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IC-814 विमान के कैप्टन बोले- काबुल एयरपोर्ट की तस्वीर कंधार की याद दिलाती है

इंडियन एयरलाइंस की उड़ान आईसी 814 के कप्तान रहे देवी सरन का कहना है कि पिछले कुछ दिनों की काबुल हवाई अड्डे की तस्वीरें उन्हें 22 साल पहले की भयावहता की याद दिलाती हैं.

कप्तान सरन
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Published : Aug 20, 2021, 11:03 PM IST

नई दिल्ली : इंडियन एयरलाइंस की उड़ान आईसी 814 के कप्तान रहे देवी सरन का कहना है कि पिछले कुछ दिनों की काबुल हवाई अड्डे की तस्वीरें उन्हें 22 साल पहले की भयावहता की याद दिलाती हैं. इंडियन एयरलाइंस की उड़ान आईसी 814 को दिसंबर, 1999 में अगवा कर अफगानिस्तान के कंधार ले जाया गया था और उसे पूरे सप्ताह बंधक बनाकर रखा गया था.

कप्तान सरन ने एक साक्षात्कार में कहा, यह ऐसा लग रहा है जैसे मैं 22 साल पीछे चला गया हूं. बीस साल से अधिक समय बीत गया है लेकिन, (आज की) तस्वीरें वैसी ही हैं. सरन ने कहा कि सामने आई विभिन्न तस्वीरों एवं वीडियो में काबुल हवाई अड्डे के अंदर और बाहर लोगों की भारी भीड़ देखी जा सकती है, जो अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर काबिज हुए तालिबान से बचने के लिए रनवे पर विमान में सवार होने के लिए आपाधापी कर रही है. ये तस्वीरें एवं वीडियो (दिसंबर, 1999) नहीं भूलने वाली सर्दी की मायूसी की याद दिला देती हैं.

इंडियन एयरलाइंस की उड़ान आईसी 814 के कप्तान रहे देवी सरन ने याद किए 22 साल पुराने दिन

कप्तान ने कहा, फर्क सिर्फ इतना है कि कंधार में उस वक्त बस हम लोग थे लेकिन, अब आप (काबुल) हवाई अड्डे पर भीड़ देख सकते हैं.लेकिन निश्चित ही वे लोग बाहर आने के लिए आतुर हैं जैसे हम निकलना चाहते थे.आईसी 814 की उड़ान, 179 यात्रियों एवं चालक दल के 11 सदस्यों को लेकर 24 दिसंबर, 1999 को काठमांडू से नई दिल्ली आ रही थी लेकिन, उसे पाकिस्तानी आतंकवादियो ने अगवा कर लिया और वे उसे तालिबान के नियंत्रण वाले कंधार ले गये.

इसे भी पढ़ेें-अमेरिका ने अफगानिस्तान मिशन में अरबों डॉलर खर्च किए, जानिए उसने 20 साल में कितने गंवाए ?

सरन उस समय आईसी 814 उड़ान के कप्तान, राजिंद्र कुमार प्रथम अधिकारी एवं अनिल कुमार जग्गिया फ्लाइट इंजीनियर थे. अपहर्ताओं ने रूपन कत्याल नामक एक यात्री को मार डाला था और वे बंधकों को छोडने के बदले में 31 दिसंबर 1999 को भारतीय जेलों में बंद आतंकवादियों मसूद अजहर अल्वी, सैयद उमर शेख और मुश्ताक अहमद जरगर को रिहा कराने में कामयाब हो गये थे.

सरन ने कहा 24 दिसंबर, 1999 को अपहर्ताओं ने आईसी 814 को पहले लाहौर ले जाने को कहा और पाकिस्तान द्वारा उड़ान को उतरने नहीं देने के बाद, विमान को अमृतसर लाया गया फिर उसे लाहौर ले जाया गया और इस बार लाहौर हवाई अड्डे ने आखिरी घड़ी में उसे उतरने दिया. बाद में विमान को लाहौर से दुबई ले जाया गया जहां से फिर उसे कंधार ले जाया गया.

