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आंखों से नहीं देता है दिखाई, फिर भी लगाते हैं धोनी जैसे छक्के-चौके - धनबाद

धनबाद के सरायढेला के जगजीवन नगर स्थित नेत्रहीन आवासीय विद्यालय के बच्चे कुछ खास हैं. ये आम बच्चों की तरह दुनिया तो नहीं देख पाते लेकिन क्रिकेट काफी अच्छा खेलते हैं. भले ही इन्होंने धोनी को न देखा हो लेकिन उनकी तरह खेलने की दृढ़ इच्छाशक्ति इनके अंदर जरूर मौजूद है.

क्रिकेट खेलते नेत्रहीन बच्चे
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Published : Jul 18, 2019, 7:17 AM IST

Updated : Aug 3, 2019, 10:10 PM IST

धनबाद: क्रिकेट के मैदान पर चौके-छक्के लगाते ये बच्चे बेहद खास हैं. सरायढेला के जगजीवन नगर स्थित नेत्रहीन आवासीय विद्यालय में पढ़ने वाले छात्र यूं तो नेत्रहीन हैं लेकिन इनका सपना धोनी जैसा बनने की है. इन नेत्रहीन बच्चों को किक्रेट खेलते देख हर कोई दांतों तले उंगलियां दबाने पर मजबूर हो जाता है.

देखें स्पेशल पैकेज

सुनने की शक्ति से दिखाते हैं खेल में जौहर
क्रिकेट की पिच पर बैट्समैन, कीपर, प्ले की आवाज लगाते ही बैट्समैन यस की आवाज लगाता है और फिर बॉलर बॉल फेंकता है. दूसरे छोर पर खड़ा बैट्समैन उस बॉल पर शॉट्स लगाता है. ये बच्चे अपने सुनने की ताकत पर ही क्रिकेट के मैदान में अपना जौहर दिखाते है.

ये भी पढ़ें-हजारीबाग की बेटी ने हॉलीवुड में लहराया परचम, चीन में कर रही शूटिंग

बॉलिंग-बैटिंग के साथ फील्डिंग में भी यह बच्चे माहिर है. साधारण बॉल की अपेक्षा इनकी बॉल थोड़ी बड़ी है और खास होती है. ये जब टप्पा खाती है तो इसके अंदर से एक खास आवाज आती है. इस आवाज के दम पर ही ये अपना खेल का जौहर दिखाते है. इनके क्रिकेट के नियम थोड़ा अलग हटके है. इनमे से कई बच्चे झारखंड ही नहीं बल्कि बिहार में भी अपने खेल का जौहर दिखा चुके है.

धनबाद ब्लाइंड रिलीफ सोसायटी करती है देखभाल
केयर टेकर राजेश कुमार बताते है कि धनबाद ब्लाइंड रिलीफ सोसायटी के द्वारा यह नेत्रहीन आवासीय विद्यालय का संचालन किया जाता है. पढ़ाई के साथ-साथ खेल की भी बच्चों के लिए विशेष व्यवस्था की गई है. समय-समय पर इन बच्चों को क्रिकेट का प्रशिक्षण भी दिया जाता है.

भले ही ये बच्चे आम नहीं है, लेकिन खास से भी कम नहीं है. इनकी दृढ़ इच्छाशक्ति ही इन्हें औरों से अलग बनाती है. वहीं, ये बच्चे धोनी के जैसे ही खेल के मैदान पर खेलने की चाह रखते है.

धनबाद: क्रिकेट के मैदान पर चौके-छक्के लगाते ये बच्चे बेहद खास हैं. सरायढेला के जगजीवन नगर स्थित नेत्रहीन आवासीय विद्यालय में पढ़ने वाले छात्र यूं तो नेत्रहीन हैं लेकिन इनका सपना धोनी जैसा बनने की है. इन नेत्रहीन बच्चों को किक्रेट खेलते देख हर कोई दांतों तले उंगलियां दबाने पर मजबूर हो जाता है.

देखें स्पेशल पैकेज

सुनने की शक्ति से दिखाते हैं खेल में जौहर
क्रिकेट की पिच पर बैट्समैन, कीपर, प्ले की आवाज लगाते ही बैट्समैन यस की आवाज लगाता है और फिर बॉलर बॉल फेंकता है. दूसरे छोर पर खड़ा बैट्समैन उस बॉल पर शॉट्स लगाता है. ये बच्चे अपने सुनने की ताकत पर ही क्रिकेट के मैदान में अपना जौहर दिखाते है.

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बॉलिंग-बैटिंग के साथ फील्डिंग में भी यह बच्चे माहिर है. साधारण बॉल की अपेक्षा इनकी बॉल थोड़ी बड़ी है और खास होती है. ये जब टप्पा खाती है तो इसके अंदर से एक खास आवाज आती है. इस आवाज के दम पर ही ये अपना खेल का जौहर दिखाते है. इनके क्रिकेट के नियम थोड़ा अलग हटके है. इनमे से कई बच्चे झारखंड ही नहीं बल्कि बिहार में भी अपने खेल का जौहर दिखा चुके है.

