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पड़ताल ... आंध्र प्रदेश में हजारों करोड़ की जमीन पर सीएम एंड कंपनी का कब्जा - इंदु प्रोजेक्ट आंध्र प्रदेश

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन रेड्डी और उनके नजदीकी 2500 करोड़ रु. की जमीन को मात्र 500 करोड़ में खरीद कर बड़े घोटाले को अंजाम दे रहे हैं. इस सौदेबाजी में बैंकों की भूमिका संदिग्ध है. पूरा मामला इंदु प्रोजेक्ट से जुड़ा है. इस प्रोजेक्ट के पास लेपाक्षी नॉलेज हब जैसी कीमती जमीन है. रिपोर्ट के अनुसार इसे हथियाने का प्रयास हो रहा है. बेंगलुरु से हैदराबाद रूट पर आंध्र प्रदेश की सीमा से शुरू होकर सड़क के दोनों ओर 18 किमी के रेंज में लेपाक्षी जमीन है. इस सीमा से कर्नाटक की ओर 65 किमी की दूरी पर बेंगलुरु इंटरनेशनल एयरपोर्ट स्थित है. रियल स्टेट कंपनी के प्वाइंट से आप इस जमीन के कॉमर्शियल वैल्यू का अंदाजा लगा सकते हैं. पढ़ें पूरी रिपोर्ट. indu project.

cm jagan reddy
सीएम जगन रेड्डी
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Published : Aug 23, 2022, 8:08 PM IST

अमरावती : कभी लेपाक्षी नॉलेज हब के नाम पर लूट मचाने वाले मुख्यमंत्री जगन एंड कंपनी एक बार फिर से इंदु प्रोजेक्ट को दिवालिया घोषित कर उससे पैसा बनाने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने अलग-अलग बैंकों में इंदु परियोजनाओं द्वारा गिरवी रखी गई सबसे मूल्यवान लेपाक्षी नॉलेज हब भूमि को लूटने की योजना बनाई है. इस प्रोजेक्ट के नाम पर उन्होंने 2,500 करोड़ रुपये की जमीन 500 करोड़ रुपये के मामूली भुगतान पर खरीदी. अब सवाल ये है कि बैंक 4,531 करोड़ रुपये के कर्ज के लिए 2,500 करोड़ रुपये की जमीन इतनी कम कीमत पर देने को तैयार क्यों हैं ? पूरी प्रक्रिया में राज्य सरकार की क्या भूमिका है ? इंदु प्रोजेक्ट्स के दिवालियेपन की प्रक्रिया पर नजर डालें तो हर कदम पर कितनी अनियमितताएं हैं इसे आप समझ सकते हैं. indu project.

वाईएस राजशेखर रेड्डी जब संयुक्त आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने अनंतपुर जिले में हजारों एकड़ जमीन लेपाक्षी नॉलेज हब के नाम पर अपने दोस्तों को दिलाई थी. यहां तक की सीबीआई ने भी अपनी जांच में यह पाया कि पूरा लेनदेन वाईएस राजशेखर रेड्डी के बेटे वाईएसआर के इशारे पर हुआ. इंदु प्रोजेक्ट्स मूलतः श्यामा प्रसाद रेड्डी की कंपनी थी. कुछ साल पहले इंदु प्रोजेक्ट्स दिवालिया हो गई. वह कर्ज में डूबी हुई थी. मार्च 2019 की रिपोर्ट के अनुसार कंपनी पर अलग-अलग बैंकों और वित्तीय संस्थानों के 4531.44 करोड़ रु. का कर्ज था. नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल हैदराबाद ने दिवाला समाधान प्रक्रिया शुरू की. पूरी प्रक्रिया में ट्रिब्यूनल ने कर्ज की राशि 4138.54 करोड़ रु. को अंतिम राशि माना. लेनदारों की समिति ने इस राशि को माफ करने के लिए के रामचंद्र राव ट्रांसमिशन एंड प्रोजेक्ट्स के साथ 500 करोड़ रुपये का भुगतान करने के लिए अर्थिन प्रोजेक्ट्स के प्रस्ताव पर सहमति व्यक्त की. लॉ ट्रिब्यूनल ने अपनी मंजूरी प्रदान कर दी.

