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रांची: अर्जुन मुंडा ने ग्रामीण विकास मंत्री को लिखा पत्र, मनरेगा में वृक्षारोपण शामिल करने का आग्रह

रांची जिले में शनिवार को केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने ग्रामीण विकास मंत्री को पत्र लिखा है. केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने पत्र के माध्यम से वृक्षारोपण और वनरोपण संबंधी कार्य को मनरेगा में शामिल करने को लेकर आग्रह किया है.

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केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा
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Published : Jun 27, 2020, 4:33 PM IST

रांची: शनिवार को केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को पत्र लिखा है. पत्र में केंद्रीय मंत्री ने वृक्षारोपण और वनरोपण संबंधी कार्य को मनरेगा में शामिल करने का आग्रह किया है. उन्होंने पत्र के माध्यम से कहा कि जनजातीय कार्य मंत्रालय विशेष रूप से आदिवासियों के आजीविका के लिए वनोपज के न्यूनतम समर्थन मूल्य के माध्यम से लाभकारी समर्थन मूल्य प्रदान कर उन्हें विपणन की व्यवस्था करा रही है. उनके आजीविका के लिए गैर इमारती लकड़ी के वन उत्पादन ही साधन है.

आजीविका के निर्माण को बनाया जा सके सुगम
मुंडा ने कहा कि इस योजना के तहत एमओटीए ने वन धन योजना, मूल्यवर्धन के लिए कार्यक्रम, लगभग 300 सदस्यों के वन धन केंद्रों की स्थापना करके लघु वन उत्पादों की ब्रांडिंग विपणन भी शुरू की है. ताकि टिकाऊ आजीविका के निर्माण को सुगम बनाया जा सके और वन आधारित जनजातियों के लिए आय उत्पन्न की जा सके. 21 राज्यों और एक यूटी में 1126 वन धन केंद्र स्वीकृत किए गए हैं, जिनमें 36 लाख आदिवासी संग्रहकर्ता शामिल है.

इसे भी पढ़ें-प्रतिबंधित पान मसालों की बिक्री पर स्वास्थ्य मंत्री सख्त, छापेमारी के दिए निर्देश

लोगों को रोजगार की है सख्त जरूरत
केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा है कि कोविड-19 की महामारी फैलने के कारण वर्तमान स्थिति में आदिवासी संग्रहकर्ताओं समेत गरीब और हाशिए पर पड़े समुदायों की आजीविका को गंभीर आघात पहुंचा है. इस महामारी ने प्रवासी मजदूरों को भी अपने घरों में लौटने के लिए मजबूर कर दिया है, जिन्हें रोजगार की सख्त जरूरत है. ऐसे में उन्होंने कहा है कि वनों में रहने वालों जनजातीय समुदाय को लाभ पहुंचाने के लिए दोनों मंत्रालयों के बीच आपसी तालमेल के अवसर हो सकते हैं.

रांची: शनिवार को केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को पत्र लिखा है. पत्र में केंद्रीय मंत्री ने वृक्षारोपण और वनरोपण संबंधी कार्य को मनरेगा में शामिल करने का आग्रह किया है. उन्होंने पत्र के माध्यम से कहा कि जनजातीय कार्य मंत्रालय विशेष रूप से आदिवासियों के आजीविका के लिए वनोपज के न्यूनतम समर्थन मूल्य के माध्यम से लाभकारी समर्थन मूल्य प्रदान कर उन्हें विपणन की व्यवस्था करा रही है. उनके आजीविका के लिए गैर इमारती लकड़ी के वन उत्पादन ही साधन है.

आजीविका के निर्माण को बनाया जा सके सुगम
मुंडा ने कहा कि इस योजना के तहत एमओटीए ने वन धन योजना, मूल्यवर्धन के लिए कार्यक्रम, लगभग 300 सदस्यों के वन धन केंद्रों की स्थापना करके लघु वन उत्पादों की ब्रांडिंग विपणन भी शुरू की है. ताकि टिकाऊ आजीविका के निर्माण को सुगम बनाया जा सके और वन आधारित जनजातियों के लिए आय उत्पन्न की जा सके. 21 राज्यों और एक यूटी में 1126 वन धन केंद्र स्वीकृत किए गए हैं, जिनमें 36 लाख आदिवासी संग्रहकर्ता शामिल है.

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लोगों को रोजगार की है सख्त जरूरत
केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा है कि कोविड-19 की महामारी फैलने के कारण वर्तमान स्थिति में आदिवासी संग्रहकर्ताओं समेत गरीब और हाशिए पर पड़े समुदायों की आजीविका को गंभीर आघात पहुंचा है. इस महामारी ने प्रवासी मजदूरों को भी अपने घरों में लौटने के लिए मजबूर कर दिया है, जिन्हें रोजगार की सख्त जरूरत है. ऐसे में उन्होंने कहा है कि वनों में रहने वालों जनजातीय समुदाय को लाभ पहुंचाने के लिए दोनों मंत्रालयों के बीच आपसी तालमेल के अवसर हो सकते हैं.

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