धनबाद ब्लाइंड रिलीफ सोसायटी करती है देखभाल
केयर टेकर राजेश कुमार बताते है कि धनबाद ब्लाइंड रिलीफ सोसायटी के द्वारा यह नेत्रहीन आवासीय विद्यालय का संचालन किया जाता है. पढ़ाई के साथ-साथ खेल की भी बच्चों के लिए विशेष व्यवस्था की गई है. समय-समय पर इन बच्चों को क्रिकेट का प्रशिक्षण भी दिया जाता है.

भले ही ये बच्चे आम नहीं है, लेकिन खास से भी कम नहीं है. इनकी दृढ़ इच्छाशक्ति ही इन्हें औरों से अलग बनाती है. वहीं, ये बच्चे धोनी के जैसे ही खेल के मैदान पर खेलने की चाह रखते है.

Intro:ANCHOR:-अमिताभ बच्चन, अक्षय कुमार,अर्जुन रामपाल और परेश रावेल की अभिनीत फिल्म आंखे में तीन नेत्रहीन व्यक्ति मिलकर एक बैंक रॉबरी की घटना को अंजाम देते हैं।टीचर का किरदार निभा रही सुष्मिता सेन उन नेत्रहीनों को रॉबरी के लिए ट्रेंड करती है।रॉबरी के बाद पुलिस भी यकीन नही करती कि रॉबरी को तीन नेत्रहीनों ने अंजाम दिया है।जिस प्रकार इस फ़िल्म में दर्शाया गया है।ठीक उसी प्रकार यह कहानी है नेत्रहीन बच्चों की।लेकिन इस कहानी में नेत्रहीन बच्चे किसी बैंक की रॉबरी नही करते बल्कि क्रिकेट के मैदान में चौके छक्के लगाने,बोल्ड करने और कैच लपकने के लिए जाने जाते हैं।यह किसी बॉलीवुड फ़िल्म की कहानी नही बल्कि हकीकत है।




Body:VO 01:-सरायढेला के जगजीवन नगर स्थित नेत्रहीन आवासीय विद्यालय के बच्चों का क्रिकेट खेल देख हर कोई दांतो तले उंगलियां दबाने पर मजबूर हो जाते हैं।क्रिकेट की पिच पर बैट्समैन, कीपर,प्ले की आवाज लगाते ही बैट्समैन यस की आवाज लगाता है और फिर बॉलर बॉल फेकता है।दूसरे छोर पर खड़ा बैट्समैन उस बॉल पर शॉट्स लगाता है।क्रिकेट खेल रहे ये सभी बच्चे नेत्रहीन हैं।इन्हें कुछ दिखाई नही देता। लेकिन ये सुन जरूर सकते हैं।अपने सुनने की ताकत पर ही ये बच्चे क्रिकेट के मैदान में अपना जौहर दिखाते हैं।बोलिंग बेटिंग के साथ फील्डिंग में भी यह बच्चे माहिर हैं।साधारण बॉल की अपेक्षा इनकी बॉल थोड़ी बड़ी हैं।यह एक विशेष तरह की बॉल है।जिसके अंदर बेयरिंग डाला हुआ है।बॉल जब भी पटकती है।बॉल के अंदर से एक आवाज सुनाई पड़ती है।यह आवाज इनके कानो तक पहुँचती है।उस आवाज के दम पर ही ये अपना खेल का जौहर दिखाते हैं।इनकी क्रिकेट के नियम थोड़ा अलग हटके है। इनमे से कई बच्चे झारखंड ही नही बल्कि बिहार में भी अपने खेल का जौहर दिखा चुके हैं।

BYTE 01:-SUJAL KUMAR SINGH

BYTE 02:-SONU

BYTE 03:-KARAN

VO 02:-केयर टेकर राजेश कुमार बताते हैं कि धनबाद ब्लाइंड रिलीफ सोसायटी के द्वारा यह नेत्रहीन आवासीय विद्यालय का संचालन किया जाता है।पढ़ाई के साथ साथ खेल की भी बच्चों के लिए विशेष व्यवस्था की गई है।समय समय पर इन बच्चों को क्रिकेट का प्रशिक्षण भी दिया जाता है।

BYTE. :-RAJESH KUMAR,CARE TECKER


Conclusion:भले ही इन्होंने धोनी को न देखा हो लेकिन उनके कारनामे को सुनकर धोनी जैसे खेलने की दृढ़ इच्छाशक्ति इनके अंदर जरूर मौजूद हैं।

नरेंद्र कुमार, ईटीवी भारत, धनबाद
Last Updated : Aug 3, 2019, 10:10 PM IST
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