स्वामित्व परिवर्तन के बाद किए जाने वाले कार्यों के लिए कंपनी को कार्यशील पूंजी के रूप में अतिरिक्त 40 करोड़ रुपये देने होंगे. यहां तक ​​कि इस अतिरिक्त राशि का उपयोग अर्थिन कंसोर्टियम द्वारा बैंकों को भुगतान किए बिना किया जाएगा. दिवालियापन की कार्यवाही के लिए 1 करोड़ रु. का अतिरिक्त भुगतान करना होगा. अर्थिन कंसोर्टियम को मात्र 500 करोड़ रु. का भुगतान करना होगा. और इन्हें बैंक के पास गिरवी रखी सारी जमीनों पर मालिकाना हक मिल जाएगा. लेपाक्षी नॉलेज हब के पास अनंतपुर जिले में 4,191 एकड़ जमीन के साथ-साथ हैदराबाद में कई और कीमती संपत्तियां हैं.

बेंगलुरु से हैदराबाद रूट पर आंध्र प्रदेश की सीमा से शुरू होकर सड़क के दोनों ओर 18 किमी के रेंज में लेपाक्षी जमीन है. इस सीमा से कर्नाटक की ओर 65 किमी की दूरी पर बेंगलुरु इंटरनेशनल एयरपोर्ट स्थित है. रियल स्टेट कंपनी के प्वाइंट से आप इस जमीन के कॉमर्शियल वैल्यू का अंदाजा लगा सकते हैं.

सीबीआई ने 2013 में लेपाक्षी भूमि घोटाले पर चार्जशीट फाइल की थी. उस समय इसकी कीमत 1326.60 करोड़ बताई गई थी. कुल जमीन 8844 करोड़ थी. वर्तमान दिवालियापन प्रक्रिया के अनुसार, 4,191 एकड़ का मूल्य, जो अर्थिन प्रोजेक्ट्स के स्वामित्व में जाएगा, 2013 के अनुमान के अनुसार 628.65 करोड़ रुपये हैं. इस बीच इन नौ वर्षों में यहां बड़ा बदलाव भी आया है. हैदराबाद की ओर आंध्र सीमा से 25 किमी की दूरी पर किया कार ने अपना यूनिट स्थापित किया है. उससे जुड़ी कई कंपनियों ने वहां पर अपने यूनिट खोले हैं. जाहिर है, ऐसे में इस जमीन की कीमत कई गुणा बढ़ गई है. लेपाक्षी नॉलेज हब की परिधि वाले इलाके में जमीन की कीमत एक करोड़ तक पहुंच चुकी है. अंदरूनी इलाके भी 40 लाख रुपये से ऊपर के भाव हैं.

बैंकों में इंदु के जमानतदारों में से 5 एकड़ जमीन हैदराबाद के दुर्गम चेरुवु में वीके प्रोजेक्ट्स की है. सिंधुरा और एस्टिवा कंपनियों के पास मियापुर में 11.3 एकड़, शमीरपेट में सुंदरी कंपनी के नाम पर 35 एकड़, कुकटपल्ली में इंदु फॉर्च्यून फील्ड्स में 2,595.69 यार्ड क्लब हाउस, साइबराबाद हाई-टेक इंटीग्रेटेड टाउनशिप डेवलपमेंट कॉरपोरेशन प्राइवेट लिमिटेड में शेयर हैं. इनमें से सिर्फ दुर्गम चेरुवु के पांच एकड़ जमीन की कीमत 400 करोड़ रुपये है. मियापुर के जमीन की कीमत 200 करोड़ अनुमानित है. शमीरपेट के जमीन की कीमत भी 200 करोड़ रुपये के आसपास है. संबंधित शेयरों की कीमत बढ़ चुकी है. यह अपने आप में चौंकाने वाली बात है कि बैंक मात्र 477 करोड़ रुपये लेकर सारी जमीन छोड़ने के लिए तैयार है. अलग एक आदमी समय पर होम लोन नहीं चुका पाता है, तो उसके बारे में न्यूजपेपर में घोषणा की जाती है. उसके बाद संपत्ति की नीलामी को लेकर डेट तय होता है. यदि इंदु के मामले में नीलामी की समान प्रक्रिया का पालन किया जाता है, तो बैंकों द्वारा दिए गए ब्याज और ऋण पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. हालांकि, बैंकों को खुद पता होना चाहिए कि उन्होंने वह रास्ता क्यों नहीं अपनाया.

