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Sharadiya Navratri 2021: एक ही दिन होगी माता के दो स्वरूपों की पूजा

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Published : Oct 9, 2021, 6:34 AM IST

मां दुर्गा के नौ रूप हैं, नवरात्रि में अलग-अलग दिनों में इन रूपों की पूजा की जाती है, क्योंकि इस साल नवरात्रि केवल आठ दिनों की है, इसलिए मां के तीसरे रूप चंद्रघंटा और मां कुष्मांडा के चौथे रूप की पूजा एक ही दिन की जाएगी.

माता के दो स्वरूपों की पूजा
माता के दो स्वरूपों की पूजा

नई दिल्ली: नवरात्रि के तीसरे दिन मां दुर्गा के तीसरे रूप चंद्रघंटा माता की पूजा की जाती है. इस बार शारदीय नवरात्रि नौ नहीं आठ दिन की है, इसलिए तीसरी और चौथी नवरात्रि एक ही दिन मनाई जाएगी, यानी कि माता के तीसरे स्वरूप मां चंद्रघंटा और चौथा स्वरूप मां कुष्मांडा की पूजा नौ अक्टूबर को एक ही दिन होगी.

माता के मंदिर के पुजारी अंबिका प्रसाद जी ने बताया कि इस बार नवरात्रों में चतुर्थी और पंचमी तिथि एक साथ पड़ रही है. इसीलिए तीसरा और चौथा नवरात्रा एक ही दिन मनाया जाएगा. पंडित अंबिका प्रसाद ने बताया कि माता चंद्रघंटा जिनके माथे पर चंद्र के आकार का अर्धचंद्र विराजमान है, इन माता के तीन नेत्र और 10 भुजाएं हैं, जिसमें उन्होंने कमल का फूल, गदा, बाण, धनुष, त्रिशूल, खड़ग, खप्पर, चक्र, अस्त्र-शस्त्र आदि धारण किए हुए हैं.

मां के तीसरे रूप चंद्रघंटा और मां कुष्मांडा के चौथे रूप की पूजा एक ही दिन की जाएगी.

मान्यता है कि मां दुर्गा ने असुरों और दानवों का नाश करने के लिए इस रूप को धारण किया था. मां चंद्रघंटा की पूजा अर्चना करने से व्यक्ति के अंदर वीरता और निर्भयता आती है, साथ ही मां सभी कष्टों को दूर करती हैं. मां चंद्रघंटा राक्षसों और असुरों के लिए उनका नाश करने वाली है तो वहीं अपने भक्तों का कल्याण करने वाली.

पंडित जी ने बताया कि मां चंद्रघंटा के मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र बना हुआ है इसीलिए मां को चंद्रघंटा कहा जाता है, मान्यता है कि घंटे और शंख की आवाज जहां तक जाती है वहां तक सभी बुराइयों असुरों का नाश हो जाता है और जब मां दुर्गा ने यह स्वरूप धारण किया तो मां की घंटे की आवाज से ही सभी असुर और दानव धराशाई हो गए.

ये भी पढ़ें - शारदीय नवरात्रि 2021ः ये हैं अहम मुहूर्त व तिथियां

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अगर सभी भक्त एक साथ एक चीज के लिए मां चंद्रघंटा की पूजा करें तो मां वह मनोकामना जरूर पूरी करती है. आगे पंडित अंबिका प्रसाद जी ने कहा कि इस समय चूंकि पूरी दुनिया वैश्विक महामारी से जूझ रही है, ऐसे में अगर हम मां चंद्रघंटा की आराधना करें तो मां जल्द ही हम सभी को इस बीमारी से निजात दिलाएंगी.

पंडित जी ने बताया कि तीसरे दिन माता चंद्रघंटा और माता कुष्मांडा की पूजा एक साथ की जाएगी. ऐसे में माता चंद्रघंटा को अमरूद फल अर्पित किया जा सकता है, क्योंकि यह फल माता को बेहद प्रिय है, वहीं मां कुष्मांडा को सेव अर्पित कर सकते हैं. इसके अलावा दूध से बनी चीजों का ही माता को भोग लगाएं. पंडित जी ने बताया कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार दुर्गा माता का चौथा स्वरूप कुष्मांडा जिन्होंने एक छोटी सी मुस्कान से ही पूरे ब्रह्मांड की रचना की थी, और इनकी उपासना करने से सभी रोग और शोक मिट जाते हैं, यह खुशहाली देने वाली देवी है.

