आज से 60 वर्ष पहले चाईबासा शहर में पेयजल आपूर्ति की व्यवस्था को लेकर आधारभूत संरचना की नींव रखी गई थी, लेकिन बदलते समय के साथ शहर की आबादी और क्षेत्रफल बढ़ता ही चला गया. इसके कारण पुरानी व्यवस्था एवं आधारभूत संरचना के बदौलत शहरवासियों को पेयजल आपूर्ति कराने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. जब वृहद पेयजल आपूर्ति की योजना की शुरुआत हुई तो लोगों को लगने लगा था की उनकी प्यास बुझेगी और दो बूंद पानी के लिए उन्हें तरसना नहीं पड़ेगा.

80 फीसदी कार्य पूर्ण: अधिकारी
पेयजल स्वच्छता विभाग के कार्यपालक अभियंता प्रभु दयाल मंडल की मानें तो कार्य आवंटित किए गए संवेदक के द्वारा 80 फीसदी कार्य पूर्ण कर दिए गए हैं. इसके साथ ही जितनी राशि भुगतान की गई है उसके अनुपात में कार्य भी हुआ है, लेकिन एकरारनामा के अनुसार कार्य पूर्ण नहीं करने के कारण संबंधित संवेदक को काली सूची में डालते हुए जमानत राशि को जप्त कर ली गई है. वर्तमान समय में विभाग के पास इस योजना मद की 9 करोड़ रुपए शेष बची हुई है. योजना को पूर्ण करने के लिए लगभग 15 करोड़ की जरूरत पड़ेगी. इसके लिए जिला खनन निधि (डीएमएफटी) से 10 करोड रुपए मिलने की स्वीकृति मिल गई है.


विभाग के पदाधिकारी आधे-अधूरे काम को 80% पूर्ण बताकर अपने आप को पाक साफ साबित करने में जुटे हुए हैं, जबकि अगर गहराई से इस योजना की जमीनी हकीकत का आकलन किया जाए तो इसमें कई बड़े पदाधिकारी भी इस घोटाले में फंस सकते हैं. बहरहाल अगर सारे विवाद को दरकिनार करते हुए लोगों को स्वच्छ पेयजल आपूर्ति कराने में विभाग सफल हो जाती है तो शहरवासियों के लिए काफी बड़ी राहत की बात होगी.

चाईबासा: शहर को बेहतर एवं स्वच्छ पेयजल आपूर्ति करने को लेकर केंद्रीय नगर विकास विभाग द्वारा 37 करोड़ की लागत से बृहद पेयजल आपूर्ति योजना का कार्य शुरू हुआ, लेकिन काम पूरा नहीं हुआ. विभागीय पदाधिकारी संवेदक की मिलीभगत से राशि की जमकर बंदरबांट हुई और योजना अधर में लटक गया.

देखिए स्पेशल स्टोरी

गैलन और बोतल से पानी लाते हैं लोग
विभाग संवेदक को काली सूची में डालकर फिर से निविदा कर कार्य को पूर्ण करने की बात कह रही है, लेकिन दो बूंद पानी से लोगों की प्यास बुझाने वाली पेयजल आपूर्ति योजना के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च होने के बावजूद आज भी चाईबासा के लोग को स्वच्छ पानी के लिए तरस रहे हैं. वर्तमान समय में भीषण गर्मी में लोगों के घरों तक पेयजल आपूर्ति कराने में विभाग फेल हो चुका है. जिस कारण लोग एवं बच्चे अपने घरों के लिए गैलन और बोतलों में पानी भरकर ले जाते हैं.

बिजली नहीं होने से होती है दिक्कत
वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में कार्यरत जॉनसन ने बताया कि यहां 24 घंटे में लगभग 5 से 6 घंटे बिजली नहीं रहती है. इस कारण पानी की सप्लाई सुचारू रूप से नहीं हो पा रहा है. पिछले 2 दिनों से स्थिति ठीक है उसके बावजूद भी शहर के कई लोग यहां से पानी ले जाने के लिए पहुंचते रहते हैं. चाईबासा स्थित बड़ी बाजार निवासी मोहम्मद आदिल ने बताया कि मोहल्ले में विभाग के द्वारा लगाए गए नल से पानी नहीं के बराबर ही टपकता है. जिस कारण उन्हें पानी खरीदकर उपयोग में लाना पड़ता हैं. इसके अलावा उनके पास कोई दूसरा विकल्प नहीं है.


वहीं विभाग की मानें तो आज से 60 वर्ष पहले चाईबासा शहर में पेयजल आपूर्ति की व्यवस्था को लेकर आधारभूत संरचना की नींव रखी गई थी, लेकिन बदलते समय के साथ शहर की आबादी और क्षेत्रफल बढ़ता ही चला गया. इसके कारण पुरानी व्यवस्था एवं आधारभूत संरचना के बदौलत शहरवासियों को पेयजल आपूर्ति कराने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. जब वृहद पेयजल आपूर्ति की योजना की शुरुआत हुई तो लोगों को लगने लगा था की उनकी प्यास बुझेगी और दो बूंद पानी के लिए उन्हें तरसना नहीं पड़ेगा.

