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'नाग माता' का मायाजाल,  हर मर्ज का इलाज करने का करती है दावा - शिवलिंग

आज हम 21वीं सदी में जी रहे हैं. लेकिन हमारे देश में अभी भी ऐसे नजारे देखने को मिल जाते हैं, जिस पर भरोसा कर पाना बहुत ही मुश्किल होता है. ऐसा ही एक नजारा जिले के गोविंदपुर इलाके में देखने को मिला. जहां पर लगभग तीन-चार वर्षों से एक महिला के ऊपर नाग देवता सवार हो जाते हैं और फिर महिला झूमने लगती है.

देखिए स्पेशल स्टोरी
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Published : Mar 5, 2019, 6:38 PM IST

धनबाद: आज हम 21वीं सदी में जी रहे हैं. लेकिन हमारे देश में अभी भी ऐसे नजारे देखने को मिल जाते हैं, जिस पर भरोसा कर पाना बहुत ही मुश्किल होता है. ऐसा ही एक नजारा जिले के गोविंदपुर इलाके में देखने को मिला. जहां पर लगभग तीन-चार वर्षों से एक महिला के ऊपर नाग देवता सवार हो जाते हैं और फिर महिला झूमने लगती है.

देखिए स्पेशल स्टोरी


धनबाद के गोविंदपुर प्रखंड के खिलकनाली गांव में एक छोटा सा शिव मंदिर है. जहां पर शिवलिंग के साथ-साथ कुछ मूर्तियां भी हैं. सांपों का एक बड़ा सा टीला भी उस जगह मौजूद है. लोग बताते हैं कि पूजा के समय कभी-कभी उन टीलों से सांप भी निकलता है. वहां पर मौजूद लोगों ने बताया कि सांप निकलते हुए इस गांव के सभी लोगों ने देखा भी है. इसी शिवलिंग के पास हर सोमवार को पूजा के समय पूजन करते-करते उस महिला पर नाग माता सवार हो जाती हैं. फिर महिला अपने वश में नहीं होती है.


लोगों की तकलीफ दूर करती है महिला
यहां पर बहुत दूर-दूर से लोग अपनी दुखों और तकलीफों को लेकर इस महिला के पास आते हैं. महिला बगैर तकलीफों को सुने ही स्वयं उसकी तकलीफों को बता देती है. साथ ही साथ उसका निवारण भी. ऐसा यहां पर आने वाले लोगों ने खुद ही बताया है. लोगों ने कहा कि यहां पर तीन सोमवार को आना पड़ता है. उसके बाद सभी तकलीफ खत्म हो जाती है. कुछ लोगों की तकलीफ खत्म होने से अब यहां पर आने वाले लोगों की संख्या में बढ़ोतरी भी हुई है.

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21वीं सदी में आस्था हावी
भले ही आज के दौर में लोग इसे अंधविश्वास कहें, लेकिन जहां आस्था होती है, वहां सबकुछ पीछे रह जाता है.

धनबाद: आज हम 21वीं सदी में जी रहे हैं. लेकिन हमारे देश में अभी भी ऐसे नजारे देखने को मिल जाते हैं, जिस पर भरोसा कर पाना बहुत ही मुश्किल होता है. ऐसा ही एक नजारा जिले के गोविंदपुर इलाके में देखने को मिला. जहां पर लगभग तीन-चार वर्षों से एक महिला के ऊपर नाग देवता सवार हो जाते हैं और फिर महिला झूमने लगती है.

देखिए स्पेशल स्टोरी


धनबाद के गोविंदपुर प्रखंड के खिलकनाली गांव में एक छोटा सा शिव मंदिर है. जहां पर शिवलिंग के साथ-साथ कुछ मूर्तियां भी हैं. सांपों का एक बड़ा सा टीला भी उस जगह मौजूद है. लोग बताते हैं कि पूजा के समय कभी-कभी उन टीलों से सांप भी निकलता है. वहां पर मौजूद लोगों ने बताया कि सांप निकलते हुए इस गांव के सभी लोगों ने देखा भी है. इसी शिवलिंग के पास हर सोमवार को पूजा के समय पूजन करते-करते उस महिला पर नाग माता सवार हो जाती हैं. फिर महिला अपने वश में नहीं होती है.


