नई दिल्ली : पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के तुरंत बाद हुई हिंसा को लेकर राजनीति तेज है. ममता सरकार इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है. राज्य सरकार ने कोलकाता हाईकोर्ट के उस फैसले के खिलाफ अपील की है, जिसमें कोर्ट ने पूरे मामले की सीबीआई जांच का आदेश दिया है.
राज्य सरकार की ओर से कहा गया है कि उन्हें सीबीआई पर भरोसा नहीं है, क्योंकि वह जिसके मातहत काम करते हैं, वे लगातार निर्देश देते रहते हैं. सरकार ने अपनी याचिका में सुप्रीम कोर्ट की पुरानी टिप्पणी को भी शामिल किया है, जिसमें कोर्ट ने सीबीआई को 'पिंजरे में बंद तोता' बताया था.
ममता सरकार ने अपनी विशेष अनुमति याचिका में आरोप लगाया है कि सीबीआई से वह निष्पक्ष और न्यायसंगत जांच की उम्मीद नहीं की जा सकती है. उन्होंने कहा कि सीबीआई पहले से ही टीएमसी के पदाधिकारियों के खिलाफ मामले दर्ज करने में व्यस्त है.
आपको बता दें कि वकील अनिंद्य सुंदर दास ने एक कैविएट दाखिल किया है, जिसमें उन्होंने अपील की है कि यदि राज्य सरकार या अन्य वादी अपील करते हैं, तो उनकी सुनवाई के बिना आदेश पारित नहीं किया जाना चाहिए.
आपको बता दें कि दास की याचिका पर ही कोलकाता हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं.
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल की अध्यक्षता वाली हाईकोर्ट की पांच-न्यायाधीशों की पीठ ने इस साल विधानसभा चुनाव के परिणाम के बाद पश्चिम बंगाल में जघन्य अपराधों के सभी कथित मामलों में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की जांच का आदेश दिया था.
कलकत्ता हाईकोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ ने चुनाव के बाद हिंसा की घटनाओं की जांच के लिए 19 अगस्त को एसआईटी के गठन का आदेश दिया था, जिसमें भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी सोमेन मित्रा, सुमन बाला साहू और रणबीर कुमार शामिल है.
पश्चिम बंगाल सरकार ने बुधवार को उच्चतम न्यायालय का रुख करते हुए चुनाव के बाद हिंसा के मामले में कलकत्ता उच्च न्यायालय के एक आदेश को चुनौती दी थी. उच्च न्यायालय ने राज्य में विधानसभा चुनाव के बाद हुई हिंसा के दौरान बलात्कार और हत्या जैसे सभी जघन्य मामलों में एनएचआरसी की समिति की सिफारिशों को स्वीकार करने के बाद अदालत की निगरानी में सीबीआई जांच का निर्देश दिया है.