हैदराबाद: क्या आप कोरोना वैक्सीन की दूसरी डोज़ नहीं ले पाए हैं? या आपने तय वक्त के बाद दूसरी डोज़ ली ? तो घबराएं नहीं, आप अकेले नहीं हैं, देश में आपकी तरह करोड़ों लोग हैं. लेकिन क्या ये डरने वाली बात है ? क्या डोज़ मिस करने पर पहला डोज़ दोबारा लेना पड़ेगा ? वैक्सीन लेने से पहले या पहली डोज़ के बाद अगर कोरोना संक्रमित हो गए तो दूसरी डोज़ का क्या करें ? ऐसे तमाम सवाल आपके मन में भी उठ रहे होंगे, जिनका जवाब आपको मिलेगा ईटीवी भारत एक्सप्लेनर में (etv bharat explainer)
दूसरी डोज़ छोड़ने वालों में बुजुर्ग सबसे ज्यादा
देश में कोरोना वैक्सीनेशन को लेकर चौंकाने वाला आंकड़ा सामने आया है. स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से अगस्त के आखिर हफ्ते में जारी आंकड़ों के मुताबिक 1.60 करोड़ से ज्यादा लोगों ने वैक्सीन की पहली डोज लेने के बाद तय समय (16 हफ्ते) के बाद भी दूसरी डोज़ नहीं ली. इनमें एक करोड़ से अधिक वो लोग हैं जिनकी उम्र 60 साल या उससे अधिक है. आंकड़ों के मुताबिक 12 लाख से ज्यादा स्वास्थ्यकर्मी और फ्रंटलाइन वर्कर भी इसमें शामिल हैं.
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कब तक का है आंकड़ा ?
23 अगस्त को सरकार की तरफ से जारी आंकड़े ये देखते हुए निकाले गए हैं कि 2 मई यानी 16 हफ्ते पहले तक कितने लोगों ने कोरोना वैक्सीन का पहला डोज़ लिया था. 23 अगस्त तक उनमें से कितने लोगों ने दूसरी डोज़ ली उसका आंकड़ा निकाला गया. दोनों के बीच का अंतर एक करोड़ 60 लाख से अधिक आया.
एक मई 2021 से देशभर में 18 साल से 44 आयु वर्ग के लोगों को वैक्सीनेशन का दौर शुरू हुआ था. उससे पहले स्वास्थ्य कर्मियों से लेकर फ्रंटलाइन वर्कर, 60 साल से अधिक आयु के लोगों और फिर 45 से 60 साल के लोगों के लिए वैक्सीनेशन अभियान चला. सरकार ने 13 मई को कोविशील्ड की दो डोज के बीच 12 से 16 हफ्ते के अंतराल को मंजूरी दी, कोवैक्सीन के लिए ये अंतराल 4 से 6 हफ्ते है. 80 से 85 फीसदी लोगों को कोविशील्ड दी जा रही है. इसलिए 12 से 16 हफ्ते के अंतराल में ये आंकड़ा निकाला गया है.
दूसरी डोज़ छोड़ने की वजह
कोरोना वैक्सीन की दूसरी डोज़ ना लग पाने के 2 मुख्य कारण हैं.
1. वैक्सीन की कमी- कोरोना टीकाकरण की शुरुआत से ही देश में टीकों की कमी के मामले सामने आए. कई राज्यों ने इसे लेकर शिकायत की. कोवीशील्ड हो या फिर कोवैक्सीन, टीकों की कमी कई दिनों तक बनी रही. इसी वजह से पहली डोज़ लेने के बाद कई लोग दूसरी डोज़ तय समय पर नहीं ले पाए.
2. पहली डोज के बाद कोरोना संक्रमण- देश में कोरोना की दूसरी लहर उसी दौर में आई जब कोविड-19 टीकाकरण अभियान चल रहा था. इसी दौरान कई ऐसे लोग भी कोरोना संक्रमण की चपेट में आ गए, जिन्होंने वैक्सीन की पहली डोज़ ले ली थी.
दूसरा डोज़ मिस करने या देर से लगवाने पर क्या होगा ?
अगर आपने दूसरी डोज़ कुछ दिन से मिस कर दी है या तय वक्त के बाद लगवाई है तो डरने और घबराने की कोई जरूरत नहीं है. कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि दुनियाभर में भले ही टीकाकरण चल रहा हो लेकिन एक तरह से ये प्रयोगात्मक (experimental) स्तर पर ही है. दो डोज़ के बीच गैप दो बार बदला जा चुका है और कुछ स्टडी बताती है कि वैक्सीन के दो डोज का अंतर 6 से 8 महीने भी रहता है तो असर कायम रहेगा.
भले आपको देर हो गई हो लेकिन दूसरी डोज़ जरूर लें, कई विशेषज्ञों के मुताबिक दूसरी डोज़ के बाद एंटीबॉडी तेजी से बनती है और एक डोज़ की अपेक्षा दो डोज़ संक्रमण के खिलाफ खासकर कई म्यूटेशन के खिलाफ ज्यादा प्रभावी होते हैं. पहली डोज़ के एक तय वक्त के बाद एंटीबॉडी कम और फिर निम्न स्तर पर पहुंच जाती है ऐसे में दूसरा डोज़ एंटी बॉडी को बूस्ट करने का काम करता है. और संक्रमण के खिलाफ सुरक्षा कवच को और पुख्ता करता है.