नई दिल्ली: नवरात्रि के तीसरे दिन मां दुर्गा के तीसरे रूप चंद्रघंटा माता की पूजा की जाती है. इस बार शारदीय नवरात्रि नौ नहीं आठ दिन की है, इसलिए तीसरी और चौथी नवरात्रि एक ही दिन मनाई जाएगी, यानी कि माता के तीसरे स्वरूप मां चंद्रघंटा और चौथा स्वरूप मां कुष्मांडा की पूजा नौ अक्टूबर को एक ही दिन होगी.

माता के मंदिर के पुजारी अंबिका प्रसाद जी ने बताया कि इस बार नवरात्रों में चतुर्थी और पंचमी तिथि एक साथ पड़ रही है. इसीलिए तीसरा और चौथा नवरात्रा एक ही दिन मनाया जाएगा. पंडित अंबिका प्रसाद ने बताया कि माता चंद्रघंटा जिनके माथे पर चंद्र के आकार का अर्धचंद्र विराजमान है, इन माता के तीन नेत्र और 10 भुजाएं हैं, जिसमें उन्होंने कमल का फूल, गदा, बाण, धनुष, त्रिशूल, खड़ग, खप्पर, चक्र, अस्त्र-शस्त्र आदि धारण किए हुए हैं.

मां के तीसरे रूप चंद्रघंटा और मां कुष्मांडा के चौथे रूप की पूजा एक ही दिन की जाएगी.

मान्यता है कि मां दुर्गा ने असुरों और दानवों का नाश करने के लिए इस रूप को धारण किया था. मां चंद्रघंटा की पूजा अर्चना करने से व्यक्ति के अंदर वीरता और निर्भयता आती है, साथ ही मां सभी कष्टों को दूर करती हैं. मां चंद्रघंटा राक्षसों और असुरों के लिए उनका नाश करने वाली है तो वहीं अपने भक्तों का कल्याण करने वाली.

पंडित जी ने बताया कि मां चंद्रघंटा के मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र बना हुआ है इसीलिए मां को चंद्रघंटा कहा जाता है, मान्यता है कि घंटे और शंख की आवाज जहां तक जाती है वहां तक सभी बुराइयों असुरों का नाश हो जाता है और जब मां दुर्गा ने यह स्वरूप धारण किया तो मां की घंटे की आवाज से ही सभी असुर और दानव धराशाई हो गए.

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धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अगर सभी भक्त एक साथ एक चीज के लिए मां चंद्रघंटा की पूजा करें तो मां वह मनोकामना जरूर पूरी करती है. आगे पंडित अंबिका प्रसाद जी ने कहा कि इस समय चूंकि पूरी दुनिया वैश्विक महामारी से जूझ रही है, ऐसे में अगर हम मां चंद्रघंटा की आराधना करें तो मां जल्द ही हम सभी को इस बीमारी से निजात दिलाएंगी.

पंडित जी ने बताया कि तीसरे दिन माता चंद्रघंटा और माता कुष्मांडा की पूजा एक साथ की जाएगी. ऐसे में माता चंद्रघंटा को अमरूद फल अर्पित किया जा सकता है, क्योंकि यह फल माता को बेहद प्रिय है, वहीं मां कुष्मांडा को सेव अर्पित कर सकते हैं. इसके अलावा दूध से बनी चीजों का ही माता को भोग लगाएं. पंडित जी ने बताया कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार दुर्गा माता का चौथा स्वरूप कुष्मांडा जिन्होंने एक छोटी सी मुस्कान से ही पूरे ब्रह्मांड की रचना की थी, और इनकी उपासना करने से सभी रोग और शोक मिट जाते हैं, यह खुशहाली देने वाली देवी है.

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