सरन ने कहा कि वह पिछले साल एयर इंडिया से सेवानिवृत हो गये है. इंडियन एयरलाइंस का 2007 में एयर इंडिया में विलय हो गया था.उन्होंने बताया कि जग्गिया सात आठ साल पहले चल बसे जबकि कुमार अब भी एयर इंडिया में हैं.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : इंडियन एयरलाइंस की उड़ान आईसी 814 के कप्तान रहे देवी सरन का कहना है कि पिछले कुछ दिनों की काबुल हवाई अड्डे की तस्वीरें उन्हें 22 साल पहले की भयावहता की याद दिलाती हैं. इंडियन एयरलाइंस की उड़ान आईसी 814 को दिसंबर, 1999 में अगवा कर अफगानिस्तान के कंधार ले जाया गया था और उसे पूरे सप्ताह बंधक बनाकर रखा गया था.

कप्तान सरन ने एक साक्षात्कार में कहा, यह ऐसा लग रहा है जैसे मैं 22 साल पीछे चला गया हूं. बीस साल से अधिक समय बीत गया है लेकिन, (आज की) तस्वीरें वैसी ही हैं. सरन ने कहा कि सामने आई विभिन्न तस्वीरों एवं वीडियो में काबुल हवाई अड्डे के अंदर और बाहर लोगों की भारी भीड़ देखी जा सकती है, जो अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर काबिज हुए तालिबान से बचने के लिए रनवे पर विमान में सवार होने के लिए आपाधापी कर रही है. ये तस्वीरें एवं वीडियो (दिसंबर, 1999) नहीं भूलने वाली सर्दी की मायूसी की याद दिला देती हैं.

इंडियन एयरलाइंस की उड़ान आईसी 814 के कप्तान रहे देवी सरन ने याद किए 22 साल पुराने दिन

कप्तान ने कहा, फर्क सिर्फ इतना है कि कंधार में उस वक्त बस हम लोग थे लेकिन, अब आप (काबुल) हवाई अड्डे पर भीड़ देख सकते हैं.लेकिन निश्चित ही वे लोग बाहर आने के लिए आतुर हैं जैसे हम निकलना चाहते थे.आईसी 814 की उड़ान, 179 यात्रियों एवं चालक दल के 11 सदस्यों को लेकर 24 दिसंबर, 1999 को काठमांडू से नई दिल्ली आ रही थी लेकिन, उसे पाकिस्तानी आतंकवादियो ने अगवा कर लिया और वे उसे तालिबान के नियंत्रण वाले कंधार ले गये.

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सरन उस समय आईसी 814 उड़ान के कप्तान, राजिंद्र कुमार प्रथम अधिकारी एवं अनिल कुमार जग्गिया फ्लाइट इंजीनियर थे. अपहर्ताओं ने रूपन कत्याल नामक एक यात्री को मार डाला था और वे बंधकों को छोडने के बदले में 31 दिसंबर 1999 को भारतीय जेलों में बंद आतंकवादियों मसूद अजहर अल्वी, सैयद उमर शेख और मुश्ताक अहमद जरगर को रिहा कराने में कामयाब हो गये थे.

सरन ने कहा 24 दिसंबर, 1999 को अपहर्ताओं ने आईसी 814 को पहले लाहौर ले जाने को कहा और पाकिस्तान द्वारा उड़ान को उतरने नहीं देने के बाद, विमान को अमृतसर लाया गया फिर उसे लाहौर ले जाया गया और इस बार लाहौर हवाई अड्डे ने आखिरी घड़ी में उसे उतरने दिया. बाद में विमान को लाहौर से दुबई ले जाया गया जहां से फिर उसे कंधार ले जाया गया.

सरन ने कहा कि वह पिछले साल एयर इंडिया से सेवानिवृत हो गये है. इंडियन एयरलाइंस का 2007 में एयर इंडिया में विलय हो गया था.उन्होंने बताया कि जग्गिया सात आठ साल पहले चल बसे जबकि कुमार अब भी एयर इंडिया में हैं.

(पीटीआई-भाषा)

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