ETV Bharat / bharat

Sonia On Women's Reservation Bill: महिला आरक्षण विधेयक पर सोनिया ने कहा- 'यह अपना है' - सोनिया बोलीं विधेयक हमारा है

कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने महिला आरक्षण विधेयक को लेकर हो रही चर्चा के बीच आज कहा कि यह उनका बिल है. संप्रग की सरकार के समय वर्ष 2010 में महिला आरक्षण विधेयक राज्यसभा से पारित हुआ था. उस समय वह संप्रग की अध्यक्ष थीं और मनमोहन सिंह देश के प्रधानमंत्री थे.

Sonia Gandhi comments On Womens Reservation Bill This is ours
महिला आरक्षण विधेयक पर सोनिया ने कहा- 'यह अपना है'
author img

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 19, 2023, 11:33 AM IST

Updated : Sep 19, 2023, 3:19 PM IST

नई दिल्ली: कांग्रेस संसदीय दल (सीपीपी) की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मंगलवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा लंबे समय से प्रतीक्षित महिला आरक्षण विधेयक को मंजूरी दिए जाने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, 'यह हमारा है.' मंगलवार सुबह संसद पहुंचने के बाद सोनिया गांधी का तीखा जवाब आया. जब उनसे महिला आरक्षण विधेयक दोबारा संसद में लाए जाने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, 'यह हमारा है, अपना है.'

उनकी टिप्पणी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा संसद और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं को आरक्षण प्रदान करने के लिए संविधान संशोधन विधेयक को मंजूरी देने के एक दिन बाद आई है, इससेे संसद के चल रहे विशेष सत्र में ऐतिहासिक विधेयक पेश करने का मार्ग प्रशस्त हो गया है. कांग्रेस ने हाल ही में संपन्न दो दिवसीय कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक में पार्टी की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था ने अपने प्रस्ताव में महिला आरक्षण विधेयक को संसद के विशेष सत्र में पारित करने की मांग की थी.

सोमवार को कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, एनसीपी नेता सुप्रिया सुले, लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने विशेष सत्र में विधेयक पारित करने की मांग की. महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने का विधेयक सबसे पहले 1996 में एच.डी. देवगौड़ा सरकार द्वारा पेश किया गया था.

ये भी पढ़ें- Parliament special session LIVE : आज लोकसभा पेश होगा महिला आरक्षण बिल

कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार ने 2008 में इस कानून को फिर से पेश किया।रूप में जाना जाता है. यह कानून 2010 में राज्यसभा द्वारा पारित किया गया था, लेकिन यह लोकसभा में पारित नहीं हो सका और 2014 में इसके विघटन के बाद यह समाप्त हो गया.

कांग्रेस ने 2010 में महिला आरक्षण विधेयक राज्यसभा में पारित किया था : गिरीश चोडनकर

वहीं सीडब्ल्यूसी सदस्यों ने कहा कि लंबे समय से हम हमेशा महिला आरक्षण विधेयक को पारित करने की मांग करते रहे हैं क्योंकि हमने ही इसे 2010 में राज्यसभा में पारित किया था. इस बारे में कांग्रेस कार्यसमिति के स्थायी सदस्य गिरीश चोडनकर ने कहा कि सोनिया जी हमेशा कानून का समर्थन करती थीं और चाहती थीं कि संसद के विशेष सत्र के दौरान विधेयक को पारित करने की मांग करते हुए सीडब्ल्यूसी प्रस्ताव पारित किया जाए. हमें लगा कि सरकार बिल का श्रेय लेना चाहती है और इसलिए विशेष सत्र शुरू होने से एक दिन पहले 17 सितंबर को सीडब्ल्यूसी में एक प्रस्ताव पारित किया.

सीडब्ल्यूसी सदस्य ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने प्रमुख विधेयक पर कुछ नहीं किया और 2024 के लोकसभा चुनाव से कुछ महीने पहले इसे आगे बढ़ा रही है क्योंकि उसे विपक्षी गठबंधन इंडिया का डर है. चोडनकर ने कहा कि भाजपा लगभग 10 वर्षों से केंद्र में सत्ता में है. उन्होंने महिला आरक्षण विधेयक के बारे में कभी नहीं सोचा. यह अचानक जल्दबाजी उनकी विफलताओं को छिपाने और विपक्षी गठबंधन भारत का मुकाबला करने के लिए है जो उन्हें 2024 के राष्ट्रीय चुनावों में हरा देगा.