इंदु प्रोजेक्ट पर कुल कर्ज

एसबीआई - 996.2 करोड़

आईडीबीआई - 803.1 करोड़

एडलवाइस एसेट रिकंस्ट्रक्शन - 451.46 करोड़

बैंक ऑफ इंडिया - 339.91 करोड़

सिंडिकेट बैंक - 217.18 करोड़

पीएनबी - 223.33 करोड़

केनरा बैंक - 196.7 करोड़

इंडियन ओवरसीज बैंक - 243.87 करोड़

यूको बैंक -193.77 करोड़

सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया - 125.32 करोड़

आंध्र बैंक - 151.65 करोड़

आरईआई - 246.98 करोड़

कुल - 4189.95 करोड़

ऑपरेशनल खर्च- 291.34 करोड़

जिन बैंकों ने इतनी बड़ी राशि लोन के रूप में दी है, वे मात्र 500 करोड़ रुपये में संतोष कर लेंगे. उनमें से 23 करोड़ रुपये प्रक्रिया पर ही खर्च हो जाएंगे. इसलिए वास्तविक राशि मात्र 477 करोड़ रुपया ही बचेगा. यह बताता है कि दिवालियेपन की प्रक्रिया में बैंकों को कितना नुकसान हो रहा है. ऐसा लगता है कि बैंक ने इन सारे फैक्टर्स पर विचार ही नहीं किया. और सबसे बड़ी बात ये है कि इनसे जिन कंपनियों को फायदा मिल रहा है, वह आंध्र प्रदेश के वर्तमान सीएम जगन के परिवार वाले हैं.

जगन का संबंध रविंद्रनाथ रेड्डी से है. वह नरेन रामानुज रेड्डी के बेटे हैं. रामानुज ने अर्थिन के निदेशक के रुप में ज्वाइन किया था. और वह जगन की मां विजयम्मा के छोटे भाई हैं. जब जगन सीएम बने थे, तब उन्होंने रविंद्रनाथ रेड्डी को जगती पब्लिकेशंस निदेशक बनाया. यह साक्षी मीडिया की पैरेंट कंपनी है. अब उनके बेटे अर्थिन के निदेशक बने हैं. और वह इसके जरिए लेपाक्षी की जमीन पर कब्जा जमाने की फिराक में हैं.

अर्थिन प्रोजेक्ट्स तो एक सामान्य कंपनी है. मार्च 2021 की रिपोर्ट के अनुसार कंपनी के पास 4.49 करोड़ की संपत्ति है, जबकि बिजनेस एक्टिविटी मात्र 21.92 करोड़ का है. ऐसी कंपनी के दिवालियेपन की प्रक्रिया में भागीदार बनने के पीछे बड़ों के प्रोत्साहन और समर्थन के स्तर को समझना इतना मुश्किल नहीं है. प्रदेश में अजीबोगरीब स्थिति है जहां लेपाक्षी नॉलेज हब घोटाले का आरोपी राज्य का ही मुख्यमंत्री है. लेपाक्षी की जमीन एक निजी कंपनी को ट्रांसफर की गईं, न कि सरकार को. सुनियोजित तरीके से मुख्यमंत्री ने अपने संबंधी के बेटे को कंपनी का निदेशक बनाया. यह बहुत ही अफसोस की बात है कि जिनके ऊपर जनता की संपत्ति की रक्षा करने का जिम्मा है, आज वही अपनी जबावदेही की तिलांजलि दे रहे हैं.

अमरावती : कभी लेपाक्षी नॉलेज हब के नाम पर लूट मचाने वाले मुख्यमंत्री जगन एंड कंपनी एक बार फिर से इंदु प्रोजेक्ट को दिवालिया घोषित कर उससे पैसा बनाने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने अलग-अलग बैंकों में इंदु परियोजनाओं द्वारा गिरवी रखी गई सबसे मूल्यवान लेपाक्षी नॉलेज हब भूमि को लूटने की योजना बनाई है. इस प्रोजेक्ट के नाम पर उन्होंने 2,500 करोड़ रुपये की जमीन 500 करोड़ रुपये के मामूली भुगतान पर खरीदी. अब सवाल ये है कि बैंक 4,531 करोड़ रुपये के कर्ज के लिए 2,500 करोड़ रुपये की जमीन इतनी कम कीमत पर देने को तैयार क्यों हैं ? पूरी प्रक्रिया में राज्य सरकार की क्या भूमिका है ? इंदु प्रोजेक्ट्स के दिवालियेपन की प्रक्रिया पर नजर डालें तो हर कदम पर कितनी अनियमितताएं हैं इसे आप समझ सकते हैं. indu project.

