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अक्टूबर-नवंबर में चरम पर होगी तीसरी लहर, तीव्रता एक चौथाई रहने की संभावना - आईआईटी कानपुर

भारत में कोविड-19 की तीसरी लहर अक्टूबर और नवंबर के बीच चरम पर हो सकती है. लेकिन इसकी तीव्रता दूसरे चरण की तुलना में काफी कम होगी. महामारी के गणितीय प्रारूपन में शामिल एक वैज्ञानिक ने यह बात सोमवार को कही. आईसीएमआर ने भी ऐसे ही संकेत दिए हैं.

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Published : Aug 30, 2021, 7:10 PM IST

Updated : Aug 30, 2021, 10:33 PM IST

नई दिल्ली : आईआईटी-कानपुर के वैज्ञानिक मणिंद्र अग्रवाल ने कहा कि अगर कोई नया स्वरूप नहीं आता है तो स्थिति में बदलाव की संभावना नहीं है. वह तीन सदस्यीय विशेषज्ञ दल का हिस्सा हैं जिसे संक्रमण में बढ़ोतरी का अनुमान लगाने का कार्य दिया गया है.

अगर तीसरी लहर आती है तो देश में प्रतिदिन एक लाख मामले सामने आएंगे. जबकि मई में दूसरी लहर के चरम पर रहने के दौरान प्रतिदिन चार लाख मामले सामने आ रहे थे. दूसरी लहर में हजारों लोगों की मौत हो गई और कई लाख लोग संक्रमित हो गए थे.

अग्रवाल ने ट्वीट किया कि अगर नया उत्परिवर्तन नहीं होता है तो यथास्थिति बनी रहेगी और सितंबर तक अगर 50 फीसदी ज्यादा संक्रामक उत्परिवर्तन सामने आता है तो नया स्वरूप सामने आएगा. आप देख सकते हैं कि नए स्वरूप से ही तीसरी लहर आएगी और उस स्थिति में नए मामले बढ़कर प्रतिदिन एक लाख हो जाएंगे.

पिछले महीने मॉडल के मुताबिक बताया गया था कि तीसरी लहर अक्टूबर और नवंबर के बीच में चरम पर होगी और रोजाना मामले प्रति दिन डेढ़ लाख से दो लाख के बीच होंगे, अगर सार्स-कोव-2 का ज्यादा संक्रामक उत्परिवर्तन होता है. बहरहाल, डेल्टा से ज्यादा संक्रामक उत्परिवर्तन सामने नहीं आया.

यह भी पढ़ें-कोविड का नया वैरिएंट C.1.2 अधिक संक्रामक, टीका सुरक्षा को भी दे सकता है चकमा : अध्ययन

पिछले हफ्ते का अनुमान भी इसी तरह का था लेकिन नए अनुमान में रोजाना मामलों की संख्या घटाकर एक से डेढ़ लाख की गई है. अग्रवाल ने कहा कि नवीनतम आंकड़ों में जुलाई और अगस्त में हुए टीकाकरण और सीरो सर्वेक्षण को भी शामिल किया गया है.

इधर आईसीएमआर के महामारी विज्ञान एंव संचारी रोगों के प्रमुख डॉ समीरन पांडा ने कहा कि कुछ राज्यों में तीसरी लहर के शुरुआती संकेत हैं. इन राज्यों ने दूसरी लहर के दौरान बहुत गंभीर असर का अनुभव नहीं किया था. जबकि कुछ राज्यों ने सबक लेते हुए बहुत जल्द बंदिशें लगा दीं. इसलिए उनमें ट्रांसमिशन नहीं देखा गया. उन्होंने कहा कि इसके बावजूद अभी घबराने की जरूरत नहीं है.

डॉ पांडा ने कहा कि चौथे नेशनल सीरे सर्वे के अनुसार 50 फीसदी से अधिक बच्चे संक्रमित हो चुके हैं. जिन राज्यों ने अपनी महामारी संबंधी जांच की है और अपने बड़ों को टीका लगा लिया है, वे धीरे-धीरे स्कूल खोल सकते हैं.

(एजेंसी)

नई दिल्ली : आईआईटी-कानपुर के वैज्ञानिक मणिंद्र अग्रवाल ने कहा कि अगर कोई नया स्वरूप नहीं आता है तो स्थिति में बदलाव की संभावना नहीं है. वह तीन सदस्यीय विशेषज्ञ दल का हिस्सा हैं जिसे संक्रमण में बढ़ोतरी का अनुमान लगाने का कार्य दिया गया है.

अगर तीसरी लहर आती है तो देश में प्रतिदिन एक लाख मामले सामने आएंगे. जबकि मई में दूसरी लहर के चरम पर रहने के दौरान प्रतिदिन चार लाख मामले सामने आ रहे थे. दूसरी लहर में हजारों लोगों की मौत हो गई और कई लाख लोग संक्रमित हो गए थे.

अग्रवाल ने ट्वीट किया कि अगर नया उत्परिवर्तन नहीं होता है तो यथास्थिति बनी रहेगी और सितंबर तक अगर 50 फीसदी ज्यादा संक्रामक उत्परिवर्तन सामने आता है तो नया स्वरूप सामने आएगा. आप देख सकते हैं कि नए स्वरूप से ही तीसरी लहर आएगी और उस स्थिति में नए मामले बढ़कर प्रतिदिन एक लाख हो जाएंगे.

पिछले महीने मॉडल के मुताबिक बताया गया था कि तीसरी लहर अक्टूबर और नवंबर के बीच में चरम पर होगी और रोजाना मामले प्रति दिन डेढ़ लाख से दो लाख के बीच होंगे, अगर सार्स-कोव-2 का ज्यादा संक्रामक उत्परिवर्तन होता है. बहरहाल, डेल्टा से ज्यादा संक्रामक उत्परिवर्तन सामने नहीं आया.

यह भी पढ़ें-कोविड का नया वैरिएंट C.1.2 अधिक संक्रामक, टीका सुरक्षा को भी दे सकता है चकमा : अध्ययन

पिछले हफ्ते का अनुमान भी इसी तरह का था लेकिन नए अनुमान में रोजाना मामलों की संख्या घटाकर एक से डेढ़ लाख की गई है. अग्रवाल ने कहा कि नवीनतम आंकड़ों में जुलाई और अगस्त में हुए टीकाकरण और सीरो सर्वेक्षण को भी शामिल किया गया है.

इधर आईसीएमआर के महामारी विज्ञान एंव संचारी रोगों के प्रमुख डॉ समीरन पांडा ने कहा कि कुछ राज्यों में तीसरी लहर के शुरुआती संकेत हैं. इन राज्यों ने दूसरी लहर के दौरान बहुत गंभीर असर का अनुभव नहीं किया था. जबकि कुछ राज्यों ने सबक लेते हुए बहुत जल्द बंदिशें लगा दीं. इसलिए उनमें ट्रांसमिशन नहीं देखा गया. उन्होंने कहा कि इसके बावजूद अभी घबराने की जरूरत नहीं है.

डॉ पांडा ने कहा कि चौथे नेशनल सीरे सर्वे के अनुसार 50 फीसदी से अधिक बच्चे संक्रमित हो चुके हैं. जिन राज्यों ने अपनी महामारी संबंधी जांच की है और अपने बड़ों को टीका लगा लिया है, वे धीरे-धीरे स्कूल खोल सकते हैं.

(एजेंसी)

Last Updated : Aug 30, 2021, 10:33 PM IST
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