कांग्रेस ने विधेयक को राज्यसभा में पारित कर दिया, लेकिन इसे लोकसभा के माध्यम से पारित नहीं कर सकी, जहां हम अपने सहयोगियों पर निर्भर थे. लेकिन हमारा नेतृत्व हमेशा इस विधेयक के प्रति प्रतिबद्ध रहा. 2014 के बाद से भाजपा के पास लोकसभा में प्रचंड बहुमत है, लेकिन उन्होंने कभी भी महिला आरक्षण विधेयक को आगे बढ़ाने की जहमत नहीं उठाई क्योंकि इस कानून पर उनके बीच आंतरिक मतभेद थे. अब वे एक अलग छवि पेश करने की कोशिश कर रहे हैं.

सीडब्ल्यूसी सदस्य रजनी पाटिल और कुमारी शैलजा ने कहा कि वे केवल महिला सशक्तिकरण के बारे में बात करते हैं. वे 9 साल तक इंतजार क्यों कर रहे थे. गोवा इकाई के पूर्व प्रमुख चोडनकर के अनुसार कांग्रेस के रणनीतिकारों ने महिला आरक्षण विधेयक पर भाजपा के प्रचार का मुकाबला करने के लिए एक योजना तैयार की थी और सीडब्ल्यूसी द्वारा प्रस्ताव पारित करने के तुरंत बाद इस मुद्दे पर एक सोशल मीडिया अभियान शुरू किया था. उन्होंने कहा कि पहले कांग्रेस के सोशल मीडिया में ताकत की कमी थी. लेकिन पिछले कुछ सालों में सोशल मीडिया टीम काफी मजबूत हो गई है और बीजेपी के एजेंडे का आक्रामक तरीके से मुकाबला कर रही है.

सीडब्ल्यूसी के प्रस्ताव के तुरंत बाद, सोशल मीडिया टीमों ने इस तरह के तथ्यों को ट्रेंड करना शुरू कर दिया कि कैसे पूर्व प्रधान मंत्री राजीव गांधी ने महिलाओं को सशक्त बनाने की बात की और कैसे सोनियाजी, राहुलजी और प्रियंकाजी ने पिछले वर्षों में लगातार कानून का समर्थन किया. चोडनकर ने कहा कि इस मुद्दे पर सोनियाजी और राहुल के प्रधान मंत्री को लिखे पत्र और विभिन्न बातचीत में बिल को उनके समर्थन को सोशल मीडिया पर पोस्ट किया गया और ट्रेंड किया गया. उन्होंने कहा कि अगर भाजपा विधेयक का श्रेय लेने की कोशिश करती है, तो हम लोगों को बताएंगे कि हमारे नेता हमेशा महिलाओं को सशक्त बनाने के पक्ष में थे और कांग्रेस के दबाव ने सरकार पर कैसे काम किया.

(एक्सट्रा इनपुट एजेंसी)

नई दिल्ली: कांग्रेस संसदीय दल (सीपीपी) की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मंगलवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा लंबे समय से प्रतीक्षित महिला आरक्षण विधेयक को मंजूरी दिए जाने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, 'यह हमारा है.' मंगलवार सुबह संसद पहुंचने के बाद सोनिया गांधी का तीखा जवाब आया. जब उनसे महिला आरक्षण विधेयक दोबारा संसद में लाए जाने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, 'यह हमारा है, अपना है.'

उनकी टिप्पणी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा संसद और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं को आरक्षण प्रदान करने के लिए संविधान संशोधन विधेयक को मंजूरी देने के एक दिन बाद आई है, इससेे संसद के चल रहे विशेष सत्र में ऐतिहासिक विधेयक पेश करने का मार्ग प्रशस्त हो गया है. कांग्रेस ने हाल ही में संपन्न दो दिवसीय कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक में पार्टी की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था ने अपने प्रस्ताव में महिला आरक्षण विधेयक को संसद के विशेष सत्र में पारित करने की मांग की थी.

सोमवार को कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, एनसीपी नेता सुप्रिया सुले, लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने विशेष सत्र में विधेयक पारित करने की मांग की. महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने का विधेयक सबसे पहले 1996 में एच.डी. देवगौड़ा सरकार द्वारा पेश किया गया था.

ये भी पढ़ें- Parliament special session LIVE : आज लोकसभा पेश होगा महिला आरक्षण बिल

कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार ने 2008 में इस कानून को फिर से पेश किया।रूप में जाना जाता है. यह कानून 2010 में राज्यसभा द्वारा पारित किया गया था, लेकिन यह लोकसभा में पारित नहीं हो सका और 2014 में इसके विघटन के बाद यह समाप्त हो गया.