80 फीसदी कार्य पूर्ण: अधिकारी
पेयजल स्वच्छता विभाग के कार्यपालक अभियंता प्रभु दयाल मंडल की मानें तो कार्य आवंटित किए गए संवेदक के द्वारा 80 फीसदी कार्य पूर्ण कर दिए गए हैं. इसके साथ ही जितनी राशि भुगतान की गई है उसके अनुपात में कार्य भी हुआ है, लेकिन एकरारनामा के अनुसार कार्य पूर्ण नहीं करने के कारण संबंधित संवेदक को काली सूची में डालते हुए जमानत राशि को जप्त कर ली गई है. वर्तमान समय में विभाग के पास इस योजना मद की 9 करोड़ रुपए शेष बची हुई है. योजना को पूर्ण करने के लिए लगभग 15 करोड़ की जरूरत पड़ेगी. इसके लिए जिला खनन निधि (डीएमएफटी) से 10 करोड रुपए मिलने की स्वीकृति मिल गई है.


विभाग के पदाधिकारी आधे-अधूरे काम को 80% पूर्ण बताकर अपने आप को पाक साफ साबित करने में जुटे हुए हैं, जबकि अगर गहराई से इस योजना की जमीनी हकीकत का आकलन किया जाए तो इसमें कई बड़े पदाधिकारी भी इस घोटाले में फंस सकते हैं. बहरहाल अगर सारे विवाद को दरकिनार करते हुए लोगों को स्वच्छ पेयजल आपूर्ति कराने में विभाग सफल हो जाती है तो शहरवासियों के लिए काफी बड़ी राहत की बात होगी.

Intro:
चाईबासा। पश्चिम सिंहभूम जिले के चाईबासा शहर को बेहतर एवं स्वच्छ पेयजल आपूर्ति करने को लेकर केंद्रीय नगर विकास विभाग द्वारा 37 करोड़ की लागत से बृहद पेयजल आपूर्ति योजना का कार्य शुरू हुआ और विभागीय पदाधिकारी संवेदक की मिलीभगत से राशि की जमकर बंदरबांट हुई और योजना आधार में लटक गया।




Body:विभाग संवेदक को काली सूची में डाल कर फिर से निविदा कर कार्य को पूर्ण करने की बात कह रही है। लेकिन दो बूंद पानी से लोगों की प्यास बुझाने वाली पेयजल आपूर्ति योजना के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च होने के बावजूद आज भी चाईबासा के लोग को स्वच्छ पानी के लिए तरस रहे हैं।

वर्तमान समय में भीषण गर्मी में लोगों के घरों तक पेयजल आपूर्ति कराने में विभाग फेल हो चुका है। जिस कारण लोग एवं बच्चे अपने घरों के लिए गैलन एवं बोतलों में पानी भर भर कर ले जाते देखे जा सकते हैं।

वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में कार्यरत जॉनसन ने बताया कि यहां 24 घंटे में लगभग 5 से 6 घंटे बिजली नहीं रहती है जिस कारण पानी की सप्लाई सुचारू रूप से नहीं हो पा रही है पिछले 2 दिनों से स्थिति ठीक है उसके बावजूद भी शहर के कई लोग यहां से पानी ले जाने के लिए पहुंचते रहते हैं।

चाईबासा स्थित बड़ी बाजार निवासी मोहम्मद आदिल ने बताया कि मोहल्ले में विभाग के द्वारा लगाए गए नल से पानी नहीं के बराबर ही टपकता है जिस कारण उन्हें पानी खरीदकर उपयोग में लाने पड़ते हैं। इसके अलावा उनके पास कोई दूसरा विकल्प नहीं है।

वहीं विभाग की मानें तो आज से 60 वर्ष पूर्व चाईबासा शहर में पेयजल आपूर्ति की व्यवस्था को लेकर आधारभूत संरचना की नीव रखी गई थी। लेकिन बदलते समय के साथ शहर की आबादी और क्षेत्रफल बढ़ता ही चला गया। जिसके कारण पुरानी व्यवस्था एवं आधारभूत संरचना के बदौलत शहर वासियों को पेयजल आपूर्ति कराने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। जब वृहद पेयजल आपूर्ति की योजना की शुरुआत हुई तो लोगों को लगने लगा था की उनकी प्यास बुझेगी और दो बूंद पानी के लिए उन्हें तरसना नहीं पड़ेगा।

पेयजल स्वच्छता विभाग के कार्यपालक अभियंता प्रभु दयाल मंडल की माने तो कार्य आवंटित किए गए संवेदक के द्वारा 80 फीसदी कार्य पूर्ण कर दिए गए हैं।

साथ ही जितनी राशि भुगतान की गई है उसके अनुपात में कार्य भी हुआ है। लेकिन एकरारनामा के अनुसार कार्य पूर्ण नहीं करने के कारण संबंधित संवेदक को काली सूची में डालते हुए जमानत राशि को जप्त कर ली गई है। वर्तमान समय में विभाग के पास इस योजना मद की 9 करोड़ रुपए शेष बची हुई है। योजना को पूर्ण करने के लिए लगभग 15 करोड़ की जरूरत पड़ेगी। जिसके लिए जिला खनन निधि (डीएमएफटी) से 10 करोड रुपए मिलने की स्वीकृति मिल गई है।





Conclusion:विभाग के पदाधिकारी आधे अधूरे काम को 80% पूर्ण बताकर अपने आप को पाक साफ साबित करने में जुटे हुए हैं जबकि अगर गहराई से इस योजना की जमीनी हकीकत का आकलन किया जाए तो इसमें कई बड़े पदाधिकारी भी इस घोटाले में फंस सकते हैं बाहर हाल अगर सारे विवाद को दरकिनार करते हुए लोगों को स्वच्छ पेयजल आपूर्ति कराने में विभाग सफल हो जाती है तो शहरवासियों के लिए काफी बड़ी राहत की बात होगी।
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