वाईएस राजशेखर रेड्डी जब संयुक्त आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने अनंतपुर जिले में हजारों एकड़ जमीन लेपाक्षी नॉलेज हब के नाम पर अपने दोस्तों को दिलाई थी. यहां तक की सीबीआई ने भी अपनी जांच में यह पाया कि पूरा लेनदेन वाईएस राजशेखर रेड्डी के बेटे वाईएसआर के इशारे पर हुआ. इंदु प्रोजेक्ट्स मूलतः श्यामा प्रसाद रेड्डी की कंपनी थी. कुछ साल पहले इंदु प्रोजेक्ट्स दिवालिया हो गई. वह कर्ज में डूबी हुई थी. मार्च 2019 की रिपोर्ट के अनुसार कंपनी पर अलग-अलग बैंकों और वित्तीय संस्थानों के 4531.44 करोड़ रु. का कर्ज था. नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल हैदराबाद ने दिवाला समाधान प्रक्रिया शुरू की. पूरी प्रक्रिया में ट्रिब्यूनल ने कर्ज की राशि 4138.54 करोड़ रु. को अंतिम राशि माना. लेनदारों की समिति ने इस राशि को माफ करने के लिए के रामचंद्र राव ट्रांसमिशन एंड प्रोजेक्ट्स के साथ 500 करोड़ रुपये का भुगतान करने के लिए अर्थिन प्रोजेक्ट्स के प्रस्ताव पर सहमति व्यक्त की. लॉ ट्रिब्यूनल ने अपनी मंजूरी प्रदान कर दी.

स्वामित्व परिवर्तन के बाद किए जाने वाले कार्यों के लिए कंपनी को कार्यशील पूंजी के रूप में अतिरिक्त 40 करोड़ रुपये देने होंगे. यहां तक ​​कि इस अतिरिक्त राशि का उपयोग अर्थिन कंसोर्टियम द्वारा बैंकों को भुगतान किए बिना किया जाएगा. दिवालियापन की कार्यवाही के लिए 1 करोड़ रु. का अतिरिक्त भुगतान करना होगा. अर्थिन कंसोर्टियम को मात्र 500 करोड़ रु. का भुगतान करना होगा. और इन्हें बैंक के पास गिरवी रखी सारी जमीनों पर मालिकाना हक मिल जाएगा. लेपाक्षी नॉलेज हब के पास अनंतपुर जिले में 4,191 एकड़ जमीन के साथ-साथ हैदराबाद में कई और कीमती संपत्तियां हैं.

बेंगलुरु से हैदराबाद रूट पर आंध्र प्रदेश की सीमा से शुरू होकर सड़क के दोनों ओर 18 किमी के रेंज में लेपाक्षी जमीन है. इस सीमा से कर्नाटक की ओर 65 किमी की दूरी पर बेंगलुरु इंटरनेशनल एयरपोर्ट स्थित है. रियल स्टेट कंपनी के प्वाइंट से आप इस जमीन के कॉमर्शियल वैल्यू का अंदाजा लगा सकते हैं.

सीबीआई ने 2013 में लेपाक्षी भूमि घोटाले पर चार्जशीट फाइल की थी. उस समय इसकी कीमत 1326.60 करोड़ बताई गई थी. कुल जमीन 8844 करोड़ थी. वर्तमान दिवालियापन प्रक्रिया के अनुसार, 4,191 एकड़ का मूल्य, जो अर्थिन प्रोजेक्ट्स के स्वामित्व में जाएगा, 2013 के अनुमान के अनुसार 628.65 करोड़ रुपये हैं. इस बीच इन नौ वर्षों में यहां बड़ा बदलाव भी आया है. हैदराबाद की ओर आंध्र सीमा से 25 किमी की दूरी पर किया कार ने अपना यूनिट स्थापित किया है. उससे जुड़ी कई कंपनियों ने वहां पर अपने यूनिट खोले हैं. जाहिर है, ऐसे में इस जमीन की कीमत कई गुणा बढ़ गई है. लेपाक्षी नॉलेज हब की परिधि वाले इलाके में जमीन की कीमत एक करोड़ तक पहुंच चुकी है. अंदरूनी इलाके भी 40 लाख रुपये से ऊपर के भाव हैं.