लोगों की तकलीफ दूर करती है महिला
यहां पर बहुत दूर-दूर से लोग अपनी दुखों और तकलीफों को लेकर इस महिला के पास आते हैं. महिला बगैर तकलीफों को सुने ही स्वयं उसकी तकलीफों को बता देती है. साथ ही साथ उसका निवारण भी. ऐसा यहां पर आने वाले लोगों ने खुद ही बताया है. लोगों ने कहा कि यहां पर तीन सोमवार को आना पड़ता है. उसके बाद सभी तकलीफ खत्म हो जाती है. कुछ लोगों की तकलीफ खत्म होने से अब यहां पर आने वाले लोगों की संख्या में बढ़ोतरी भी हुई है.

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21वीं सदी में आस्था हावी
भले ही आज के दौर में लोग इसे अंधविश्वास कहें, लेकिन जहां आस्था होती है, वहां सबकुछ पीछे रह जाता है.

Intro:धनबाद: वैसे तो हम 21वीं सदी में जी रहे हैं लेकिन हमारे देश में आज भी ऐसा कुछ नजारा देखने को मिल जाता है जिस पर आज के विज्ञान के इस युग में भरोसा कर पाना बहुत ही मुश्किल होता है.ऐसा ही एक नजारा धनबाद जिले के गोविंदपुर इलाके में देखने को मिलता है. जहां पर लगभग तीन-चार वर्षों से एक महिला के ऊपर नाग माता सवार हो जाती हैं और फिर महिला झूमने लगती है.


Body:गौरतलब है कि धनबाद जिले के गोविंदपुर प्रखंड के खिलकनाली गांव में एक छोटा सा शिव मंदिर है. जहां पर शिवलिंग के साथ साथ कुछ मूर्तियां भी हैं और सांपों का एक बड़ा सा टिल्हा(दिमक का ढेर) भी उस जगह मौजूद है. लोग बताते हैं की पूजा के समय कभी-कभी उन टिल्हों से सांप भी निकलता है. वहां पर मौजूद लोगों ने बताया कि सांप निकलते हुए इस गांव के सभी लोगों ने देखा भी है. इसी शिवलिंग के पास प्रत्येक सोमवार को पूजा के समय पूजन करते-करते उस महिला पर नाग माता सवार हो जाती हैं और फिर महिला अपने वस में नहीं होती है वह झूमने लगती है.

यहां पर बहुत दूर-दूर से लोग अपने दुखों और तकलीफों को लेकर इस महिला के पास आते हैं. महिला बगैर उनके तकलीफों को सुने बगैर ही स्वयं उसकी तकलीफों को बता देती है और साथ ही साथ उसका निवारण भी. ऐसा यहां पर आने वाले लोगों ने स्वयं ही बतलाया. लोगों ने कहा कि यहां पर तीन सोमवार को आना पड़ता है और उसके बाद सभी तकलीफ खत्म हो जाती है. कुछ लोगों की तकलीफ खत्म होने से अब यहां पर आने वाले लोगों की संख्या में बढ़ोतरी भी हुई है. काफी दूर-दूर से लोग यहां पर अपनी दुखों और तकलीफों को लेकर इस नाग माता के पास आते हैं.


Conclusion:अब सवाल यह उठता है कि सही में नाग माता इस महिला पर सवार होती है या कुछ और कारण है.लेकिन कारण जो कुछ भी हो आज के 21 वी सदी में हम इसे अंधविश्वास ही कह सकते हैं क्योंकि आज का युग विज्ञान का युग है. लेकिन इतना जरूर कह सकते हैं कि आज भी आस्था भारी है. लोगों की आस्था के आगे सब कुछ संभव है.

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