कांग्रेस ने 2010 में महिला आरक्षण विधेयक राज्यसभा में पारित किया था : गिरीश चोडनकर

वहीं सीडब्ल्यूसी सदस्यों ने कहा कि लंबे समय से हम हमेशा महिला आरक्षण विधेयक को पारित करने की मांग करते रहे हैं क्योंकि हमने ही इसे 2010 में राज्यसभा में पारित किया था. इस बारे में कांग्रेस कार्यसमिति के स्थायी सदस्य गिरीश चोडनकर ने कहा कि सोनिया जी हमेशा कानून का समर्थन करती थीं और चाहती थीं कि संसद के विशेष सत्र के दौरान विधेयक को पारित करने की मांग करते हुए सीडब्ल्यूसी प्रस्ताव पारित किया जाए. हमें लगा कि सरकार बिल का श्रेय लेना चाहती है और इसलिए विशेष सत्र शुरू होने से एक दिन पहले 17 सितंबर को सीडब्ल्यूसी में एक प्रस्ताव पारित किया.

सीडब्ल्यूसी सदस्य ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने प्रमुख विधेयक पर कुछ नहीं किया और 2024 के लोकसभा चुनाव से कुछ महीने पहले इसे आगे बढ़ा रही है क्योंकि उसे विपक्षी गठबंधन इंडिया का डर है. चोडनकर ने कहा कि भाजपा लगभग 10 वर्षों से केंद्र में सत्ता में है. उन्होंने महिला आरक्षण विधेयक के बारे में कभी नहीं सोचा. यह अचानक जल्दबाजी उनकी विफलताओं को छिपाने और विपक्षी गठबंधन भारत का मुकाबला करने के लिए है जो उन्हें 2024 के राष्ट्रीय चुनावों में हरा देगा.

कांग्रेस ने विधेयक को राज्यसभा में पारित कर दिया, लेकिन इसे लोकसभा के माध्यम से पारित नहीं कर सकी, जहां हम अपने सहयोगियों पर निर्भर थे. लेकिन हमारा नेतृत्व हमेशा इस विधेयक के प्रति प्रतिबद्ध रहा. 2014 के बाद से भाजपा के पास लोकसभा में प्रचंड बहुमत है, लेकिन उन्होंने कभी भी महिला आरक्षण विधेयक को आगे बढ़ाने की जहमत नहीं उठाई क्योंकि इस कानून पर उनके बीच आंतरिक मतभेद थे. अब वे एक अलग छवि पेश करने की कोशिश कर रहे हैं.

सीडब्ल्यूसी सदस्य रजनी पाटिल और कुमारी शैलजा ने कहा कि वे केवल महिला सशक्तिकरण के बारे में बात करते हैं. वे 9 साल तक इंतजार क्यों कर रहे थे. गोवा इकाई के पूर्व प्रमुख चोडनकर के अनुसार कांग्रेस के रणनीतिकारों ने महिला आरक्षण विधेयक पर भाजपा के प्रचार का मुकाबला करने के लिए एक योजना तैयार की थी और सीडब्ल्यूसी द्वारा प्रस्ताव पारित करने के तुरंत बाद इस मुद्दे पर एक सोशल मीडिया अभियान शुरू किया था. उन्होंने कहा कि पहले कांग्रेस के सोशल मीडिया में ताकत की कमी थी. लेकिन पिछले कुछ सालों में सोशल मीडिया टीम काफी मजबूत हो गई है और बीजेपी के एजेंडे का आक्रामक तरीके से मुकाबला कर रही है.

सीडब्ल्यूसी के प्रस्ताव के तुरंत बाद, सोशल मीडिया टीमों ने इस तरह के तथ्यों को ट्रेंड करना शुरू कर दिया कि कैसे पूर्व प्रधान मंत्री राजीव गांधी ने महिलाओं को सशक्त बनाने की बात की और कैसे सोनियाजी, राहुलजी और प्रियंकाजी ने पिछले वर्षों में लगातार कानून का समर्थन किया. चोडनकर ने कहा कि इस मुद्दे पर सोनियाजी और राहुल के प्रधान मंत्री को लिखे पत्र और विभिन्न बातचीत में बिल को उनके समर्थन को सोशल मीडिया पर पोस्ट किया गया और ट्रेंड किया गया. उन्होंने कहा कि अगर भाजपा विधेयक का श्रेय लेने की कोशिश करती है, तो हम लोगों को बताएंगे कि हमारे नेता हमेशा महिलाओं को सशक्त बनाने के पक्ष में थे और कांग्रेस के दबाव ने सरकार पर कैसे काम किया.

(एक्सट्रा इनपुट एजेंसी)

Last Updated : Sep 19, 2023, 3:19 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.