बैंकों में इंदु के जमानतदारों में से 5 एकड़ जमीन हैदराबाद के दुर्गम चेरुवु में वीके प्रोजेक्ट्स की है. सिंधुरा और एस्टिवा कंपनियों के पास मियापुर में 11.3 एकड़, शमीरपेट में सुंदरी कंपनी के नाम पर 35 एकड़, कुकटपल्ली में इंदु फॉर्च्यून फील्ड्स में 2,595.69 यार्ड क्लब हाउस, साइबराबाद हाई-टेक इंटीग्रेटेड टाउनशिप डेवलपमेंट कॉरपोरेशन प्राइवेट लिमिटेड में शेयर हैं. इनमें से सिर्फ दुर्गम चेरुवु के पांच एकड़ जमीन की कीमत 400 करोड़ रुपये है. मियापुर के जमीन की कीमत 200 करोड़ अनुमानित है. शमीरपेट के जमीन की कीमत भी 200 करोड़ रुपये के आसपास है. संबंधित शेयरों की कीमत बढ़ चुकी है. यह अपने आप में चौंकाने वाली बात है कि बैंक मात्र 477 करोड़ रुपये लेकर सारी जमीन छोड़ने के लिए तैयार है. अलग एक आदमी समय पर होम लोन नहीं चुका पाता है, तो उसके बारे में न्यूजपेपर में घोषणा की जाती है. उसके बाद संपत्ति की नीलामी को लेकर डेट तय होता है. यदि इंदु के मामले में नीलामी की समान प्रक्रिया का पालन किया जाता है, तो बैंकों द्वारा दिए गए ब्याज और ऋण पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. हालांकि, बैंकों को खुद पता होना चाहिए कि उन्होंने वह रास्ता क्यों नहीं अपनाया.

इंदु प्रोजेक्ट पर कुल कर्ज

एसबीआई - 996.2 करोड़

आईडीबीआई - 803.1 करोड़

एडलवाइस एसेट रिकंस्ट्रक्शन - 451.46 करोड़

बैंक ऑफ इंडिया - 339.91 करोड़

सिंडिकेट बैंक - 217.18 करोड़

पीएनबी - 223.33 करोड़

केनरा बैंक - 196.7 करोड़

इंडियन ओवरसीज बैंक - 243.87 करोड़

यूको बैंक -193.77 करोड़

सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया - 125.32 करोड़

आंध्र बैंक - 151.65 करोड़

आरईआई - 246.98 करोड़

कुल - 4189.95 करोड़

ऑपरेशनल खर्च- 291.34 करोड़

जिन बैंकों ने इतनी बड़ी राशि लोन के रूप में दी है, वे मात्र 500 करोड़ रुपये में संतोष कर लेंगे. उनमें से 23 करोड़ रुपये प्रक्रिया पर ही खर्च हो जाएंगे. इसलिए वास्तविक राशि मात्र 477 करोड़ रुपया ही बचेगा. यह बताता है कि दिवालियेपन की प्रक्रिया में बैंकों को कितना नुकसान हो रहा है. ऐसा लगता है कि बैंक ने इन सारे फैक्टर्स पर विचार ही नहीं किया. और सबसे बड़ी बात ये है कि इनसे जिन कंपनियों को फायदा मिल रहा है, वह आंध्र प्रदेश के वर्तमान सीएम जगन के परिवार वाले हैं.

जगन का संबंध रविंद्रनाथ रेड्डी से है. वह नरेन रामानुज रेड्डी के बेटे हैं. रामानुज ने अर्थिन के निदेशक के रुप में ज्वाइन किया था. और वह जगन की मां विजयम्मा के छोटे भाई हैं. जब जगन सीएम बने थे, तब उन्होंने रविंद्रनाथ रेड्डी को जगती पब्लिकेशंस निदेशक बनाया. यह साक्षी मीडिया की पैरेंट कंपनी है. अब उनके बेटे अर्थिन के निदेशक बने हैं. और वह इसके जरिए लेपाक्षी की जमीन पर कब्जा जमाने की फिराक में हैं.

अर्थिन प्रोजेक्ट्स तो एक सामान्य कंपनी है. मार्च 2021 की रिपोर्ट के अनुसार कंपनी के पास 4.49 करोड़ की संपत्ति है, जबकि बिजनेस एक्टिविटी मात्र 21.92 करोड़ का है. ऐसी कंपनी के दिवालियेपन की प्रक्रिया में भागीदार बनने के पीछे बड़ों के प्रोत्साहन और समर्थन के स्तर को समझना इतना मुश्किल नहीं है. प्रदेश में अजीबोगरीब स्थिति है जहां लेपाक्षी नॉलेज हब घोटाले का आरोपी राज्य का ही मुख्यमंत्री है. लेपाक्षी की जमीन एक निजी कंपनी को ट्रांसफर की गईं, न कि सरकार को. सुनियोजित तरीके से मुख्यमंत्री ने अपने संबंधी के बेटे को कंपनी का निदेशक बनाया. यह बहुत ही अफसोस की बात है कि जिनके ऊपर जनता की संपत्ति की रक्षा करने का जिम्मा है, आज वही अपनी जबावदेही की तिलांजलि दे रहे हैं.

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