दो डोज़ के बीच बहुत ज्यादा गैप होने के बाद संक्रमण की चपेट में आने का खतरा रहता है क्योंकि गैप के कारण एंटीबॉडी कम हो जाती है और वायरस के संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है.
पहली डोज़ के बाद संक्रमित हो जाएं तो क्या करें ?
दुनियाभर में कई लोग ऐसे हैं जो पहली डोज़ के बाद कोरोना संक्रमण की चपेट में आ गए. ऐसे में दूसरी डोज़ को लेकर उनके मन में कन्फ्यूजन की स्थिति बनी रहती है. विशेषज्ञों के मुताबिक शरीर पर वायरस के अटैक के बाद रोग प्रतिरोधक क्षमता एक्टिव हो जाती है और वायरस से लड़ती है. कोरोना संक्रमण से उबरने के बाद शरीर में एंटीबॉडी बन जाती है, जो दूसरी बार होने वाले संक्रमण को कम करती है. लेकिन ये बचाव कुछ वक्त के लिए होता है, ऐसी स्थिति में भी धीरे-धीरे एंटीबॉडी कम होने लगती है. इसलिये एक्सपर्ट की सलाह है कि संक्रमण से उबरने के एक से तीन महीने बाद जब संक्रमण के सभी लक्षण दूर हो जाएं तो दूसरी डोज़ ली जा सकती है.
सावधान ! दोनों डोज़ के बाद भी संक्रमण
ये बिल्कुल संभव है, दुनियाभर में ऐसे मामले सामने आ चुके हैं. पूरी दुनिया में वैक्सीनेशन का दौर चल रहा है और दो डोज़ लेने के बाद संक्रमण के मामले भी सामने आ रहे हैं और उनपर रिसर्च भी जारी है. दोनों डोज़ के बाद भी संक्रमण की वजह के कोई पुख्ता प्रमाण तो नहीं हैं लेकिन इसकी कुछ वजहों का अनुमान भर लगाया जा सकता है.
विशेषज्ञों के मुताबिक मौजूदा दौर की कोई भी कोरोना वैक्सीन वायरस के खिलाफ 100 फीसदी प्रभावी नहीं है. वैक्सीन निर्माताओं ने 70 से 90 फीसदी कारगर होने के दावे किए हैं. कुछ एक्सपर्ट मानते हैं कि दूसरी डोज़ लेने के दो से तीन हफ्ते बाद शरीर में एंटीबॉडी तैयार होती है ऐसे में ये मुमकिन है कि इसी दौरान संक्रमण हुआ हो.
क्यों जरूरी है दूसरी डोज ?
विशेषज्ञों के मुताबिक वैक्सीन की पहली डोज़ एक लॉन्चपैड की तरह काम करती है और इम्यून रिस्पॉन्स को गति देती है, जबकि दूसरी डोज़ इसे वायरस के खिलाफ और मजबूत करता है. वैक्सीन की पहली डोज लगाने के कुछ वक्त बाद जब एंटीबॉड़ी कम होने लगती है तो दूसरी डोज़ इसे सक्रिय करती है, जिसे बूस्टर रिस्पॉन्स भी कहते है.
ब्रिटेन में हुई एक स्टडी के मुताबिक डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ एक डोज़ 30 से 35 फीसदी ही कारगर है, जबकि डबल डोज के बाद इसे 80 से 85 फीसदी तक पहुंचाया जा सकता है. साफ है कि अगर आपने दूसरी डोज़ नहीं ली है तो डेल्टा वैरिएंट से संक्रमित होने का खतरा बरकरार है. यही डेल्टा वैरिएंट भारत में दूसरी लहर के साथ कई देशों में कहर मचा चुका है.
दो डोज़ के बीच तय वक्त का ध्यान रखें
देश में कोविड-19 वैक्सीन की दो डोज़ के बीच का वक्त दो बार बदला गया है. जो कुछ लोगों को कन्फ्यूजन की स्थिति में तो डाल रहा है लेकिन विशेषज्ञ कहते हैं कि दूसरी डोज़ तय समय या गैप के अनुसार ले. देश में सबसे ज्यादा कोवीशील्ड और कोवैक्सीन दी जा रही है, कोवीशील्ड की दो डोज़ के बीच 12 से 16 हफ्ते और कोवैक्सीन की दो डोज़ के बीच 4 से 6 हफ्ते का गैप है. वहीं स्पूतनिक की दो डोज के बीच 21 दिन का अंतर है.
इसके अलावा भारत में मॉडर्ना, जॉनसन एंड जॉनसन और जायडस कैडिला की वैक्सीन को भी मंजूरी मिली है, हालांकि इसके टीके अभी नहीं लग रहे हैं. दुनियाभर के एक्सपर्ट की सलाह है कि वैक्सीन की पूरी डोज़ लें. कोशिश करें कि तय वक्त पर लें और देर होने पर भी दूसरी डोज़ लेने की चूक ना करें. पहली डोज लेने के एक वक्त बाद शरीर में बनी एंटीबॉडी कम हो जाती है और इस दौरान आप संक्रमित भी हो सकते हैं.
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