धनबाद: क्रिकेट के मैदान पर चौके-छक्के लगाते ये बच्चे बेहद खास हैं. सरायढेला के जगजीवन नगर स्थित नेत्रहीन आवासीय विद्यालय में पढ़ने वाले छात्र यूं तो नेत्रहीन हैं लेकिन इनका सपना धोनी जैसा बनने की है. इन नेत्रहीन बच्चों को किक्रेट खेलते देख हर कोई दांतों तले उंगलियां दबाने पर मजबूर हो जाता है.
सुनने की शक्ति से दिखाते हैं खेल में जौहर
क्रिकेट की पिच पर बैट्समैन, कीपर, प्ले की आवाज लगाते ही बैट्समैन यस की आवाज लगाता है और फिर बॉलर बॉल फेंकता है. दूसरे छोर पर खड़ा बैट्समैन उस बॉल पर शॉट्स लगाता है. ये बच्चे अपने सुनने की ताकत पर ही क्रिकेट के मैदान में अपना जौहर दिखाते है.
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बॉलिंग-बैटिंग के साथ फील्डिंग में भी यह बच्चे माहिर है. साधारण बॉल की अपेक्षा इनकी बॉल थोड़ी बड़ी है और खास होती है. ये जब टप्पा खाती है तो इसके अंदर से एक खास आवाज आती है. इस आवाज के दम पर ही ये अपना खेल का जौहर दिखाते है. इनके क्रिकेट के नियम थोड़ा अलग हटके है. इनमे से कई बच्चे झारखंड ही नहीं बल्कि बिहार में भी अपने खेल का जौहर दिखा चुके है.
धनबाद ब्लाइंड रिलीफ सोसायटी करती है देखभाल
केयर टेकर राजेश कुमार बताते है कि धनबाद ब्लाइंड रिलीफ सोसायटी के द्वारा यह नेत्रहीन आवासीय विद्यालय का संचालन किया जाता है. पढ़ाई के साथ-साथ खेल की भी बच्चों के लिए विशेष व्यवस्था की गई है. समय-समय पर इन बच्चों को क्रिकेट का प्रशिक्षण भी दिया जाता है.
भले ही ये बच्चे आम नहीं है, लेकिन खास से भी कम नहीं है. इनकी दृढ़ इच्छाशक्ति ही इन्हें औरों से अलग बनाती है. वहीं, ये बच्चे धोनी के जैसे ही खेल के मैदान पर खेलने की चाह रखते है.